PKL 11 में हरियाणा स्टीलर्स की ताकतें और कमजोरियां
पिछले सीजन की फाइनलिस्ट टीम का डिफेंस इस बार भी जबरदस्त है।
प्रो कबड्डी लीग सीजन 11 (PKL 11) के लिए सभी टीमें इस वक्त तैयारियों में जुटी हुई हैं। इस बार 18 अक्टूबर से पीकेएल का आगाज होगा और जनवरी के पहले हफ्ते तक खेला जाएगा। इसी वजह से सभी टीमों की तैयारियां काफी तेज हो गई हैं। पिछले सीजन की फाइनलिस्ट हरियाणा स्टीलर्स भी एक बार फिर मजबूती से मुकाबला करने के लिए तैयार है।
हरियाणा स्टीलर्स ने डिफेंस के दम पर पिछले सीजन के फाइनल में जगह बनाई थी और इस बार भी मोहम्मदरेजा शादलू के आने से उनका डिफेंस और मजबूत हुआ है। हालांकि सीजन के आगाज से पहले हरियाणा को एक बड़ा झटका भी लग गया है। टीम के कप्तान मोहित नांदल इंजरी की वजह से पूरे सीजन से बाहर हो गए हैं। ये हरियाणा के लिए अच्छी बात नहीं कही जा सकती है। हालांकि शादलू के होने की वजह से इसकी भरपाई की जा सकती है।
नए सीजन के आगाज से पहले हम आपको बताते हैं कि हरियाणा स्टीलर्स का मजबूत पक्ष क्या है और उनका कमजोर पक्ष क्या है। इसके अलावा उनके लिए क्या बड़ा खतरा इस सीजन हो सकता है।
टीम का मजबूत पक्ष
मोहम्मदरेजा शादलू बढ़ाएंगे डिफेंस की ताकत
हरियाणा स्टीलर्स के पास इस बार मोहम्मदेरजा शादलू जैसा खिलाड़ी है जो अकेले दम पर मैच जिताने की क्षमता रखता है। शादलू ने पिछले दो सीजन से लगातार काफी बेहतरीन खेल दिखाया है। मोहम्मदरेजा शादलू ऐसे खिलाड़ी हैं जो डिफेंस के अलावा जरूरत पड़ने पर रेडिंग भी कर सकते हैं।
वहीं शादलू की सबसे खास बात यह है कि उनके पास किसी भी टीम को चलाने का काफी एक्सपीरियंस है। जिस तरह की अवेयरनेस उनके पास है, वो काफी कम खिलाड़ियों में देखने को मिलती है। वो जब तक मैट पर रहते हैं, कुछ ना कुछ करते रहते हैं। इसी वजह से उनके आने से हरियाणा स्टीलर्स को काफी मजबूती मिली है। इसके अलावा राहुल सेतपाल और जयदीप दहिया जैसे प्लेयर टीम के पास पहले से ही मौजूद थे। कुल मिलाकर हरियाणा स्टीलर्स का डिफेंस इस बार भी सबसे मजबूत है।
टीम का कमजोर पक्ष
रेडिंग डिपार्टमेंट में है अनुभव की कमी
हरियाणा स्टीलर्स के रेडिंग डिपार्टमेंट में इस बार अनुभव की कमी दिखाई दे रही है। टीम के पास विनय, शिवम पटारे, घनश्याम मागर और विशाल टाटे जैसे खिलाड़ी हैं। हरियाणा के पास रेडिंग में कोई बड़ा नाम नहीं है। विनय ने पिछले सीजन जरूर 23 मैचों में 165 प्वॉइंट्स हासिल किए थे लेकिन उनके ऊपर अकेले पूरा भार नहीं डाला जा सकता है।
शिवम पटारे ने 10वें सीजन में 23 मैच में 120 प्वॉइंट्स लिए थे। घनश्याम मागर ने सिर्फ 5 और विशाल टाटे ने 3 ही मैच खेले थे। इससे साफ जाहिर होता है कि इनके पास उतना एक्सपीरियंस नहीं है। विशाल टाटे ने अपने 3 मैचों में जरूर प्रभावित किया था और कुल 25 प्वॉइंट लिए थे लेकिन वो लगातार खेलते हुए कितने प्वॉइंट ले पाते हैं, इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसी वजह से हरियाणा का रेडिंग डिपार्टमेंट थोड़ा कमजोर नजर आ रहा है।
टीम के लिए खतरा
हरियाणा स्टीलर्स को सीजन के आगाज से पहले ही बड़ा झटका लग चुका है। टीम के कप्तान मोहित नांदल इंजरी की वजह से पूरे सीजन से बाहर हो गए हैं। ये हरियाणा के लिए अच्छी बात नहीं कही जा सकती है। मोहम्मदरेजा शादलू भले ही टीम में आए हैं लेकिन मोहित नांदल पिछला सीजन पूरा खेले थे और उन्हें टीम की बारीकियों के बारे में काफी अच्छी तरह से पता था। अगर वो डिफेंस में होते तो टीम को काफी ज्यादा मजबूती मिलती है। हरियाणा स्टीलर्स को इस बार मोहित नांदल की कमी काफी ज्यादा खल सकती है।
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