Khel Now logo
HomeSportsIPL 2024Live Score
Advertisement

फुटबॉल समाचार

फुटबॉल के जरिए बंगाल में कई बच्चों की जिंदगी को नई दिशा दे रही है यह बेबी लीग

Published at :October 1, 2020 at 12:52 AM
Modified at :October 1, 2020 at 12:53 AM
Post Featured Image

riya


टूर्नामेंट में अभी लगभग 400 बच्चे भाग ले रहे हैं।

लंबे समय से ऐसा कहा जा रहा है कि भारत में फुटबॉल का भविष्य तब तक उज्जवल नहीं हो सकता जब तक कि घरेलू स्तर पर इसके लिए काम किया न जाए। खिलाड़ियों को पांच-छह साल की उम्र से ही ट्रेन किया जाए। एआईएफएफ की गोल्ड बेबी लीग्स इसी कोशिश का नाम है। इन लीग्स में गोष्ठा पाल चैंपियनशिप गोल्डन बेबी लीग प्रमुख है। सालों पहले कोलकाता में इस अनाधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था जहां बच्चे अपनी प्रतिभा दिखाते थे।

इस लीग का नाम भारत के पहले पद्म श्री फुटबॉलर गोष्ठा पाल के नाम रखा गया था। इस लीग के ऑपरेटर सैमसुल अलम का कहना है कि इस लीग की मदद से ज्यादा बच्चों को फुटबॉल खेल से जोड़ने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, "असल में हम एक युवाओं का समूह है, हमारी कोशिश है कि फुटबॉल से जुड़ने वाले खिलाड़ियों को सही दिशा दे पाए क्योंकि इस उम्र में भटकाने वाली बहुत सी चीजें हैं। बच्चों को फोन पर वीडियो गेम्स की आदत लग जाती है, इसके अलावा बड़ती उम्र के साथ ड्रग्स और दारू की लत्त भी लग जाती है। खासकर स्ट्रीट पर रहने वाले बच्चों के लिए भटकना और आसान होता है। फुटबॉल के रास्ते हम उन्हें जिंदगी जीने का नई दिशा देते हैं।"

इसकी मदद से वह अभी तक 400 से ज्यादा बच्चों को नया रास्ता दिखा चुके हैं। उन्होने कहा, "हमारी लीग में खेलने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं। गालियों में रहने वाले बच्चों को अब हम देखते हैं कि उनकी जिंदगी में फर्क पड़ा है। इन बच्चों को सिर्फ दो साल ही हुए हैं और आप उनके बात करने के लहजे में अंतर देख सकते थे। फुटबॉल के कारण उन्होंने अपने विरोधियों का सम्मान करना सीखा है और इसका असर उनकी निजी जिंदगी में भी दिखता है।"

लीग में खेलने वाले एक बच्चे हैं आदित्य दास जोकि पिच पर कमाल कर रहे हैं जिससे वह कोचों के पसंदीदा खिलाड़ी बने हुए हैं। उनके परिवार वाले कचोरी बनाकर घर चालते हैं। आदित्य का फुटबॉल खेलना उनके परिवार के लिए काफी अहम है।

उनके पिता ने कहा, "मैं अपने बचपन में लोकल टूर्नामेंट में खेला करता था। लेकिन फिर पिता की मदद के लिए मैं उनके ठेले को संभलाने लगे। लेकिन मुझे खुशी होती है कि मेरा बेटा फुटबॉल खेलने का सपना पूरा कर रहा है। ज्यादातर ग्राहक सुबह और दोपहर में आते हैं। वहीं वीकेंड पर भी भीड़ रहती है इस वजह से बेटे का मैच नहीं देख पाता। लेकिन मैं उसे आगे फुटबॉल खेलता देखना चाहता हूं। यह सिर्फ उसका नहीं मेरा भी सपना है।"

भारत के पूर्व कप्तान गोष्ठा पाल सेंटर बैक पर खेलते और उनके शानदार डिफेंस के कारण उन्हें 'चाइनर प्राचीर' (ग्रेट ऑफ चाइना) कहा जाता है। उनके नाम पर चले वाली यह लीग 400 बच्चों को फुटबॉल से जोड़कर समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।

Latest News


Advertisement
Advertisement

TRENDING TOPICS

IMPORTANT LINK

  • About Us
  • Home
  • Khel Now TV
  • Sitemap
  • Feed
Khel Icon

Download on the

App Store

GET IT ON

Google Play


2024 KhelNow.com Agnificent Platform Technologies Pte. Ltd.