PKL 10: पांच बड़ी बातें जो फाइनल मुकाबले के बाद सामने आई

पीकेएल में करीब 200 मैच खेलने के बाद पुनेरी पलटन बनी चैंपियन।
पीकेएल के 10वें सीजन (PKL 10) का समापन हो चुका है और इस बार पुनेरी पलटन की टीम चैंपियन बनी है। हैदराबाद में खेले गए फाइनल मैच में पुनेरी पलटन ने हरियाणा स्टीलर्स को 28-25 से हराकर पहली बार पीकेएल का टाइटल अपने नाम किया। इससे पहले तक पुनेरी पलटन ने एक बार भी टाइटल नहीं जीता था लेकिन इस बार उन्होंने खिताब अपने नाम कर लिया।
हरियाणा स्टीलर्स पहली बार फाइनल में पहुंची थी लेकिन वो टाइटल नहीं जीत पाए। पुनेरी पलटन को पिछले सीजन जयपुर पिंक पैंथर्स से फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इस बार टीम ने कोई गलती नहीं की और पीकेएल की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। पीकेएल सीजन 10 के फाइनल के बाद पांच बड़ी चीजें निकलकर सामने आई। आइए हम आपको बताते हैं कि वो दिलचस्प चीजें कौन-कौन सी हैं।
ये पांच चीजें PKL 10 के फाइनल के बाद सामने आई:
1. पुनेरी पलटन बनी चैंपियन
पीकेएल के 10वें सीजन का खिताब पुनेरी पलटन ने जीत लिया है और इस तरह लीग को एक नया चैंपियन मिल गया है। पुनेरी पलटन ने इससे पहले तक एक बार भी टाइटल नहीं जीता था। इससे पहले उनका बेस्ट प्रदर्शन 9वें सीजन के दौरान आया था, जब वो फाइनल में पहुंचे थे। हालांकि तब टीम को जयपुर पिंक पैंथर्स से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार टीम ने कोई गलती नहीं की। पुनेरी पलटन ने पहले मैच से लेकर आखिरी मुकाबले तक काफी जबरदस्त खेल दिखाया। सबसे खास बात ये रही कि इस सीजन उन्हें मात्र दो ही मैचों में हार मिली और वो टेबल में 96 प्वॉइंट के आंकड़े तक पहुंचे जो एक रिकॉर्ड है।
2. पीकेएल टाइटल जीतने वाली पुनेरी पलटन सातवीं टीम बनी
पीकेएल के अभी तक 10 सीजन हुए हैं और इस दौरान सात टीमों ने टाइटल जीता है। पुनेरी पलटन खिताब जीतने वाली सातवीं टीम बनी। पटना पाइरेट्स पीकेएल इतिहास की सबसे सफल टीम है। उन्होंने सबसे ज्यादा तीन बार ट्रॉफी अपने नाम की है। जयपुर पिंक पैंथर्स ने 2014 में हुए पहले सीजन का खिताब अपने नाम किया था। दूसरे सीजन का टाइटल यू मुम्बा ने जीता था। इसके बाद तीसरे, चौथे और पांचवें सीजन का खिताब लगातार पटना पाइरेट्स ने ही जीता।
छठे सीजन में बीसी रमेश की कोचिंग में बंगाल वारियर्स चैंपियन बनी थी। सातवें सीजन का टाइटल बेंगलुरु बुल्स ने जीता था। आठवें सीजन में दबंग दिल्ली ने और 9वें सीजन में जयपुर पिंक पैंथर्स चैंपियन बनी थी। जयपुर का ये दूसरा खिताब था। इसके बाद अब पुनेरी पलटन ने टाइटल जीता है।
3. मोहम्मदरेजा शादलू ने 99 टैकल प्वॉइंट हासिल किए
मोहम्मदरेजा शादलू पीकेएल के 10वें सीजन के सबसे बेस्ट डिफेंडर साबित हुए। उन्होंने 24 मैचों में 99 टैकल प्वॉइंट हासिल किए। अगर वो एक प्वॉइंट और हासिल कर लेते तो फिर एक सीजन में नितेश कुमार के 100 टैकल प्वॉइंट के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेते। शादलू ने आठवें सीजन के दौरान अपना डेब्यू किया था और पटना पाइरेट्स की तरफ से खेलते हुए काफी जबरदस्त खेल दिखाया था और उसके बाद से ये लगातार तीसरा सीजन है, जब उनका प्रदर्शन इतना अच्छा रहा।
शादलू ने 11 हाई-फाइव 10वें सीजन के दौरान लगाया। मैच के बाद कोच बीसी रमेश ने मोहम्मदरेजा शादलू की काफी तारीफ की। उन्होंने कहा कि शादलू इस टीम के रीढ़ की हड्डी हैं और उनके आने की वजह से टीम का कॉन्फिडेंस काफी ज्यादा बढ़ गया था।
4. बीसी रमेश ने कोच के तौर पर तीसरी बार जीती ट्रॉफी
पुनेरी पलटन की टीम अगर इस पीकेएल की चैंपियन है तो इसका काफी ज्यादा श्रेय उनके हेड कोच बीसी रमेश को दिया जाना चाहिए। जिस तरह से इस सीजन वो टीम को आगे लेकर गए वो काबिलेतारीफ है। पिछली बार टीम फाइनल में चूक गई थी लेकिन उस निराशा से उबरते हुए उन्होंने एक बार फिर टीम को फाइनल में पहुंचाया और इस बार टाइटल भी जिताया है।
ये पहली बार नहीं है जब बीसी रमेश ने कोच के तौर पर पीकेएल का टाइटल जीता है। इससे पहले सातवें सीजन में उन्होंने बंगाल वारियर्स को चैंपियन बनाया था और उससे भी पहले छठे सीजन के दौरान असिस्टेंट कोच के तौर पर बेंगलुरु बुल्स को टाइटल जिताने में अपनी अहम भूमिका अदा की थी। कुल मिलाकर बीसी रमेश का ये तीसरा पीकेएल टाइटल था।
5. आशु मलिक सीजन के बेस्ट रेडर चुने गए
दबंग दिल्ली के कप्तान आशु मलिक को पीकेएल के 10वें सीजन का बेस्ट रेडर चुना गया। हालांकि उनके और अर्जुन देशवाल के प्वॉइंट बराबर ही थे। आशु मलिक ने भी 23 मैचों में 276 प्वॉइंट लिए थे और अर्जुन देशवाल के भी इतने ही मैचों में 276 प्वॉइंट थे। अर्जुन देशवाल ने बल्कि ये प्वॉइंट्स हासिल करने के लिए आशु मलिक से कम रेड किए थे। इसके अलावा उन्होंने आशु मलिक से ज्यादा सुपर-10 भी लगाया।
अर्जुन देशवाल के 17 और आशु मलिक के 15 ही सुपर-10 थे। लेकिन इन सबके बावजूद सीजन का बेस्ट रेडर आशु मलिक को ही चुना गया। इसकी शायद ये वजह है कि नवीन कुमार की इंजरी के बाद जिस तरह से आशु मलिक ने दबंग दिल्ली को लीड किया और टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाया, उसी वजह से उनका पलड़ा भारी हो गया।
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