पांच कारण क्यों आईएसएल को रिजर्व लीग लाने की जरुरत है

कई सारे यंग प्लेयर्स को लीग में पर्याप्त मौका नहीं मिल पाता है।
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) इंडियन फुटबॉल में काफी अच्छी तरह से स्थापित हो चुका है, अब ऐसे में इसके ग्रोथ का समय आ गया है। ये लीग अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और इसी वजह से इसके डेवलपमेंट का काफी स्कोप बचा हुआ है।
लीग के 2020-21 सीजन में काफी सारे यंग प्लेयर्स निकलकर लाइमलाइट में आए। उन्होंने साबित किया कि इंडिया के पास काफी टैलेंट है और हजारों फैंस को प्रभावित किया। हालांकि कुछ प्रतिभाशाली खिलाड़ी ऐसे भी रहे जिन्हें ज्यादा मैचों में मौका ही नहीं मिला। लीग फॉर्मेट ज्यादा बड़ा नहीं होता है और इसी वजह से युवा और अनुभवी प्लेयर्स को टीमें ज्यादा महत्व देती हैं।
क्या यंग प्लेयर्स के हेल्प के लिए लीग अपने हिसाब से कुछ कर सकती है। यूरोप की ज्यादातर बड़ी लीग्स की तरह आईएसएल को भी रिजर्व में एक इंडिपिंडेंट लीग की जरुरत है। ऐसा क्यों है, हम आपको इसके पांच कारण बताते हैं:
5. कंपटीशन लेवल
इस वक्त कई आईएसएल टीमें एआईएफएफ के द्वारा आयोजित हीरो सेकेंड डिवीजन लीग में हिस्सा लेती हैं। हालांकि, टूर्नामेंट में इनका मकसद पूरी तरह से ज्यादा गेम टाइम पर होता है। इनके लिए कोई प्रमोशन का सिस्टम नहीं होता है। इंडिपिंडेंट रिजर्व लीग होने से इसमें बदलाव आएगा।
एकसमान क्लबों के बीच ज्यादा चुनौतीपूर्ण टूर्नामेंट्स का आयोजन हो सकेगा। हर टीम के पास ऐसे प्लेयर होंगे जो अपने कोचिंग स्टाफ को प्रभावित करना चाहेंगे। इससे प्लेयर्स के अंदर कंपटीशन लेवल काफी बढ़ जाएगा और उन्हें काफी फायदा होगा।
4. गेम टाइम
किसी भी प्लेयर के डेवलपमेंट के लिए पर्याप्त गेम टाइम मिलना काफी जरुरी है। आईएसएल एक शॉर्ट टर्म लीग है और इसी वजह से कई सारे युवा खिलाड़ी बेंच पर ही बैठे रह जाते हैं और उन्हें पूरा मौका नहीं मिल पाता है।
रिजर्व लीग होने से फायदा ये होगा कि इन प्लेयर्स को वहां पर खेलने का पूरा मौका मिल सकेगा। आयुष अधिकारी, बोरिस सिंह थंगजम, प्रभसुखन सिंह गिल और रोहित दानू समेत कई ऐसे प्लेयर्स हैं जो इस मौके के हकदार हैं। एक रिजर्व लीग उनके लिए काफी बड़ा प्लेटफॉर्म होगा।
3. लंबा कैलेंडर
इंडिपिंडेंट रिजर्व लीग में आईएसएल के पास मैचों की संख्या बढ़ाने की आजादी रहेगी और वो टूर्नामेंट का ड्यूरेशन भी बढ़ा सकते हैं। इससे डेवलपिंग प्लेयर्स को काफी फायदा होगा क्योंकि उन्हें लगातार खेलने का मौका मिल सकेगा।
जो वर्तमान कैलेंडर है वो ऐसे प्लेयर्स के लिए काफी छोटा है। स्टेट लीग छोटा होने की वजह से इनका सीजन काफी कम समय में ही खत्म हो जाता है। वहीं अगर आईएसएल के समांतर किसी रिजर्व लीग का आयोजन होता है तो फिर इससे प्लेयर्स को काफी ज्यादा समय मिल पाएगा।
2. आईएसएल क्लब के लिए पाइपलाइन
लीग में कई सारे क्लबों की अपनी फिलॉसफी है। सालों से उनकी सीनियर टीमें उसी तरह के स्टाइल का खेल दिखा रही हैं। हर सीजन में थोड़ा बहुत ही बदलाव होता है। लेकिन अगर उनकी ये फिलॉसफी प्लेयर्स के अंदर शुरुआती उम्र से ही भर दी जाए तो ज्यादा सही होगा। अगर रिजर्व लीग का आयोजन होता है तो फिर इन क्लबों के पास ये मौका रहेगा कि उस प्लेयर को अपने सिस्टम के हिसाब से ढाल सकें।
इसके अलावा वे इस टूर्नामेंट के दौरान दूसरी टीमों के प्लेयर्स पर भी नजर रख सकते हैं। इससे प्लेयर्स का भी ट्रांजिशन काफी बेहतरीन तरीके से हो सकेगा। एक बार किसी प्लेयर को सीनियर साइड में प्रमोट कर दिया गया तो उसे वहां के सिस्टम और फिलॉसफी के बारे में पहले से ही पता होगा। रिजर्व लीग होने से सुनील छेत्री और अनिरुद्ध थापा जैसे और प्लेयर्स के आने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
1. प्लेयर्स का ऑलराउंड डेवलपमेंट
इंडियन क्लब अब एशियन क्लब कंपटीशन में नियमित तौर पर हिस्सा लेने लगे हैं। एएफसी चैंपियंस लीग में एफसी गोवा का परफॉर्मेंस युवा भारतीय प्लेयर्स के टैलेंट को दिखाता है। अनुभव की कमी होने के बावजूद सैनसन परेरा जैसे खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया।
अगर उन जैसे प्लेयर्स को ज्यादा चुनौतीपूर्ण मुकाबले खेलने का मौका मिले तो उन्हें काफी फायदा होगा और उससे इंडियन टीम का काफी डेवलपमेंट होगा। रिजर्व लीग से ना केवल प्लेयर्स और उनके क्लबों को बल्कि देश को भी फायदा होगा। गेम टाइम, लंबा कैलेंडर और चुनौतीपूर्ण कंपटीशन के अलावा रिजर्व लीग से प्लेयर्स का डेवलपमेंट भी काफी ज्यादा हो सकेगा।
रिजर्व लीग होने से कई सारे टैलेंटेड खिलाड़ी निकलकर सामने आएंगे। नेशनल टीम के लिए भी बहुत सारे प्लेयर्स मिलेंगे। भारतीय टीम अभी भी एक बेहतरीन गोल स्कोरर की तलाश कर रही है और शायद इस रिजर्व लीग से ही वो तलाश खत्म हो जाए।

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