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फुटबॉल समाचार

मौजूदा समय में भारत की टॉप-5 दिग्गज महिला फुटबॉल खिलाड़ी

From stunning victories to unforgettable moments, get the inside scoop on every major story in the sports world.
Published at :April 28, 2021 at 6:33 PM
Modified at :April 28, 2021 at 6:33 PM
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इन खिलाड़ियों ने देश की तमाम लड़कियों के सामने उदाहरण पेश किया है।

पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर में महिला फुटबॉल काफी पॉपुलर हुआ है। कई महिला खिलाड़ियों ने इस खेल के बूते अपने आप को साबित किया है और वो अब पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। पर्निल हार्डर, एडा हेगरबर्ग, मार्ता डा सिल्वा विएरा और ऐसी ही कई खिलाड़ियों ने महिला फुटबॉल को दुनिया में नए आयामों तक पहुंचा दिया है।

ऐसे ही भारत में भी कई महिला एथलीट्स ने मुश्किलों का सामना करते हुए फुटबॉल को चुना और अपने टेलेंट के बूते नाम हासिल किया। अपनी अभूतपूर्व क्षमताओं के दम पर अन्य महिलाओं की तरह इन भारतीय महिलाओं ने भी महिला फुटबॉल को नई प्रसिद्धी दी है। ऐसी ही पांच महिला फुटबॉलर्स से आपको रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने आज अपने खेल के बूते भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाया है।

5. सस्मिता मलिक

ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले से आने वाली सस्मिता मलिक का फुटबॉल की दुनिया में सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। हालांकि, उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के बूते हर मुश्किल का डट कर सामना किया और खुद को भारतीय टीम में बनाए रखा।

मलिक ने महज 17 साल की उम्र में ही नेशनल टीम में डेब्यू कर लिया था और इसके बाद भी वो रुकी नहीं। लगभग एक दशक के अपने करियर के दौरान उन्होंने कई निर्णायक मुकाबलों में भारतीय टीम की कप्तानी की और शानदार जीत देश को दिलाईं। सैफ महिला चैंपियनशिप्स में लगातार जीत दर्ज करने वाले भारतीय स्क्वॉड में भी वो लगातार बनी रहीं। 2016 में सस्मिता मलिक के मैदान पर शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें एआईएफएफ महिला प्लेयर ऑफ द ईयर भी चुना गया था।

4. अदिति चौहान

चौहान ने इंग्लैंड में फुटबॉल खेला है।

अदिति चौहान का फुटबॉल जगत का सफर काफी प्रेरणाओं से भरा हुआ है। इस सफर का आगाज हुआ दिल्ली के एक युवा खिलाड़ी के तौर पर और ये भारतीय फुटबॉल टीम में नंबर एक बनने के बाद भी जारी रहा।

उन्होंने इंग्लैंड की लॉबोरो यूनिवर्सिटी से स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में एमएससी किया और वेस्ट हैम लेडीज के लिए भी खेलीं, इसी के साथ वो इंग्लैंड की प्रतियोगिताओं में खेलने वाली पहली एशियाई महिला खिलाड़ी बन गईं। हैमर्स के साथ दो सीजन खेलने के बाद वो भारत लौट आईं और गोकुलम केरल के साथ जुड़ गईं। यहां उन्होंने टीम को 2019-20 के इंडियन विमेंस लीग (आईडब्लूएल) का टाइटल जिताने में अहम रोल अदा किया।

चौहान 2016 और 2019 में सैफ चैंपियनशिप जीतने वाले भारतीय स्क्वॉड का भी हिस्सा रही हैं। अप्रैल 2021 में ये ऐलान किया गया कि वो आइसलैंड के क्लब हमर हवरगर्डी के साथ जुड़ गई हैं। अदिति चौहान सिर्फ एक टॉप गोलकीपर ही नहीं है, बल्कि वो कई युवा लड़कियों के लिए आदर्श बन गई हैं।

3. एल आशालता देवी

भारतीय महिला फुटबॉल टीम की मौजूदा कप्तान आशालता देवी चार बार सैफ महिला चैंपियनशिप और दो बार साउथ एशियन गेम्स जीत चुकी हैं। इंडियन विमेंस लीग में सेतु एफसी की तरफ से खेलने वाली आशालता देवी ने टीम को 2018-19 का खिताब दिलवाने में अहम योगदान दिया था और टीम का नेतृत्व भी किया था। उस साल उन्हें एआईएफएफ महिला प्लेयर ऑफ द ईयर के खिताब से भी सम्मानित किया गया था।

आशालता देवी महज 15 साल की उम्र में ही अंडर-17 नेशनल टीम के लिए चुन ली गई थीं, तभी उन्होंने ये बता दिया था कि उनका नाम लंबे समय तक फैंस को सुनाई देने वाला है। अंडर-17 नेशनल टीम में चुने जाने के बाद उन्होंने सीनियर टीम में पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगाया। पिछले कुछ वर्षों में अब वो टीम का एक अहम हिस्सा और घरेलू स्तर पर एक बड़ा नाम बन गई हैं। अब वो विदेश में खेलने के अपने सपने पर काम कर रही हैं। बहरहाल वो आगामी 2022 एएफसी महिला एशिया कप में भारतीय टीम का अहम हिस्सा हैं।

2. एन बाला देवी

Bala Devi
बाला देवी फिलहाल स्कॉटलैंड में खेल रही हैं।

साल 2019 में जब बाला देवी ने स्कॉटिश क्लब रेंजर्स के साथ ऐतिहासिक प्रोफेशनल कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, तब वो भारत के कई युवा खिलाड़ियों के लिए मिसाल बन गई थीं। मणिपुर की बाला देवी के सफर की शुरुआत नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट की अंडर-19 टीम से हुई। ऐज ग्रुप लेवल पर लगातार बेस्ट प्लेयर का खिताब जीतने के बाद उन्होंने मणिपुर की स्टेट सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने साल 2014 में इंडियन विमेंस फुटबॉल चैंपियशिप के सात मुकाबलों में 29 गोल दागते हुए मणिपुर को टाइटल जितवाया। इसके बाद दो बार वो एआईएफएफ की प्लेयर ऑफ द ईयर रहीं और लगातार भारतीय टीम में बनी रहीं।

रेंजर्स में शामिल होने के कुछ ही महीनों बाद बाला देवी ने स्कॉटिश चैंपियनशिप में गोल दागते हुए इतिहास रच दिया और ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। 30 साल की ये खिलाड़ी देश में फुटबॉल के प्रति जागरूकता फैला रही हैं और कई युवा खिलाड़ी उनके कदमों पर चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

1. ओइनम बेमबेम देवी

पद्म श्री और अर्जुन अवॉर्ड विजेता बेमबेम देवी भारतीय महिला फुटबॉल जगत में एक महान औहदा रखती हैं। नेशनल टीम की इस पूर्व कप्तान ने देश में फुटबॉल के विकास में अहम रोल अदा किया है। 1995 में बेमबेम देवी महज 15 साल की उम्र में ही सीनियर नेशनल टीम में शामिल हो गई थीं और सिर्फ आठ साल बात ही वो इस टीम की कप्तान बन गईं। 15 साल से ज्यादा वो नेशनल टीम के साथ जुड़ी रहीं और इस दौरान इस मिडफील्डर ने एशिया में भारतीय महिला फुटबॉल को कई कीर्तिमान स्थापित करने में मदद की। उनके नेतृत्व में भारत ने तीन सैफ कप टाइटल और साउथ एशियन गेम्स में दो गोल्ड मेडल जीते।

हाल ही में बेमबेम देवी ईस्टर्न स्पोर्टिंग यूनियन की कोच बनीं और टीम 2018 के आईडब्लूएल के फाइनल तक पहुंची। दो बार एआईएफएफ प्लेयर ऑप द ईयर रह चुकी बेमबेम देवी भारतीय फुटबॉल में एक बड़ा नाम हैं और वो लगातार इस खेल के प्रचार प्रसार में लगी हुई हैं।

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