PKL 11 में तमिल थलाइवाज की ताकतें और कमजोरियां
PKL 11 में लीग के सबसे महंगे खिलाड़ी सचिन तंवर से थलाइवाज को काफी उम्मीदें होंगी।
प्रो कबड्डी लीग (PKL) की शुरुआत 2014 में हुई थी, लेकिन तमिलनाडु की टीम को इसमें 2017 से खेलने का मौका मिला है। तमिल थलाइवाज अब तक सात सीजन खेल चुकी है, लेकिन वे खिताब के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं। तमिल थलाइवाज ने अपनी टीम में तमाम दिग्गजों को जगह दी है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। इस सीजन भी उन्होंने खूब पैसे खर्च किए हैं और सफलता की उम्मीदें करेंगे।
थलाइवाज ने सचिन तंवर को रिकॉर्ड फीस देकर साइन किया है। सचिन को लीग का सबसे महंगा खिलाड़ी बनाने वाली थलाइवाज उम्मीद करेगी कि वह उनका भाग्य बदलने में सफल रहें। रेडिंग में एक बड़ा नाम लाने के अलावा थलाइवाज ने डिफेंस में अपनी कोर बनाए रखी है। डिफेंस में सागर राठी और साहिल गुलिया जैसे लोगों को लगातार सीजन दर सीजन मौका देकर थलाइवाज ने उन पर अपना अटूट भरोसा बनाए रखा है। तो चलिए पीकेएल सीजन 11 (PKL 11) से पहले यहां जानते हैं कि इस सीजन क्या होंगी तमिल थलाइवाज की कमजोरी और मजबूतियां।
तमिल थलाइवाज का मजबूत पक्ष
डिफेंस में थलाइवाज से पार पाना किसी के लिए नहीं होगा आसान
सागर, साहिल, मोहित और एम अभिषेक डिफेंस में थलाइवाज के लिए साथ में लगातार चौथे सीजन खेलते हुए दिखने वाले हैं। लेफ्ट कॉर्नर साहिल ने पिछले साल 69 टैकल प्वाइंट लिए थे और थलाइवाज के बेस्ट डिफेंडर रहे थे। यह साहिल के लिए इस लीग में उनका बेस्ट सीजन था। दूसरी ओर सागर राठी ने सीजन दर सीजन लगातार कमाल का प्रदर्शन किया है। पिछले सीजन भी उन्होंने केवल 18 मैचों में 66 टैकल प्वाइंट्स लिए थे। सागर के नाम 200 से अधिक टैकल प्वाइंट्स दर्ज हैं।
साहिल ने भी 150 से अधिक टैकल प्वाइंट लिए हैं। इसके अलावा भी थलाइवाज के पास हिमांशु के रूप में एक अच्छा बैकअप भी है। लेफ्ट कॉर्नर हिमांशु भी 50 से अधिक मैच खेल चुके हैं। एम अभिषेक के पास भी 61 मैचों का अनुभव है। थलाइवाज के पास काफी बढ़िया डिफेंडर्स है और डिफेंस के मामले में उनकी गिनती सबसे बढ़िया टीमों में से एक में होती है। यदि थलाइवाज के मुख्य डिफेंडर्स लय में रहे तो फिर उनके लिए यह सीजन सुखद हो सकता है।
तमिल का कमजोर पक्ष
सचिन-नरेंदर लगा पाएंगे रेड में नैया पार?
थलाइवाज ने डिफेंस में तो अच्छी गहराई बनाई है, लेकिन रेडिंग में उनके पास सीमित विकल्प होने वाले हैं। सचिन ने अब तक छह सीजन खेले हैं और पांच में उन्होंने 170 या उससे अधिक प्वाइंट हासिल किए हैं। सचिन लीग के सबसे निरंतर रेडर्स में से एक हैं। हालांकि, सचिन के लिए अकेले किसी टीम की रेडिंग को चलाना आसान नहीं होगा। अब तक खेली हर टीम में उन्हें अच्छे सहयोगी मिले हैं। इस बार उनका सहयोग करने के लिए युवा नरेंदर कंडोला मौजूद होंगे।
नरेंदर ने अब तक दो सीजन खेले हैं और दोनों में ही उनका प्रदर्शन कमाल का रहा है। डेब्यू सीजन में उन्होंने 243 रेड प्वाइंट्स अपने नाम किए थे और पवन सहरावत की गैरमौजूदगी में अपनी टीम के लिए कमाल किया था। पिछले सीजन भी नरेंदर थलाइवाज के लिए 186 रेड प्वाइंट्स के साथ पहले स्थान पर रहे थे। यदि सचिन को नरेंदर का अच्छा साथ मिला था तो ये दोनों मिलकर थलाइवाज की नैया पार लगा सकते हैं। हालांकि, इनमें से एक के भी फॉर्म से बाहर होने या चोटिल होने की स्थिति में थलाइवाज मुश्किल में पड़ सकती है।
इन खिलाड़ियों पर होंगी निगाहें
2.15 करोड़ रूपये में बिकने वाले सचिन पर सबकी निगाहें खास तौर से रहने वाली हैं। सचिन ने हर सीजन खुद को हर परीक्षा में पास कराया है और थलाइवाज फैंस भी इसी उम्मीद में होंगे। नरेंदर ने पहले दो सीजन में ही 400 से अधिक रेड प्वाइंट्स लेकर अपनी क्षमता का परिचय करा दिया है।
नरेंदर भी लगातार तीसरे सीजन अपने प्रदर्शन को उच्चतम स्तर पर रखने की कोशिश करेंगे। डिफेंस में सागर राठी सबसे बड़ा नाम होने वाले हैं जिनके पास अच्छा अनुभव और स्किल दोनों ही है। यदि ये तीनों खिलाड़ी अपना बेस्ट दे सके तो थलाइवाज काफी अच्छी स्थिति में होगी।
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