पांच इंडियन प्लेयर्स जिन्हें लोन पर आईएसएल से आई-लीग में जाना चाहिए
Published at :December 4, 2019 at 1:41 AM
Modified at :December 5, 2019 at 10:25 PM
वर्ष 2014 में शुरू हुई इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) अब भारत की नंबर-1 फुटबॉल लीग बन चुकी है। लीग में विदेशी और भारतीय खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण देखने को मिलता है और इंडियन नेशनल टीम में शामिल लगभग सभी खिलाड़ी इसी लीग में खेलते हैं।
इंडिया की नेशनल टीम में जगह बनाने और एक्सपोजर पाने के लिए भारतीय खिलाड़ी आईएसएल में ही खेलना चाहते हैं। इसी कारण से लीग में खेल रही टीमों में इंडिया के यंग प्लेयर्स की संख्या भी काफी ज्यादा है। हालांकि, इन प्लेयर्स को प्लेइंग-11 में जगह बनाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में खिलाड़ियों के पास लोन पर आई-लीग टीमों में शामिल होने का ऑप्शन भी खुल जाता है। कॉम्पिटिशन के लेवल को देखें तो आई-लीग और आईएसएल में कोई बड़ा अंतर नहीं है। पिछले दो सीजन में आई-लीग की टीमों ने दमदार प्रदर्शन करते हुए यह साबित भी किया है कि वे आईएसएल क्लबों से बिल्कुल भी पीछे नहीं हैं। हीरो सुपर कप में आई-लीग क्लबों ने दमदार प्रदर्शन किया है। ईस्ट बंगाल ने 2018 में हुए टूर्नामेंट के पहले एडिशन का फाइनल खेला था जबकि पिछले साल आई-लीग चैम्पियन चेन्नई सिटी एफसी ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। पिछले साल एआईएफएफ के साथ हुए विवाद के कारण आई-लीग की केवल तीन टीमों ने ही टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था। आई-लीग क्लब युवा खिलाड़ियों को बड़े नामों में बदलने का मादृा भी रखते हैं। कैप्टन फैनटास्टिक सुनील छेत्री और स्ट्राइकर जेजे लालपेखलुआ इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। छेत्री ने मोहन बागान के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी जबकि पुणे फुटबॉल क्लब के लिए खेलते हुए जेजे ने सबसे पहले सुर्खियां बटोरी। मौजूदा समय में कई युवा खिलाड़ी इनके नक्शे कदम पर चल सकते हैं। [KH_ADWORDS type="3" align="center"][/KH_ADWORDS] आईएसएल क्लबों के उन पांच खिलाड़ियों पर नजर डालते हैं जिन्हें लोन पर आई-लीग की किसी टीम में शामिल हो जाना चाहिए।1. धीरज सिंह
[embed]https://www.youtube.com/watch?v=USQ-KfUuhxE&t=2s[/embed]भारत में हुए पहले फीफा इवेंट अंडर-17 वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद सुर्खियां बटोरने वाले गोलकीपर धीरज को देश का भविष्य माना जा रहा है। धीरज ने कुछ समय पहले ही स्कॉटलैंड के टॉप क्लबों में से एक मदरवेल एफसी में ट्रायल दिया था, लेकिन फिलहाल उन्हें आईएसएल में भी गेम टाइम भी नहींं मिल पा रहा है।
धीरज इस सीजन की शुरुआत से पहले केरला ब्लास्टर्स से एटीके में शामिल हुए थे। हालांकि, 2019-20 सीजन में अभीतक उन्होंने एटीके के लिए एक भी मैच नहीं खेला है। उन्होंने पिछले सीजन केरला के लिए 13 मैच खेले जिसमें उन्होंने कुल 19 गोल खाए जबकि 32 सेव किए। पिछले सीजन केरला का प्रदर्शन खराब रहा और टीम प्वॉइंट्स टेबल में नौवें स्थान पर रही थी। धीरज का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं रहा और वह केवल चार क्लीन शीट ही रख पाए, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि उन्हें मैचों में खेलने का मौका मिला। मणिपुर से ताल्लुक रखने वाले धीरज केवल 19 साल के हैं और उनके पास अपने खेल में सुधार करने के लिए काफी समय है। नेशनल टीम में फिलहाल, गुरप्रीत सिंह संधु और अमरिंदर सिंह की जगह पक्की नजर आ रही है ऐसे में धीरज के ऊपर दबाव कम है और उनके पास आई-लीग के किसी क्लब में लोन पर शामिल होने का ऑप्शन खुला हुआ है। धीरज नॉर्थईस्ट रीजन के स्टार खिलाड़ी हैं और आई-लीग में इस रीजन से एजवाल एफसी और उनके घरेलू राज्य से नेरोका एवं ट्राओ एफसी खेल रही है जिसमें उन्हें जगह मिल सकती है।2. कोमल थट्टल
[embed]https://youtu.be/wgQclDpK7jo[/embed] कोमल ब्राजील के खिलाफ गोल करने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं, यहां देखिए उनका गोल धीरज की तरह फॉरवर्ड कोमल भी अंडर-17 वर्ल्ड कप में खेलने के कारण ही लाइमलाइट में आए थे और इन्हें भी आईएसएल में गेम टाइम नहीं मिल पा रहा है। धीरज की तरह कोमल भी एटीके के लिए खेलते हैं। कोमल 2017-18 सीजन में ही एटीके में शामिल हो गए थे। लीग में अपने पहले सीजन में कोमल को केवल दो मैचों में 24 मिनट खेलने का मौका मिला जबकि दूसरे सीजन में उन्होंने कुल 12 मैच खेले। हालांकि, 2018-19 सीजन में वह अबतक केवल एक मैच में छह मिनट ही खेले हैं। एटीके में रॉय कृष्णा और डेविड विलियम्स जैसे बड़े फॉरवर्ड खिलाड़ी पहले से मौजूद हैं जिसके कारण कोमल को आने वाले समय में भी प्लेइंग टाइम मिलने की उम्मीद लगभग ना के बराबर है। ऐसे में उन्हें भी ज्यादा मुकाबले खेलने के लिए आई-लीग का रुख करना चाहिए। कोमल के पास स्किल्स है, लेकिन उन्हें अपने गेम में अभी काफी सुधार करने की जरूरत है। आई-लीग क्लबों को युवा खिलाड़ियों को बड़ा नाम बनाने के लिए जाना जाता है और ऐसे में कोमल के लिए इन टीमों से खेलना एक सही फैसला साबित होगा। धीरज की तरह कोमल भी नॉर्थईस्ट रीजन से ताल्लुक रखते हैं और वहां के क्लबों के लिए लोन पर खेल सकते हैं।3. सैम्युल लालमुआनपुइया
सैम्युल 2019-20 सीजन की शुरुआत से पहले ही आईएसएल क्लब केरला ब्लास्टर्स में शामिल हुए थे और उन्हें अभी भी टूर्नामेंट में अपने डेब्यू का इंतजार है। सैम्युल एक अटैंकिंग मिडफील्डर के रूप में पिछले सीजन शिलॉन्ग लाजोंग के लिए आई-लीग में कुल 17 मैच खेले। इसके बाद, सीजन के अंत में वह लोन पर मिनर्वा पंजाब में गए और टीम के लिए एएफसी कप में कुल छह मैचों में मैदान पर दिखे। हालांकि, केरला में आने के बाद से उन्हें फील्ड पर उतरने का इंतजार है। सैम्युल एक बेहतरीन प्लेमेकर हैं और किसी भी टीम में नंबर-10 की अहम भूमिका को बखूबी निभा सकते हैं। असिस्ट देने के साथ ही वह फ्री किक भी लेते हैं, लेकिन उनकी इन सभी स्किल्स का उपयोग केरला की टीम नहीं कर पा रही है। ऐसे में सैम्युल के लिए भी आई-लीग की किसी टीम में लोन पर शामिल होना फायदे का सौदा साबित हो सकता है।4. निन्थोइंगांबा मीतेई
निन्थोइ के नाम से जाने-जाने वाला यह खिलाड़ी ज्यादातर विंग पर खेलता है। यह मेहनती है, इसके पास पेस है और यह कड़ी मेहनत भी करता है, लेकिन अंडर-17 वर्ल्ड कप में खेल चुके इस खिलाड़ी को धीरज और कोमल की तरह की आईएसएल में गेम टाइम नहीं मिल पा रहा है। 2019-20 सीजन की शुरुआत से पहले निन्थोई आईएसएल में खेल रहे क्लब नॉर्थईस्ट यूनाइटेड से जुड़े और वह अबतक टीम के लिए केवल एक मैच में सात मिनट ही खेले हैं। पिछले सीजन निन्थोइ इंडियन एरोज में शामिल थे और टीम के लिए आई-लीग में कुल 15 मैच खेले। निन्थोइ एक बेहतरीन टैलेंट हैं जिसे और बेहतर होने के लिए आई-लीग की टीम में शामिल होना पड़ेगा ताकि वह अधिक मैच खेल पाएं और अपने स्किल्स को निखारकर दोबारा आईएसएल में वापसी कर पाएं, ऐसी वापसी जिससे उन्हें नॉर्थईस्ट की प्लेइंग-11 में भी जगह मिल जाए।5. बिद्यानंदा सिंह
[caption id="attachment_26151" align="alignleft" width="1024"] बिद्यानंदा सिंह बार्सिलोना के कोचों के साथ [/caption] एफसी बार्सिलोना, मैनचेस्टर यूनाइटेड और इंटर मिलान जैसे विश्व के सबसे बड़े क्लबों के कोचों से ट्रेनिंग ले चुके 22 साल के बिद्यानंदा को भी आईएसएल में खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा। 2014 में बिद्यानंदा नाइकी द्वारा एशिया के टॉप 50 खिलाड़ियों में शामिल किए गए थे और उन्हें ट्रेनिंग के लिए यूएई भेजा गया था, लेकिन अब हालत यह है कि एक समय भारत का भविष्य बताए जाने वाले इस खिलाड़ी को मुंबई सिटी एफसी की प्लेइंग-11 में भी जगह नहीं मिल पा रही है। [KH_RELATED_NEWS title="Related News |आर्टिकल नीचे जारी है "][/KH_RELATED_NEWS] बिद्यानंदा सबसे पहले 2015-16 सीजन के लिए एटीके की टीम में शामिल हुए थे। इसके बाद, वह 2017 में बेंगलुरू एफसी गए और इस सीजन की शुरुआत से पहले उन्होंने मुंबई का रुख किया। हालांकि, विभिन्न टीमों के लिए पिछले पांच वर्षों में वह 15 मैचों में केवल 520 मिनट ही खेल पाए हैं। मुंबई के लिए वह अबतक एक बार फील्ड पर केवल 10 मिनट के लिए ही दिखे हैं। ऐसे में किसी आई-लीग क्लब में लोन पर शामिल होना ही उनके पास एकमात्र विकल्प हैं ताकि वह ज्यादा से ज्यादा मैच खेल पाएं और उम्र रहते अपने टैलेंट के साथ न्याय कर पाएं।Latest News
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