इस लिस्ट में उन स्टार प्लेयर्स के नाम शामिल हैं जिन्होंने पिछले एक दशक में इंडियन टीम में बड़ा योगदान दिया।
इंडियन फुटबॉल के लिए पिछले 10 साल रोमांच से भरे रहे और इस दौरान हमने कई बड़े बदलाव देखे। साल 2010 में फीफा रैंकिंग में 142वें पायदान पर रहने वाली इंडियन टीम 2019 के अंत तक 108वें स्थान पर पहुंच गई। टीम के लिए यह एक पॉजिटिव साइन है, लेकिन फैन्स अपने सुपरस्टार प्लेयर्स से इससे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदे रखते हैं।
हमने उन 11 प्लेयर्स को चुना है जिन्होंने पिछले 10 वर्षों में इंडिया के लिए दमदार प्रदर्शन किया। कुछ खिलाड़ी टीम में जगह पाने के बेहद करीब आए, लेकिन कम वोट मिलने के कारण वह इस लिस्ट से बाहर हो गए।
गोलकीपर
इस पोजिशन के लिए ज्यादा डिबेट करने की जरूरत नहीं पड़ी। गुरप्रीत सिंह संधु 2011 में इंडियन टीम के हेड कोच की तीसरी पसंद थे, 2015 में वह दूसरे नंबर पर आए और 2016 के बाद से लगातार प्लेइंग-11 का हिस्सा बन गए। उन्होंने करियर में अबतक कई बेहतरीन सेव किए हैं और एशियन चैम्पियन कतर के खिलाफ इस साल हुए मैच में सबसे यादगार प्रदर्शन किया। उन्होंने दर्जनों शॉट राके और इंडिया ने कतर के खिलाफ गोलरहित ड्रॉ खेला।
डिफेंस
हमने डिफेंस में प्रीतम कोटाल, अर्नब मंडल, संदेश झिंगन और नारायण दास को चुना है। पिछले 10 वर्षों में नेशनल टीम के लिए लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करने के कारण इन चार प्लेयर्स को चुना गया है।
2015 में इंटरनेशनल फुटबॉल में अपना डेब्यू करने वाले कोटाल ने इंडिया के लिए कुल 36 मैच खेले हैं। हाल में राहुल भेके ने राइटबैक पोजिशन पर खेलने वाले कोटाल को प्लेइंग-11 से जरूर बाहर कर दिया है, लेकिन वह वापसी करते रहते हैं। कोटाल अभी भी लगातार टीम में चुने जाते हैं।
सेंटरबैक मंडल ने 2013 से 2016 के बीच इंडिया के लिए कुल 27 मैच खेले। अर्नब ने टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया और इस लिस्ट में शामिल होने के लिए उनके एवं अनस एडाथोडिका के बीच कड़ा मुकाबला था।
मंडल के साथ सेंटरबैक पोजिशन के लिए हमने झिंगन को चुना है। झिंगन ने 2015 में डेब्यू करने के बाद इंडिया के लिए अबतक कुल 36 मैच खेले हैं और कई मौकों पर इंडिया के कैप्टन भी रहे हैं। 26 साल के इस खिलाड़ी ने कई बड़े क्लबों के लिए खेला है और सुनील छेत्री के जाने के बाद यह टीम के रेगुलर कैप्टन बन सकते हैं।
लेफ्टबैक की पोजिशन पर दास ने जगह बनाई है। वह पिछले एक दशक में लगातार इंडियन टीम की बैकलाइन का हिस्सा रहे हैं। सुभाशीष बोस को बहुत वोट मिले और कुछ ने जैरी लालरिनजुआला एवं धनाचंद्र सिंह का भी नाम लिया। हालांकि, ओडिशा एफसी के दास को सबसे ज्यादा वोट मिले, उन्होंने 2013 में अपना डेब्यू करने के बाद इंडिया के लिए अबतक 29 मैच खेले हैं।
मिडफील्ड
विंगर्स को चुनना बेहद आसान रहा, लेकिन मिडफील्डर्स को चुनने में काफी परेशानी हुई। अंत में हमने उदांता सिंह, राउलिन बोर्जेस, अनिरुद्ध थापा और होलीचरण नारजरी को चुना।
हमने उदांता और नारजरी को राइट एवं लेफ्ट विंग पर रखा है। उदांता और जैकिचंद सिंह के बीच कड़ी टक्कर रही, लेकिन अंत में अपनी क्वॉलिटी के कारण बेंगुलरू एफसी से खेलने वाले उदांता चुने गए। 2016 में महज 19 साल की उम्र में इंटरनेशनल फुटबॉल में कदम रखने वाले उदांता ने अबतक टीम के लिए कुल 27 मैच खेले हैं। नारजरी भी अबतक टीम का अहम हिस्सा रहे हैं, उन्होंने 2015 में अपना डेब्यू किया था और अबतक 26 इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं।
इंडिया के लिए अबतक 33 मैच खेलने और उसमें बेहतरीन प्रदर्शन करने के कारण बोर्जेस को भी इस टीम में जगह मिली है। बोर्जेस की पासिंग बहुत अच्छी है और वह मिडफील्ड में कई रोल निभा सकते हैं। उनके और प्रणॉय हल्दर के बीच कड़ी टक्कर रही, लेकिन हल्दर हमारी टीम में जगह नहीं बना पाए।
थापा टीम में दूसरे मिडफील्डर का रोल प्ले करेंगे। यूजेन्सन लिन्दोह और थापा के बीच इस पोजिशन के लिए कड़ी टक्कर हुई और अंत में थापा केवल एक वोट से जीते। 21 साल की उम्र में ही थापा ने इंडिया के लिए 24 मैच खेल लिए हैं, यहां तक की वह एक बार टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। लिन्दोह ने भी इंडिया के लिए इतने ही मैच खेले हैं। वह इंजरी के कारण लगातार नेशनल टीम का हिस्सा नहीं रह पाए और हमारी टीम में भी जगह बनाने से चूक गए।
अटैक
आपने सही सोचा, इंडियन कैप्टन सुनील छेत्री हमारी पहली पसंद हैं और उनका साथ निभाएंगे अनुभवी जेजे लालपेखलुआ। रॉबिन सिंह, सुभाष और बलवंत सिंह के नामों पर भी चर्चा हुई, लेकिन अंत में जगह जेजे को मिली।
छेत्री के नाम पर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं थी। वह शायद इंडिया के अबतक के बेस्ट फुटबॉल खिलाड़ी हैं और उन्होंने नेशनल टीम के लिए सबसे ज्यादा गोल भी किए हैं। उन्हें इंडिया के मिस्टर फुटबॉल के रूप में भी जाना जाता है और हमारी टीम में उन्हें शामिल न करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। पिछले 10 वर्षों से छेत्री ने नेशनल टीम का भार अपने कंधों पर उठा रखा है और अबतक 115 मैचों में 72 गोल किए हैं।
दूसरी ओर, मिजो स्नाइपर जेजे ने अबतक इंडिया के लिए 56 मैचों में 23 गोल किए हैं और हमारी टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे। रॉबिन ने भी नेशनल टीम के लिए 30 मैच खेले हैं, लेकिन वह 2011 में महज 20 साल की उम्र में अपना इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले जेजे की जगह नहीं ले पाए। रॉबिन ने इंडिया के लिए अबतक केवल पांच गोल किए हैं।
मैनेजर
इसके लिए भी हमें ज्यादा सोचना नहीं पड़ा। हमारे पास दो विकल्प थे विम कोवरमन्स एवं स्टीफन कॉन्स्टेनटीन और हमने इंग्लैंड से ताल्लुक रखने वाले कॉन्स्टेनटीन को चुना। वह इंडियन टीम को रैंकिंग में 173 से 97 तक ले आए और यह उपलब्धि किसी भी मायने में कम नहीं है। 2015 के बाद से उनके अंडर इंडियन टीम ने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया और कई यादगार जीत दर्ज की।