एक्सक्लूसिव- मुझे एशियन गेम्स में चुने जाने का भरोसा नहीं है, मनिंदर सिंह ने कहा
दिग्गज रेडर ने इस पीकेएल सीजन टीम के परफॉर्मेंस को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है।
बंगाल वॉरियर्स के लिए प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) का 9वां सीजन अभी तक मिला-जुला रहा है। टीम ने 11 में से पांच मैचों में जीत हासिल की है और चार मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा है। कुल मिलाकर कह सकते हैं टीम को अगर प्लेऑफ में जाना है तो फिर अपने मुकाबले लगातार जीतने होंगे। टीम के लिए अभी तक उनके कप्तान मनिंदर सिंह ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। वो लगातार प्वॉइंट्स ला रहे हैं और टॉप-5 रेडर्स की लिस्ट में बने हुए हैं। हर बार की तरह वो टीम को बेहतरीन तरीके से लीड कर रहे हैं। मनिंदर सिंह ने खेल नाउ के साथ एशियन गेम्स और पीकेएल समेत कई मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बातचीत की।
टीम की स्ट्रैटजी
बंगाल वॉरियर्स की टीम में कई दिग्गज खिलाड़ी हैं। हालांकि टीम का परफॉर्मेंस वैसा नहीं रहा है। दूसरी टीमों से उन्हें कड़ी टक्कर मिली है। इस बारे में मनिंदर सिंह का मानना है कि पीकेएल काफी मुश्किल टूर्नामेंट होता है और इसी वजह से यहां पर मुकाबले काफी कड़े होते हैं। उन्होंने कहा 'ये टूर्नामेंट काफी टफ है और इसी वजह से जीत-हार चलती रहती है। पुणे लेग में टीम ने अपेक्षाकृत बेहतर खेल दिखाया है।'
गिरीश एर्नाक को लेकर राय
बंगाल वॉरियर्स के पास रेडिंग में जहां मनिंदर सिंह जैसा तगड़ा प्लेयर है तो वहीं डिफेंस में भी उनके पास गिरीश एर्नाक हैं जो काफी अनुभवी हैं। गिरीश अपने करियर में काफी ज्यादा टैकल प्वॉइंट्स हासिल कर चुके हैं। कप्तान मनिंदर सिंह ने उनकी काफी तारीफ की। उन्होंने कहा 'गिरीश एर्नाक काफी तगड़े प्लेयर हैं। जब मैं नहीं खेलता हूं या मैट से बाहर रहता हूं तब वही टीम को संभालते हैं। उनके पास काफी ज्यादा एक्सपीरियंस हैं और वो मुझे भी बताते रहते हैं। वो एक बढ़िया प्लेयर और बढ़िया इंसान हैं।'
कप्तानी का प्रेशर
मनिंदर सिंह बंगाल वॉरियर्स के कप्तान हैं और एक कप्तान को कई सारी चीजें देखनी पड़ती हैं। उसे अपने खुद के परफॉर्मेंस के अलावा टीम की तरफ भी ध्यान देना होता है। हालांकि मनिंदर सिंह इन सब चीजों का दबाव नहीं लेते हैं। कप्तानी को लेकर उन्होंने कहा 'मैं बहुत ज्यादा सोचता नहीं हूं कि कितना स्कोर हुआ, क्या हुआ क्या नहीं। मैं टीम के हिसाब से खेलने की कोशिश करता हूं और स्कोर तो अपने आप हो जाता है। मैं कबड्डी को इंज्वॉय करता हूं और दबाव बिल्कुल भी नहीं लेता।'
यंगस्टर्स को कैसे मोटिवेट करते हैं ?
ऐसा नहीं है कि बंगाल की टीम में केवल सीनियर प्लेयर ही हैं। कई सारे यंगस्टर्स भी टीम में हैं और उन्हें मनिंदर सिंह और दीपक हूडा के एक्सपीरियंस का काफी अनुभव मिलता है। मनिंदर सिंह के मुताबिक वो युवा खिलाड़ियों को अपना नैचुरल गेम खेलने की सलाह देते हैं। इस बारे में उन्होंने कहा 'मैं हर एक युवा प्लेयर से ज्यादा कुछ नहीं बस यही कहता हूं कि खुलकर खेलो। अपना नैचुरल गेम खेलो और किसी चीज का प्रेशर लेने की जरूरत नहीं है। बस अपनी स्किल मैट पर दिखाओ।'
दीपक हूडा का मैट पर महत्व
सातवें सीजन की चैंपियन टीम के पास इस बार दीपक हूडा जैसा बेहतरीन ऑलराउंडर भी है। दीपक हूडा पीकेएल में कई टीमों के लिए खेल चुके हैं और भारतीय कबड्डी टीम की भी कप्तानी कर चुके हैं। उनके आने से बंगाल वॉरियर्स को काफी मजबूती मिली है। मनिंदर सिंह ने बताया कि कैसे दीपक हूडा की लीडरशिप स्किल का फायदा टीम को मिलता है।
उन्होंने कहा 'जितने भी प्लेयर अंदर खेल रहे होते हैं और जो बाहर बैठकर सपोर्ट कर रहे होते हैं सबका महत्व बराबर ही है। दीपक हूडा के होने का एक फायदा ये है कि अगर मैं और गिरीश दोनों बाहर रहें तो वो टीम को संभाल सकते हैं।'
वर्कलोड मैनेज कैसे करते हैं
प्रो कबड्डी लीग में लगातार मुकाबले होते हैं। प्लेयर्स को हर एक मैच में अपना पूरा जोर लगाना पड़ता है और इसी वजह से कई बार इंजरी का खतरा भी बना रहता है। पवन सेहरावत का उदाहरण सबके सामने है किस तरह टैकल करते हुए वो इंजरी का शिकार हुए और पूरे टूर्नामेंट से ही बाहर हो गए। हालांकि मनिंदर सिंह का मानना है कि पीकेएल में रिकवरी भी काफी बेहतरीन होती है क्योंकि यहां की सुविधाएं वर्ल्ड क्लास हैं।
वर्कलोड को लेकर उन्होंने कहा 'पीकेएल में काफी सुविधाएं मिलती हैं। खाना बढ़िया मिलता है, फिजियो, मसाजर सब उपलब्ध रहते हैं, तो उनके साथ हम लगातार रिकवरी भी करते रहते हैं। यहां पर रिकवरी के लिए जितना भी टाइम मिलता है वो काफी है। दूसरे टूर्नामेंट्स में तो हम एक दिन में चार-पांच मैच खेलते हैं और यहां पर सिर्फ एक ही मैच खेलते हैं तो इतनी मुश्किल नहीं होती है।'
एशियन गेम्स के लिए तैयारी
अगले साल एशियन गेम्स का आयोजन होना है। हर एक कबड्डी प्लेयर चाहता है कि वो इस बड़े इवेंट में भारतीय टीम की तरफ से भी खेले। मनिंदर सिंह भी चाहते हैं कि वो भारतीय टीम का हिस्सा हों लेकिन अपने सेलेक्शन को लेकर वो आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा 'एशियन गेम्स के लिए प्रैक्टिस कैंप लगता है और उसमें अच्छी तरह से ट्रेनिंग कराई जाती है। हम भी चाहते हैं कि एक बार इंडिया के लिए जरूर खेलें लेकिन अभी मैं सेलेक्शन को लेकर आश्वस्त नहीं हूं। मुझे नहीं लगता है कि मेरा सेलेक्शन होगा।'
नए कोच को लेकर राय
बंगाल वॉरियर्स ने बीसी रमेश की अगुवाई में सातवें सीजन पीकेएल का टाइटल अपने नाम किया था। हालांकि आठवें सीजन में टीम खिताब से दूर रह गई और इसके बाद इस सीजन के लिए कोच बदल दिया गया। बीसी रमेश की जगह के भास्करन को टीम का नया कोच नियुक्त किया गया। कप्तान मनिंदर ने अपने नए कोच की काफी तारीफ की।
उन्होंने कहा 'हमारे पहले कोच भी काफी बढ़िया थे। के भास्करन सर स्किल पर काफी ज्यादा फोकस करते हैं। वो बहुत कूल माइंड के हैं और कभी गुस्सा नहीं करते हैं। प्लेयर्स के साथ उनकी बॉन्डिंग काफी बेहतरीन है। मैच के दौरान वो हमारी बात भी सुनते हैं, ऐसा नहीं है कि केवल अपनी ही बात कहते हैं।'
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