पीकेएल 8: गुजरात जायंट्स के नॉकआउट की नाकामी रही कायम

(Courtesy : PKL)
नॉकआउट का दबाव एक बार फिर टीम पर पड़ा भारी।
गुजरात जायंट्स ने प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के 8वें सीजन में प्लेऑफ तक का सफर तय किया। वो प्वॉइंट्स टेबल में तीसरे पायदान पर रहे लेकिन इस बार भी टीम का ट्रॉफी जीतने का सपना नहीं पूरा हो पाया। गुजरात जायंट्स ने 22 में से 10 मुकाबले जीते, आठ हारे और चार मैच टाई खेले। टीम शुरूआत में ज्यादातर टाई मुकाबले खेल रही थी लेकिन उसके बाद लगातार मैच जीतकर प्लेऑफ में अपना स्थान पक्का कर लिया।
गुजरात जायंट्स को प्लेऑफ में बेंगलुरू बुल्स से हार का सामना करना पड़ा था। टीम एक बार फिर नॉकआउट स्टेज में आकर दबाव में बिखर गई। इसी वजह से वो सेमीफाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाए। टीम इतने करीब आकर भी टाइटल से दूर रह गई।
डिफेंस का नहीं चला उतना जादू
गुजरात जायंट्स की टीम पीकेएल के 8वें सीजन में अपने डिफेंस के दम पर ही चुनौती देने उतरी थी। कोच मनप्रीत सिंह ने अपने डिफेंस को काफी मजबूत किया था। गिरीश एर्नाक, सुनील कुमार, प्रवेश भैंसवाल, रविंदर पहल जैसे दिग्गज डिफेंडर टीम में थे। हालांकि इनका परफॉर्मेंस उतना अच्छा नहीं रहा। प्रवेश भैंसवाल ने जरूर दम दिखाया लेकिन बाकी खिलाड़ी उतना प्रभावित नहीं कर पाए।
प्रवेश भैंसवाल ने गुजरात जायंट्स की तरफ से सबसे ज्यादा 23 मैचों में 56 प्वॉइंट लिए। हालांकि ओवरऑल टूर्नामेंट में वो 9वें पायदान पर रहे। इसके अलावा गिरीश एर्नाक ने 19 मैचों में 46 प्वॉइंट हासिल किए। कप्तान सुनील कुमार ने 23 मैचों में सिर्फ 38 टैकल प्वॉइंट हासिल किए। जबकि रविंदर पहल पूरी तरह से फ्लॉप रहे और आठ मुकाबलों में 12 प्वॉइंट पर सिमट गए। अगर इन चारों दिग्गजों के प्वॉइंट को मिला दें तो टोटल 152 प्वॉइंट ही होते हैं जो काफी कम हैं। ऐसे में टीम जरूर अपने डिफेंस से निराश होगी।
नए रेडर्स ने दिखाया दमखम
गुजरात जायंट्स का डिफेंस काफी अनुभवी था लेकिन रेडिंग डिपार्टमेंट में इसकी कमी थी। टीम के रेडर्स के पास उतना एक्सपीरियंस नहीं था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने टूर्नामेंट में अपनी एक अलग छाप छोड़ी। राकेश, अजय कुमार, राकेश नरवाल और प्रदीप कुमार ने दिखाया कि अगर उनको लगातार मौके मिलें तो फिर वो भी नवीन और पवन जैसे दिग्गजों की श्रेणी में आ सकते हैं।
गुजरात जायंट्स के लिए सबसे ज्यादा प्वॉइंट राकेश ने लिए। उन्होंने 22 मैचों में 140 प्वॉइंट हासिल किए। इसके अलावा राकेश नरवाल ने 16 मैचों में 81, अजय कुमार ने 17 मैचों में 79 और प्रदीप कुमार ने भी 17 मैचों में 79 प्वॉइंट हासिल किए। शुरूआत में कोच मनप्रीत सिंह ने दोनों राकेश की जोड़ी को आजमाया और फिर प्रदीप और अजय को मौका दिया। हालांकि कई मौकों पर अनुभव की कमी साफ देखी गई लेकिन ओवरऑल इनका परफॉर्मेंस अच्छा रहा।
नॉकआउट मुकाबलों का "जिंक्स" नहीं तोड़ सकी गुजरात जायंट्स
कुछ टीमें ऐसी होती हैं जो लीग मुकाबलों में तो लगातार बेहतर खेल दिखाती हैं लेकिन नॉकआउट में आकर वो दबाव में बिखर जाती हैं। गुजरात जायंट्स का भी कुछ ऐसा ही हाल है। गुजरात जायंट्स लीग स्टेज में तीसरे पायदान पर रही और सेमीफाइनल में जाने के वो प्रबल दावेदार थे लेकिन इसके बावजूद उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। बेंगलुरू बुल्स के सामने गुजरात की टीम धराशायी हो गई। इसकी प्रमुख वजह टीम का खुद के ऊपर दबाव लेना था।
अगर हम रिकॉर्ड्स की बात करें तो इससे पहले टीम दो फाइनल मुकाबले हार चुकी है। पीकेएल सीजन-6 और सीजन-5 में टीम फाइनल तक पहुंची थी लेकिन दोनों ही बार उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस बार प्लेऑफ में टीम को हार मिली। इससे पता चलता है कि गुजरात के ऊपर नॉकआउट का प्रेशर कुछ ज्यादा ही रहता है और इस 'जिंक्स' को वो तोड़ नहीं पाते हैं। अगर टीम को आने वाले सीजन में पीकेएल की ट्रॉफी जीतनी है तो सबसे पहले उन्हें अपनी इस कमी को दूर करना होगा। उन्हें टीम में ऐसे प्लेयर लाने होंगे जो इससे पहले पीकेएल का टाइटल जीत चुके हों।
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