विदेश में खेल सकते हैं भारतीय फुटबॉल के ये टॉप पांच सितारे
इनमें से कई युवाओं ने फैंस और आलोचकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
भारतीय फुटबॉल का भविष्य लगातार चर्चा का विषय बना रहता है। देश में शानदार उभरते हुए खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है। हालांकि, इनमें से कई की शुरुआत काफी अच्छी होती है लेकिन अंत में ये गुमनामी में खो जाते हैं। जो लोग अपने खेल को बरकरार रखते हैं वो इस खेल में अपनी अमिट छाप छोड़ देते हैं। इनमें से कुछ विदेशों में भी अपना कमाल दिखाते हैं।
किसी ओवरसीज क्लब के लिए साइन करने वाले मोहम्मद सलीम पहले भारतीय फुटबॉलर थे। इसके बाद बाइचुंग भूटिया, सुनील छेत्री और गुरप्रीत सिंह संधू का नाम भी इस लिस्ट में जुड़ा। भारत के नई पीढ़ी के कई खिलाड़ियों ने भी ऐसा प्रदर्शन हाल ही के वर्षों में दिखाया है, जिससे ये उम्मीद जागती हैं कि जल्द ही ये भी किसी विदेशी क्लब के साथ करार कर सकते हैं।
ऐसे में हम आपको ऐसे ही टॉप पांच अंडर-20 खिलाड़ियों से आपको रूबरू करा रहा है, जो विदेश में जाके खेल सकते हैं।
5. जीक्सन सिंह
फिलहाल भारत के सबसे पॉपुलर युवा खिलाड़ी जीक्सन सिंह ने इतिहास में अपना नाम तो तभी दर्ज करा दिया था, जब उन्होंने फीफा अंडस-17 वर्ल्ड कप में कोलंबिया के खिलाफ गोल दागा था। इसी के साथ वो किसी भी बड़े फीफा टूर्नामेंट में गोल दागने वाले भारत के पहले और इकलौते खिलाड़ी बन गए थे। अब जीक्सन 19 साल के हैं और केरला ब्लास्टर्स की तरफ से इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के दो सीजन खेल चुके हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू भी कर लिया है।
2020-21 के आईएसएल सीजन में जीक्सन ने 26 इंटरसेप्शन किए थे, जो कि केरला ब्लास्टर्स के किसी भी प्लेयर द्वारा किए सबसे ज्यादा इंटरसेप्शन थे। केरला ब्लास्टर्स की टीम में छटे सबसे ज्यादा टच और पासेस उन्होंने ही किए थे। उन्होंने 48 टैकल्स, 21 क्लियरेंस भी किए, जिसके चलते वो मिडफील्ड और बैक में टीम को मजबूत कर पाए थे।
4. आकाश मिश्रा
19 साल का हर खिलाड़ी क्रिकेट से फुटबॉल में इतने आराम से स्विच नहीं कर पाता, जितनी आसानी से हैदराबाद एफसी के लेफ्ट बैक आकाश मिश्रा ने किया। बलरामपुर के इस युवा की पहचान कोच मानोलो मारक्वेज ने महज एक मैच में ही कर ली थी और बता दिया था कि इसका भविष्य काफी चमकदार है।
मिश्रा एक रेगुलर लेफ्ट बैक नहीं हैं। वो जितन डिफेंड करने में बेहतर हैं, उतना ही वो लेफ्ट विंग की तरफ तेजी से दौड़ने की भी काबिलियत रखते हैं। यही कारण था कि आईएसएल 2020-21 में हैदराबाद एफसी की तरफ से सबसे ज्यादा टच (1250) और पास (827) इसी खिलाड़ी के नाम दर्ज है। इससे एक बात और साबित होती है कि आकाश मिश्रा को बॉल अपने पास रखने में बिल्कुल डर नहीं लगता। पिछले सीजन में उन्होंने 55 इंटरसेप्शन किए थे, जो कि लीग में तीसरे सबसे ज्यादा थे। मिश्रा ने 80 टैकल्स और 48 क्लियरेंस भी किए।
3. सुरेश सिंह वांगझम
बेंगलुरु एफसी के लिए मिडफील्ड में फुटबॉल खेलना हरगिज भी आसान नहीं है, खासकर 20 साल के किसी युवा खिलाड़ी के लिए। हालांकि, सुरेश सिंह वांगझम न सिर्फ इस पोजिशन पर खेलते हैं, बल्कि इसपर उन्होंने अब अपना अधिकार जमा लिया है। वांगझम भी अंडर-17 फुटबॉल वर्ल्ड कप स्टार हैं और इंडियन एरोज के लिए खेल चुके हैं। एआईएफएफ की टीम में वो डिफेंसिव मिडफिल्डर, सेंट्रल मिडफिल्डर और सेंट्रल बैक की पोजिशन पर भी खेल चुके हैं।
गेंद पर निगाह बनाए रखने और खेल को समझने की अपनी काबिलियत के चलते वो बेंगलुरु एफसी के सबसे बेहतरीन युवा भारतीय मिडफिल्डर भी बन गए। 72.42 फीसदी की पासिंग एक्युरेसी एक युवा खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात होती है। सुरेश टैकल करने के मामले में भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने आईएसएल 2020-21 में बेंगलुरु एफसी की तरफ से सबसे ज्यादा (68) टैकल्स किए थे।
2. लालेंगमाविया
कुछ खिलाड़ियों को जिम्मेदारी दी जाए तो वो और भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। इन्ही में से एक हैं लालेंगमाविया, जो कि आईएसएल के सबसे युवा कप्तान भी हैं। जिस दिन उन्होंने आर्मबैंड पहना, उसी दिन उन्हें फुटबॉल मैच का प्लेयर ऑफ द मैच अवॉर्ड भी मिला था। ये पहली बार नहीं है जब लालेंगमाविया ने ये बताया कि जिम्मेदारी मिलने के बाद उनमें और निखार आ जाता है। कोलंबिया के खिलाफ वर्ल्ड कप में वो सबस्टीट्यूट के तौर पर मैदान में आए और इसी के साथ मुकाबले में भारत ने वापसी भी की।
उनके डेब्यू आईएसएल सीजन में उन्होंने खुद को नॉर्थईस्ट यूनाइटेड की मिडफील्ड की अहम कड़ी बना लिया था और इस दौरान 10 मुकाबलों में उनकी पासिंग एक्युरेसी 80.45 रही थी। पिछले सीजन में वो सबसे ज्यादा इंटरसेप्शन करने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर थे। उन्होंने नॉर्थ ईस्ट यूनाइटेड के लिए 46 इंटरसेप्शन, 93 टैकल्स और 811 पास किए थे। लेकिन इससे भी ज्यादा है उनका हर स्थिति में शांत बने रहना, जिसके चलते वो आराम से खेल को कंट्रोल कर लेते हैं। उनकी ये काबिलियतें 20 साल के इस युवा खिलाड़ी के चमकदार भविष्य की ओर इशारा कर रहे हैं।
1. धीरज सिंह मोइरेंगथेम
वो एक शानदार गोलकीपर हैं, इसकी बानगी उन्होंने 2017 फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में दे दी थी। इसी के चलते मदरवेल एफसी ने उनके साथ तीन साल का करार किया, जो कि परमिट के कारणों के चलते सफल नहीं हो सकी। लेकिन इससे 20 साल के कस्टोडियन बिल्कुल भी हताश नहीं हुए। वो भारत के सबसे चहीते गोलकीपर्स में से एक बन गए। एफसी गोवा के साथ जुड़ने के बाद उनके करियर में और बेहतरी आ गई।
एएफसी चैंपियंस लीग में गोवा के लिए धीरज ने पांच मुकाबलों में 26 सेव किए और एक सप्ताह में दो बार उनका नाम एएफसी सीएल में शामिल किया गया। 86.2 फीसदी की सेव पर्सेंटेज के साथ धीर मुकाबले की ग्रुप स्टेज में सबसे सफल गोलकीपर थे। उन्होंने अल वहादा और अल रय्यान के खिलाफ क्लीन शीट भी बरकरार रखी, ये दोनों टीमें अपने-अपने देश की लीग्स की पूर्व विजेता रह चुकी हैं। वो अभी भी देश के सबसे बेहतरीन गोलकीपर्स में से एक हैं और उनके लिए विदेशी क्लब्स के लिए खेलना कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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