पांच कारण क्यों राहुल चौधरी का PKL करियर खत्म हो चुका है

कबड्डी के ‘शो मैन’ का परफॉर्मेंस पिछले कुछ सीजन से लगातार खराब रहा है।
राहुल चौधरी कबड्डी जगत का एक जाना-माना नाम हैं। अगर पीकेएल या कबड्डी के महान खिलाड़ियों की लिस्ट बनाई जाएगी तो निश्चित तौर पर राहुल चौधरी का नाम उसमें आएगा। पीकेएल के शुरुआती कुछ सीजन के दौरान राहुल चौधरी का पूरी तरह से दबदबा था। राहुल चौधरी पीकेएल इतिहास में सबसे पहले 800 प्वॉइंट लेने वाले खिलाड़ी बने थे। राहुल ने अभी तक कुल 154 मैच पीकेएल में खेले हैं, जिसमें उनके नाम 1106 रेड प्वॉइंट दर्ज है। तेलुगु टाइटंस की तरफ से खेलते हुए उन्हें मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर भी चुना गया था।
हालांकि पिछले कई सीजन से राहुल चौधरी उस तरह का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, जिसके लिए वो जाने जाते थे। उन्हें 10वें सीजन के दौरान मात्र 4 ही मैच खेलने का मौका मिला, जिसमें वो केवल 6 प्वॉइंट ही हासिल कर पाए थे। 9वें सीजन के दौरान भी वो 21 मैचों में 73 प्वॉइंट ही हासिल कर पाए थे। राहुल चौधरी लगातार फ्लॉप होते जा रहे हैं और ऐसा लगता है कि उनका पीकेएल करियर अब खत्म हो गया है। इसके पांच बड़े कारण हैं।
5. उम्र का असर
राहुल चौधरी के ऊपर अब उम्र का असर साफ दिखाई दे रहा है। उनकी उम्र 30 साल हो चुकी है। जब वो यंग थे, तब काफी चपलता के साथ रेड किया करते थे लेकिन अब उम्र बढ़ने का असर उनके ऊपर दिख रहा है और डिफेंडर्स आसानी से उन्हें टैकल कर ले रहे हैं। जब किसी भी खिलाड़ी की उम्र बढ़ जाती है तो फिर उसका मूवमेंट उतना अच्छा नहीं रह जाता है और इसी वजह से डिफेंडर्स को उस रेडर को टैकल करने में कोई परेशानी नहीं होती है।
10वें सीजन के दौरान तो वो अनसोल्ड रहे थे लेकिन आखिर में जाकर जयपुर पिंक पैंथर्स ने उन्हें खरीद लिया था लेकिन ऐसा लगता है कि अगले सीजन उन्हें खरीददार मिलना मुश्किल होगा।
4. स्पीड कम होना
उम्र बढ़ने के साथ ही राहुल चौधरी की स्पीड भी अब कम हो गई है। किसी भी रेडर की सफलता के लिए जरुरी है कि वो मैट पर काफी फुर्ती के साथ रेड करे। जब तक आपके पैर तेजी से चलेंगे, तब तक डिफेंडर्स को काफी परेशानी होगी। हालांकि अगर अब राहुल चौधरी को देखें तो उनके पैर तेजी से नहीं चलते हैं। वो एक जगह पर खड़े हो जाते हैं। रनिंग हैंड टच या टो टच करने के लिए स्पीड की भूमिका काफी अहम होती है और राहुल चौधरी के अंदर इसकी कमी दिखाई दे रही है।
3. स्ट्रेंथ की कमी
रेडर्स की सबसे बड़ी ताकत उसकी स्ट्रेंथ भी होती है। अगर मनिंदर सिंह जैसे रेडर को देखें तो उनकी बॉडी में इतनी ताकत होती है कि एक या दो डिफेंडर उनको आसानी से टैकल नहीं कर पाते हैं। राहुल चौधरी के अंदर इस स्ट्रेंथ की कमी दिखाई दे रही है। अगर किसी रेडर की स्ट्रेंथ कम हो जाती है तो फिर डिफेंडर्स उस पर हावी होने की कोशिश करता है। उसे पता रहता है कि अगर मैंने इस रेडर पर अटैक किया तो फिर ये अपनी स्ट्रेंथ से मात नहीं दे पाएगा और इसी वजह से राहुल चौधरी के ऊपर काफी अटैक होता है। पिछले दो सीजन से ये चीज काफी देखने को मिली है।
2. पिछले कुछ सीजन से लगातार खराब प्रदर्शन
राहुल चौधरी पिछले कुछ सीजन से लगातार फ्लॉप हो रहे हैं। उन्हें 10वें सीजन के दौरान मात्र 4 ही मैच खेलने का मौका मिला, जिसमें वो केवल 6 प्वॉइंट ही हासिल कर पाए थे। 9वें सीजन के दौरान भी वो 21 मैचों में 73 प्वॉइंट ही हासिल कर पाए थे। इससे पहले आठवें सीजन में उनके 7 मैचों में सिर्फ 13 ही प्वॉइंट थे। जबकि सातवें सीजन में वो 22 मैच खेले थे लेकिन इसके बावजूद सिर्फ 138 प्वॉइंट ही हासिल कर पाए थे।
कुल मिलाकर लगातार चार सीजन से राहुल चौधरी फ्लॉप हो रहे हैं और इसी वजह से ऐसा लगता है कि उनका अगले सीजन में खेलना काफी मुश्किल है, क्योंकि वो टीम में वो वैल्यू नहीं प्रदान कर पा रहे हैं।
1. नए युवा खिलाड़ियों का पीकेएल में आना
पिछले कुछ सीजन के दौरान कई सारे नए खिलाड़ियों ने पीकेएल में अपना डेब्यू किया है। असलम ईनामदार, मोहित गोयत, भरत, अर्जुन देशवाल, नरेंद्र कंडोला, गुमान सिंह, शिवम पटारे, नितिन कुमार और प्रतीक दहिया जैसे खिलाड़ियों ने काफी जबरदस्त प्रदर्शन दिया है। ऐसे में टीमें अब इन प्लेयर्स पर ज्यादा दांव लगा रही हैं। इन खिलाड़ियों के पास बेहतरीन स्पीड और क्षमता है। ये अकेले दम पर मैच जिताने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में राहुल चौधरी की महत्वा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है और ऐसा लगता नहीं है कि पीकेएल के अगले सीजन के दौरान उन्हें कोई खरीददार मिलेगा।
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Sawan Gupta is a passionate sports enthusiast with a strong interest in cricket, hockey, badminton, and kabaddi. He supports RCB in the IPL and UP Yoddhas in the PKL, and admires PV Sindhu and Virat Kohli. Since 2017, Sawan has been writing sports articles, covering major events like the Pro Kabaddi League, Asian Games, Olympics, and various cricket tournaments.
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