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निशु कुमार : लोगों को अभी भी नहीं पता कि मुजफ्फरनगर का लड़का इंडिया के लिए खेलता है

Published at :December 30, 2019 at 6:36 PM
Modified at :January 2, 2020 at 5:08 PM
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Gaurav Singh


इंडियन डिफेंडर ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि क्यों हिंदी हार्टलैंड तक फुटबॉल की चमक नहीं पहुंच पाई है।

उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे उत्तर भारत के राज्यों से इंडियन फुटबॉल टीम तक पहुंचने वाले खिलाड़ियों के नाम आप उंगलियों पर गिन सकते हैं। इन राज्यों में फुटबॉल के लिए सुविधाएं ना के बराबर हैं जो कई टैलेंटेड खिलाड़ियों के हौसले तोड़ देती है, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे हुए हैं जो इसके बाद भी पीछे नहीं हटे और अपने सपनों को पूरा किया। ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं निशु कुमार। 22 साल के निशु कुमार उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले ​में स्थित एक छोटे से गांव भोपा से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने इसी गांव में मौजूद जनता इंटर कॉलेज के ग्राउंड पर अपने सीनियर्स के साथ फुटबॉल खेलना शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। निशु डटे रहे और आज वह इंडियन फुटबॉल टीम एवं इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की टॉप टीम बेंगलुरू एफसी के लिए एक डिफेंडर के रूप में खेलते हैं। यह वही टीम है जिसके कैप्टन सुनील छेत्री हैं। [KH_ADWORDS type="3" align="center"][/KH_ADWORDS] "मेरे स्कूल के ग्राउंड पर सभी क्रिकेट और फुटबॉल खेलते थे और मैंने भी अपने सीनियर्स के साथ फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया। उन्हीं में कुछ प्लेयर्स लखनऊ स्पोर्टस कॉलेज के हॉस्टल के थे, वे बहुत अच्छा खेलते थे और हमेशा वहां की कहानियां बताया करते थे तो मेरा भी मन हुआ कि मैं भी होस्टल में जाकर रहूं और वहां फुटबॉल खेलूं।", अपने सफर को याद करते हुए निशु बताते हैं। निशु ने कहा, "कॉलेज में एडमिशन के लिए ट्रायल्स होते थे, लेकिन उस समय मैं पांचवीं या छठी क्लास में था और कम उम्र होने के कारण वहां जा नहीं पाया। मैं 11-12 साल की उम्र में ही अच्छे लेवल पर फुटबॉल खेलना चाहता था और यही ख्वाहिश मुझे चंडीगढ़ फुटबॉल एकेडमी (सीएफए) ले आई ​जहां मैंने कड़ी मेहनत की और अपने स्किल्स को बेहतर किया।" उनके पिता जी एक सरकारी नौकरी करते थे, जिसके कारण उन्हें दूसरे राज्य में जाकर फुटबॉल खेलने का मौका मिल पाया। हालां​कि, सभी के पास यह सुविधा मौजूद नहीं है और निशु ने माना ​कि सरकार को विभिन्न राज्यों में खेले से जुड़ी सुविधाओं को बढ़ाने पर काम करना चाहिए ताकि फुटबॉल में करियर बनाने का सपना देखने वाला हर बच्चा उसे पूरा कर सके। [KH_ADWORDS type="4" align="center"][/KH_ADWORDS] निशु कुमार ने बताया, "जब मैंने फुटबॉल खेलना शुरू किया तब सभी कहते थे कि पढ़ाई कर ले, ये गेम क्यों खेल रहा है और इसमें कोई करियर नहीं है, लेकिन मैं बहुत जिद्दी था। मैं यूपी में स्टेट लेवल पर खेलता था, वहीं से मुझे पता चला कि चंडीगढ़ में एक एकेडमी है और अगर मुझे आगे बढ़ना है तो वहां जाना होगा क्योंकि मेरे राज्य में उतनी सुविधाएं नहीं थी।" उन्होंने कहा, "उत्तरप्रदेश से ज्यादा खिलाड़ी इसलिए भी आगे नहीं जा पाते क्योंकि लोगों का फुटबॉल में इंटरेस्ट नहीं है। अभी भी वहां लोगों को पता नहीं है कि मुजफ्फरनगर का एक लड़का इंडियन टीम के लिए खेलता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य में लोगों को पता नहीं कि आगे कैसे बढ़ना है। किसी को अगर गेम में इंटरेस्ट भी है तो एक अच्छी एकेडमी न होने के कारण वह पीछे रह जाता है और फिर परिवार वाले भी उसे सपोर्ट नहीं करते।" निशु कुमार ने पंजाब और उत्तर प्रदेश में खेली जा रही फुटबॉल के बीच अंतर बताते हुए हमें मौजूदा स्थिति से अवगत कराने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "हमारे उत्तरप्रदेश में मंडल और स्टेट लेवल होता है और मैं खुद उसमें खेला हूं, लेकिन जब मैं चंडीगढ़ आया तब मुझे पता चला कि हमारे फुटबॉल और यहां के फुटबॉल की क्वॉलिटी में बहुत डिफरेंस है। चंडीगढ़ में सुविधाएं बहुत हैं, राज्य में बहुत बढ़ियां कोच हैं और आपके डाइट का खासकर ख्याल रखा जाता है। अगर यह सभी चीजें हमारे प्रदेश में भी बेहतर होती हैं तो हमारे राज्य और उसके आसपास के इलाकों से भी ज्यादा खिलाड़ी नेशनल टीम तक पहुंच पाएंगे।" [caption id="attachment_29454" align="aligncenter" width="2560"] निशु कुमार ने बेंगलुरू के लिए इस सीजन अबतक सभी मैच खेले हैं[/caption] उन्होंने उत्तर प्रदेश में मौजूद युवा खिलाड़ियों को संदेश देते हुए कहा, "अभी मुझे लगता है ​कि अगर आप छोटी सी उम्र में उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर फुटबॉल खेलते हो तो एक ​बढ़िया खिलाड़ी बनने के ज्यादा मौके हैं। हालां​कि, आपको हार मानने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप डटे रहे तो अपनी मंजिल जरूर हासिल कर लेंगे। मैं सरकार से भी अपील करना चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ग्रासरूट लेवल पर इस खेल पर काम किया जाए ताकि बच्चों को छोटी उम्र से ही एक्सपोजर मिले और वे आगे जाकर अच्छा कर सकें।" निशु पिछले महीने ओमान के खिलाफ खेले गए फीफा वर्ल्ड कप और एशियन कप क्वालीफायर्स में इंडिया के लिए खेले। टीम को रोमांचक मुकाबले में 1-0 से हार झेलनी पड़ी, लेकिन निशु को यकीन है कि टीम एशियन चैम्पियन ​कतर के खिलाफ अगले मैच में जीत दर्ज करेगी। [KH_RELATED_NEWS title="Related News|आर्टिकल नीचे जारी है"][/KH_RELATED_NEWS] उन्होंने कहा,"हमारे हेड कोच इगोर स्टीमाक टीम में एक नई फिलॉशफी लेकर आए हैं जिसमें ढलने में हमें थोड़ा समय लेगा। हालां​कि, अगर स्कोरिंग की समस्या को छोड़ दें तो मुझे लगता है कि हम बेहतरीन फुटबॉल खेल रहे हैं और अगले मैच में कतर को अपने घर में हराने में कामयाब रहेंगे।" भारतीय टीम अगले साल मार्च में कतर का सामना करेगी। भारत ने पिछली बार कतर को उसी के घर में गोल रहित ड्रॉ पर रोका था जिससे टीम का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है।

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