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कबड्डी न्यूज

पीकेएल 8: बड़े खिलाड़ियों के बगैर चमकी पटना पाइरेट्स, "टीम गेम" का दिखा असर

Published at :March 19, 2022 at 12:07 AM
Modified at :December 13, 2023 at 1:01 PM
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(Courtesy : PKL)

ADITYA RAJ


टीम ने दिखाया कि बिना स्टार प्लेयर्स के भी सफलता हासिल की जा सकती है।

प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के 8वें सीजन के आगाज से पहले अगर कोई कहता कि पटना पाइरेट्स इस पीकेएल सीजन फाइनल तक का सफर तय कर लेगी तो किसी को विश्वास ही ना होता। परदीप नरवाल ने पटना का दामन छोड़ दिया था और ऐसे में सभी फैंस काफी निराश थे। सुपरस्टार प्लेयर के बाहर होने की वजह से इस बार पटना पाइरेट्स की ज्यादा चर्चा नहीं थी। हालांकि टीम ना केवल फाइनल में पहुंची बल्कि प्वॉइंट्स टेबल में भी टॉप पर रही।

पटना पाइरेट्स ने पीकेएल के 8वें सीजन में लीग स्टेज में 22 मुकाबले खेले जिसमें से 16 मैचों में जीत हासिल की और सिर्फ पांच ही मैच ऐसे रहे जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फाइनल मुकाबले में अगर सब्सीट्यूट प्लेयर्स को लेकर गफलत ना हुई होती तो शायद पटना की टीम रिकॉर्ड चौथी बार पीकेएल का टाइटल अपने नाम कर लेती। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने दिखाया कि बिना स्टार प्लेयर के सिर्फ "टीम गेम" के दम पर सफलता हासिल की जा सकती है।

"टीम गेम" के दम पर पटना ने किया कमाल

पटना पाइरेट्स की टीम में ज्यादा बड़े स्टार नहीं थे। हालांकि सचिन तंवर, प्रशांत कुमार राय, गुमान सिंह, मोहम्मदरेजा चियानेह, नीरज कुमार, साजिन सी जैसे खिलाड़ियों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया और यही वजह रही कि टीम लगातार मुकाबले जीतती गई। फाइनल मैच में भी टीम को सिर्फ एक प्वॉइंट के अंतर से शिकस्त झेलनी पड़ी। इसमें भी खिलाड़ियों की नहीं बल्कि कोचिंग की स्टाफ की गलती कही जा सकती है। अगर खिलाड़ियों को सही तरह से सब्सीट्यूट किया जाता तो फिर नतीजा अलग भी हो सकता था।

पटना पाइरेट्स के डिफेंस ने किया डॉमिनेट

तीन बार की चैंपियन टीम इस पीकेएल सीजन डिफेंस में नंबर वन रही। पटना ने डिफेंस में कुल मिलाकर 272 सफल टैकल किए जो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा टीम ने औसतन 11.33 प्रति मैच टैकल किए। इससे पता चलता है कि टीम का डिफेंस कितना धारदार रहा। टीम का टैकल प्रतिशत भी सबसे ज्यादा (46.1) रहा। वहीं टीम ने इस सीजन सबसे ज्यादा 289 टैकल प्वॉइंट हासिल किए।

डिफेंस में ईरान से आए ऑलराउंडर खिलाड़ी मोहम्मदरेजा चियानेह ने सबको अपना दीवाना बना लिया। उन्होंने इस सीजन सबसे ज्यादा 86 सफल टैकल किए और कुल मिलाकर 89 टैकल प्वॉइंट हासिल किए। हाई-फाइव के मामले में भी मोहम्मदरेजा टॉप पर रहे और 10 हाई-फाइव लगाए। वहीं दूसरे डिफेंडर नीरज कुमार ने भी उनका अच्छा साथ दिया और 23 मैचों में 52 प्वॉइंट हासिल किए। जबकि सुनील ने भी 22 मैचों में 48 टैकल प्वॉइंट हासिल किए। इससे पता चलता है कि पटना पाइरेट्स के डिफेंस ने कितना डॉमिनेट किया।

रेडिंग में सचिन ने किया कमाल

पटना पाइरेट्स की टीम अभी तक रेडिंग में परदीप नरवाल के ऊपर निर्भर रहती थी। वो टीम के सबसे बड़े स्टार हुआ करते थे। हालांकि इस सीजन परदीप नरवाल टीम का हिस्सा नहीं थे। ऐसे में सचिन के सामने उनकी कमी पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी थी। परदीप नरवाल जैसे प्लेयर की जगह लेना आसान काम नहीं होता है। लेकिन सचिन ने टीम को ये कमी खलने नहीं दी।

गुजरात जायंट्स से आए सचिन तंवर ने अपने रनिंग हैंड टच, टो टच और बोनस स्किल का बेहतरीन नमूना पेश किया। वो लगातार रेड में प्वॉइंट लाते रहे। उन्होंने पीकेएल के 8वें सीजन में 23 मैचों में 181 प्वॉइंट हासिल किए। इसके अलावा गुमान सिंह, कप्तान प्रशांत कुमार राय और मोनू गोयत जैसे खिलाड़ियों ने भी अपना-अपना योगदान दिया। कुल मिलाकर रेडिंग में तीन-चार प्लेयर्स ने मिलकर टीम की जिम्मेदारी उठाई।

मोनू गोयत रहे फ्लॉप

परदीप नरवाल की गैरमौजूदगी में पटना पाइरेट्स को मोनू गोयत से काफी उम्मीदें थीं। वो इससे पहले भी टीम के लिए खेल चुके थे। हालांकि उन्होंने अपने परफॉर्मेंस से निराश किया। मोनू गोयत ने 14 मैचों में सिर्फ 93 प्वॉइंट हासिल किए। वहीं फाइनल मुकाबले में उन्हें खिलाया ही नहीं गया था। उनकी जगह गुमान सिंह को मौका दे दिया गया। इससे पता चलता है कि उनका फॉर्म कितना खराब था।

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