PKL 11 में पटना पाइरेट्स की ताकतें और कमजोरियां
तीन बार की चैंपियन टीम इस बार उतनी सॉलिड नजर नहीं आ रही है।
प्रो कबड्डी लीग के 11वें सीजन (PKL 11) के लिए पटना पाइरेट्स अपनी पूरी तैयारियों में जुटी हुई है। टीम ने पिछले सीजन प्लेऑफ तक का सफर तय किया था। पटना ने 10वें सीजन के दौरान कुल 22 मुकाबले खेले थे। इस दौरान टीम को 11 मैचों में जीत मिली थी और 8 मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा था। जबकि 3 मैच पटना पाइरेट्स के टाई पर समाप्त हुए थे। इस बार टीम इससे बेहतर प्रदर्शन जरूर करना चाहेगी। हालांकि इस बार पटना का स्क्वाड उतना अच्छा नजर नहीं आ रहा है।
पटना पाइरेट्स ने अपने पिछले सीजन के बेहतरीन रेडर सचिन तंवर को बाहर कर दिया था और इसके बाद सचिन पीकेएल के 11वें सीजन के सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए। तमिल थलाइवाज ने उन्हें 2 करोड़ से ज्यादा की रकम में खरीदा। पटना ने इस बार ऑक्शन के दौरान ऑलराउंडर गुरदीप को 59 लाख में खरीदा। इसके अलावा बंगाल वारियर्स से आए डिफेंडर शुभम शिंदे के लिए 70 लाख की बोली लगाई। इसके अलावा रेडर जैंग कुन ली को भी पटना पाइरेट्स ने अपनी टीम में शामिल किया है।
तो चलिए नए सीजन के आगाज से पहले हम आपको बताते हैं कि पटना पाइरेट्स का मजबूत पक्ष और उनका कमजोर पक्ष क्या है। इसके अलावा उनके लिए क्या बड़ा खतरा इस सीजन हो सकता है।
टीम का मजबूत पक्ष
पटना का डिफेंस ढा सकता है कहर
पटना पाइरेट्स ने इस बार एक अच्छा काम यह किया है कि उन्होंने अपने डिफेंस पर काफी ध्यान दिया है। यही वजह के पटना ने ऑक्शन के दौरान गुरदीप और शुभम शिंदे जैसे खिलाड़ियों को खरीदा था। गुरदीप का हालांकि पिछले सीजन प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और उन्होंने 16 मैचों में 30 प्वॉइंट्स हासिल किए थे लेकिन ओवरऑल वो रेडिंग और डिफेंस दोनों में योगदान दे सकते हैं।
इसी वजह से वो काफी बेहतरीन साबित हो सकते हैं। इसके अलावा शुभम शिंदे की अगर बात करें तो उन्होंने पिछले सीजन 22 मैचों में 67 प्वॉइंट हासिल किए थे। वो ओवरऑल अभी तक 151 टैकल प्वॉइंट हासिल कर चुके हैं। उनके पास भी अनुभव की कमी नहीं है। इसके अलावा अंकित को टीम ने पहले से ही रिटेन कर लिया था।
टीम का कमजोर पक्ष
रेडिंग में टीम को आ सकती हैं दिक्कतें
पटना पाइरेट्स की टीम को इस बार रेडिंग में दिक्कतें आ सकती हैं। पिछले सीजन उनके पास सचिन तंवर जैसा रेडर था जो अकेले दम पर मैच निकाल लाते थे। इस बार उनके पास सचिन तंवर नहीं हैं। पटना पाइरेट्स के रेडिंग डिपार्टमेंट में जैंग कुन ली, मीतू, देवांक, संदीप कुमार, कुनाल मेहता और एम सुधाकर जैसे खिलाड़ी हैं।
अगर इन सबको देखा जाए तो इनके पास उतना अनुभव नहीं है। एम सुधाकर ने पिछले सीजन कुछ मैचों में जरूर जबरदस्त खेल दिखाया था लेकिन पूरी तरह से सिर्फ उनके ऊपर डिपेंड नहीं रहा जा सकता है। इन सबमें मीतू ही अकेले ऐसे प्लेयर हैं जो टीम के रेडिंग डिपार्टमेंट को लीड कर सकते हैं।
टीम के लिए खतरा
पटना पाइरेट्स ने इस बार काफी युवा रेडर्स पर भरोसा जताया है। मीतू ने ओवरऑल 58 मैच खेले हैं। संदीप कुमार ने 20 और एम सुधाकर ने 19 ही मैच खेले हैं। इसी वजह से यह खिलाड़ी टीम के रेडिंग को पूरे सीजन तक संभाल पाएंगे या नहीं इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है। टीम के पास एक बड़ा रेडर इस सीजन ना होना काफी खल सकता है।
पटना पाइरेट्स ने ऑक्शन के दौरान इस चीज पर ध्यान नहीं दिया था और इसी वजह से यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि जैंन कुन ली जरूर हैं, जिनके पास 100 से ज्यादा मैचों का अनुभव है लेकिन वो विदेशी खिलाड़ी हैं और उतना प्रभावित भी नहीं कर पाए हैं।
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