पवन सेहरावत बदल नहीं पाए तेलुगु टाइटंस की किस्मत, क्या अगले सीजन होंगे रिटेन?

टीम प्वॉइंट्स टेबल में 12वें पायदान पर रही।
पीकेएल (PKL) के इतिहास में तेलुगु टाइटंस आखिरी बार चौथे सीजन में प्लेऑफ में पहुंची थी और इसके बाद से टीम लगातार छठे सीजन में लीग चरण से आगे नहीं बढ़ पाई है। तेलुगु टाइटंस PKL 10 की पॉइंट्स टेबल में आखिरी यानी 12वें स्थान पर रहे। तेलुगु टाइटंस ने सीजन में 22 मैच खेले, जिनमें उन्हें केवल 2 जीत मिलीं, 19 बार हार झेलनी पड़ी और उनका एक मुकाबला टाई रहा।
तेलुगु टाइटंस के कप्तान पवन सहरावत ने नियमित रूप से अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया, लेकिन उन्हें दूसरे रेडर्स का सपोर्ट नहीं मिल पाया। इसके अलावा कोई भी खिलाड़ी टीम के डिफेंस को लीड नहीं कर पाया और शायद इसी कारण टीम के डिफेंडर्स और रेडर्स में अच्छा तालमेल नहीं बना प। इस आर्टिकल में आइए जानते हैं कि PKL 10 में किन खिलाड़ियों ने तेलुगु टाइटंस के लिए अच्छा प्रदर्शन किया और किन खिलाड़ियों ने निराश किया।
PKL 10 में टीम के टॉप परफॉर्मर्स
1. पवन सहरावत
पीकेएल के दसवें सीजन में पवन सहरावत तेलुगु टाइटंस के लिए खेलते हुए नजर और टीम के कप्तान भी रहे। उन्होंने सीजन में 21 मैच खेले, जिनमें उन्होंने 202 रेड पॉइंट्स हासिल किए और 13 बार सुपर-10 भी स्कोर किया। पवन ने अपने पीकेएल करियर में 1000 रेड पॉइंट्स हासिल कर लिए हैं और इस लीग के इतिहास में केवल 6 खिलाड़ी ऐसा कर पाए हैं।
2. संदीप ढुल
संदीप ढुल पीकेएल इतिहास के सबसे अनुभवी डिफेंडर्स में से एक हैं और दसवें सीजन में तेलुगु टाइटंस के लिए खेले। उन्होंने PKL 10 में 16 मैच खेले जिनमें उन्होंने 37 टैकल पॉइंट्स हासिल किए और उन्होंने तीन बार हाई-5 भी स्कोर किया। उन्होंने एक लेफ्ट कॉर्नर डिफेंडर के रूप में काफी अच्छा किया, लेकिन उन्हें सपोर्ट ना मिल पाना कहीं ना कहीं टीम के खराब प्रदर्शन का कारण रहा।
इन खिलाड़ियों ने किया निराश
1. परवेश भैंसवाल
परवेश भैंसवाल चौथे सीजन से प्रो कबड्डी लीग का हिस्सा बने हुए हैं और नौवें सीजन में तेलुगु टाइटंस के लिए खेलते हुए उन्होंने 50 से भी अधिक टैकल पॉइंट्स हासिल किए थे लेकिन दसवें सीजन में उनका प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा। उन्होंने PKL 10 में 15 मैच खेले, जिनमें वो केवल 8 टैकल पॉइंट्स हासिल कर पाए।
2. रजनीश
रजनीश पीकेएल के छठे सीजन से ही तेलुगु टाइटंस के साथ जुड़े हुए हैं। वो पिछले सीजन चोट के कारण ज्यादा मैच नहीं खेल पाए थे, लेकिन PKL 10 में उनसे उम्मीद थी कि वो पवन सहरावत को रेडिंग में अच्छा सपोर्ट देंगे। पीकेएल के 10वें सीजन में उन्होंने 7 मैच खेले, जिनमें वो केवल 23 रेड पॉइंट्स हासिल कर पाए थे। इंटरव्यू में पवन कई बार रेडिंग में सपोर्ट ना मिलने का जिक्र करते आए और उनकी निराशा का एक कारण रजनीश जैसे अनुभवी रेडर से सपोर्ट ना मिलना भी रहा।
3. रॉबिन चौधरी
PKL 10 में तेलुगु टाइटंस ने ऑक्शन में युवा रेडर रॉबिन चौधरी पर दांव खेला था, जिनसे उम्मीद थी कि वो 6 फुट 1 इंच के लंबे कद का फायदा उठाकर विपक्षी टीमों के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे। रॉबिन चौधरी की ओर से भी सपोर्ट ना मिलने के कारण तेलुगु टाइटंस की रेडिंग यूनिट लगातार संघर्ष कर रही थी। रॉबिन ने दसवें सीजन में 18 मैच खेले, जिनमें से वो केवल 55 रेड पॉइंट्स हासिल कर पाए थे।
टीम का बेस्ट परफॉर्मेंस
मैच 81 – तेलुगु टाइटंस vs यूपी योद्धा
तेलुगु टाइटंस का इस सीजन में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन यूपी योद्धा के खिलाफ आया। टीम ने 20 जनवरी को हैदराबाद में अपने घरेलू फैंस के सामने यूपी योद्धा को 17 पॉइंट्स के अंतर से हराया। इस मैच में टाइटंस ने यूपी को 49-32 के स्कोर से हराया था, जहां तेलुगु टाइटंस के लिए रेडिंग में पवन सहरावत ने 16 और ओमकार पाटिल ने 10 रेड पॉइंट्स हासिल किए। वहीं डिफेंस में संदीप धुल ने 3 और मोहित ने 4 टैकल पॉइंट्स हासिल किए थे।
कोच का रिपोर्ट कार्ड
तेलुगु टाइटंस ने PKL 10 के लिए श्रीनिवास रेड्डी को अपना हेड कोच नियुक्त किया था। उनकी कोचिंग में टीम लीग स्टेज के पहले 5 मैच हार चुकी थी और अगले मैचों में भी कुछ खास सुधार देखने को नहीं मिला। उनकी कोचिंग में टाइटंस पूरे सीजन में 22 मैच में से केवल 2 जीत दर्ज कर पाए। रेड्डी पहले जयपुर पिंक पैंथर्स के भी हेड कोच रह चुके हैं, लेकिन इस बार तेलुगु टाइटंस को प्लेऑफ में नहीं पहुंचा पाए। खराब प्रदर्शन के कारण श्रीनिवास रेड्डी को तेलुगु टाइटंस के हेड कोच पद से हटा दिया गया है और अगले सीजन में कृष्ण कुमार हूडा उनकी जगह लेंगे।
तेलुगु टाइटंस को सीजन से क्या सीख मिली?
पीकेएल के 10वें सीजन में तेलुगु टाइटंस ना तो डिफेंस और ना ही रेडिंग में अच्छा कर पाए, इसी कारण उन्हें प्लेऑफ में पहुंचने में कामयाबी नहीं मिली। अगर टीम अच्छा कॉम्बिनेशन बनाकर खेलती तो उन्हें अगले दौर में प्रवेश मिल सकता था। एक तरफ टीम को डिफेंस में एक लीडर की जरूरत थी, वहीं पवन सहरावत लगातार रेडिंग में सपोर्ट ढूंढते रहे जो अंतिम मुकाबले तक भी उन्हें नहीं मिल पाया था।
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