अनूप कुमार ने किस तरह पुनेरी पलटन को बनाया एक सफल टीम
(Courtesy : PKL)
पूर्व कप्तान की रणनीति और समझ के चलते टीम ने प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई किया।
पुनेरी पलटन प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) की बेहतरीन टीमों में से एक है। इस टीम में एक से बढ़कर एक कई शानदार प्लेयर हैं। टीम के पास युवा और अनुभवी प्लेयर्स का अच्छा मिश्रण है और इसी वजह से इनका तालमेल काफी शानदार रहता है। पुनेरी पलटन ने पीकेएल के 8वें सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन किया। टीम ने 22 में से 12 मुकाबले जीते और 9 हारे, वहीं एक मैच ड्रॉ रहा और वो प्वॉइंट्स टेबल में छठे पायदान पर रहे। टीम को शुरूआत में तो लगातार हार मिली लेकिन आधे पीकेएल सीजन के बाद उन्होंने अपनी लय पकड़ ली और प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई कर लिया।
महाराष्ट्र की इस टीम का परफॉर्मेंस पीकेएल में पहले अच्छा नहीं रहता था लेकिन अनूप कुमार के कोच बनने के बाद से ही टीम में जबरदस्त बदलाव देखने को मिले हैं। अब पुनेरी पलटन दूसरी टीमों को कड़ी टक्कर देती है और किसी मुकाबले में आसानी से हार नहीं मानती है। हम आपको बताते हैं कि किस तरह कोच अनूप कुमार ने पुनेरी पलटन को एक शानदार टीम बनाया।
1. युवा और अनुभव का अच्छा मिश्रण
पुनेरी पलटन की एक खास बात ये है कि इस टीम में युवा और अनुभवी प्लेयर्स का अच्छा मिश्रण है। एक तरफ टीम में असलम ईनामदार, विशाल भारद्वाज और मोहित गोयत जैसे अच्छे युवा खिलाड़ी थे तो वहीं दूसरी तरफ राहुल चौधरी, नितिन तोमर और बलदेव सिंह जैसे अनुभवी दिग्गज भी थे। जब किसी टीम में युवा जोश और अनुभवी प्लेयर्स के होश का मिलन होता है तो वो काफी जबरदस्त टीम बन जाती है। कोच अनूप कुमार ने इस टीम के साथ ये काम बखूबी किया है। पीकेएल के 8वें सीजन में टीम के परफॉर्मेंस पर उसका असर देखने को भी मिला।
2. युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताना
अनूप कुमार के कोचिंग की खास बात ये थी कि उन्होंने पीकेएल के 8वें सीजन में युवा खिलाड़ियों पर ज्यादा भरोसा जताया। यही वजह रही कि इस टीम के युवा प्लेयर्स का परफॉर्मेंस काफी अलग रहा और टीम पर उसका असर भी देखने को मिला। अगर हम युवा खिलाड़ियों की बात करें तो असलम ईनामदार ने सबको चौंकाया। उन्होंने 23 मैचों में 189 प्वॉइंट हासिल किए और टॉप-6 रेडर्स में अपनी जगह बनाई। वो टीम के अगले स्टार हो सकते हैं। इसके अलावा मोहित गोयत ने 21 मैचों में 187 प्वॉइंट हासिल कर बड़ा इम्पैक्ट डाला। डू और डाई रेड में वो सीजन-8 के सबसे सफल रेडर साबित हुए और कुल 49 प्वॉइंट हासिल किए।
3. सीनियर खिलाड़ियों को रेस्ट देने से ना हिचकिचाना
युवा खिलाड़ियों ने तो पलटन के लिए बेहतरीन काम किया लेकिन कुछ सीनियर प्लेयर ऐसे रहे जिनका परफॉर्मेंस उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा। राहुल चौधरी और नितिन तोमर जैसे दिग्गज फ्लॉप रहे। ऐसे में कोच कोच अनूप कुमार इनको रेस्ट देने से पीछे नहीं हटे। वो अपने प्लेइंग सेवन का चयन केवल परफॉर्मेंस के आधार पर ही करते थे और ना कि बड़े नामों से प्रभावित होकर। कई मैचों में राहुल चौधरी को तो उन्होंने थोड़ी ही देर के बाद सब्सीट्यूट कर दिया। नितिन तोमर और बलदेव को भी कई मैचों तक उन्होंने बाहर रखा और उनकी जगह दूसरे प्लेयर्स को मौके दिए। अनूप कुमार की ये रणनीति काफी कारगर रही।
4. दबाव में भी शांत होकर ठंडे दिमाग से गाइड करना
अनूप कुमार जब खेलते थे तो उन्हें 'कैप्टन कूल' कहा जाता था और उनकी कोचिंग में भी इसकी झलक देखने को मिली। पुनेरी पलटन अगर किसी मुकाबले में काफी पीछे भी चल रही होती थी तो अनूप कुमार गुस्सा नहीं होते थे और बेहद शांद तरीके से खिलाड़ियों को गाइड करते थे। वो किसी भी प्लेयर के ऊपर ज्यादा प्रेशर नहीं डालते थे और बेहद आराम से ये बताते थे कि उन्हें आगे क्या करना चाहिए। उनकी इस खासियत से टीम पर काफी असर पड़ा और टीम निखरकर सामने आई।
5. प्लेयर्स का बेहतरीन रोटेशन
किसी भी टीम के लिए सबसे जरूरी ये होता है कि वो अपने प्लेयर्स को किस तरह से समय-समय पर रोटेट करते हैं। कोच अनूप कुमार ने पीकेएल के 8वें सीजन में पुनेरी पलटन टीम में ये काम बखूबी किया। वो मैच के सिचुएशन और प्लेयर्स के फॉर्म के आधार पर खिलाड़ियों को रोटेट करते थे और इससे दूसरी टीमों को पुनेरी पलटन के खिलाफ रणनीति बनाने में काफी दिक्कतें होती थीं। वो अनूप कुमार की स्ट्रैटजी को समझ ही नहीं पाते थे। इससे टीम की सफलता के चांस बढ़ जाते थे।
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