ब्रैंडन फर्नांडिस कैसे बने इंडियन फुटबॉल टीम के बेस्ट नंबर 10

इस युवा खिलाड़ी ने एफसी गोवा के लिए भी दमदार प्रदर्शन किया है।
एक 18 साल का खिलाड़ी प्रीमियर लीग और बाकी इंग्लिश लीग्स का ध्यान अपनी तरफ खींचे, ये रोजाना नहीं होता। हालांकि ब्रैंडन फर्नांडिस जैसे युवा खिलाड़ी ये करिश्मा कर दिखाते हैं। जब वह 18 साल के थे, तब ही उन्हें लेस्टर सिटी और संदरलेंड की तरफ से ट्रायल के लिए बुलावा आ चुका है। साउथ अफ्रीकन सिटी केप टाउन के एक क्लब एएसडी केप टाउन के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने फिर से भारतीय फुटबॉल में वापसी की और तब 20 साल के रहे इस खिलाड़ी ने स्पोर्टिंग क्लब गोवा के साथ जुड़कर शानदार प्रदर्शन दिखाया।
ब्रैंडन फर्नांडिस ने गोवा के इस क्लब के साथ ज्यादा समय तो नहीं बिताया, लेकिन अपने बेहतरीन खिलाड़ी होने के संकेत उन्होंने इतने से ही समय में देश को दे दिए थे। इसके बाद वह मुंबई सिटी एफसी के साथ जुड़े, लेकिन चोटिल होने के कारण 2015 में कुछ खास नहीं कर सके। मुंबई के बाद ये युवा अटैकिंग मिडफिल्डर तब के आई-लीग क्लब मोहन बगान के साथ जुड़ गया। हालांकि, यहां भी वो चोटिल हो गए और उनके जीवन के दो महत्वपूर्ण साल इस चोट के कारण बर्बाद हो गए।
उन्होंने फिर चर्चिल ब्रदर्स को ज्वाइन किया और आई-लीग में तीन बेहतरीन गोल दागे और चोटिल होने से खुद को लगातार बचाए रखा। इसके बाद एकबार फिर ब्रैंडन फर्नांडिस ने एफसी गोवा के साथ मिलकर इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में वापसी की और वो इस टीम के सबसे अहम खिलाड़ियों में से एक बन गए। अब ये 25 साल का युवा खिलाड़ी न सिर्फ एफसी गोवा बल्कि टीम इंडिया की भी मजबूत कड़ी बन गया है। उन्होंने 2019 में नेशनल टीम किए लिए डेब्यू किया था।
कई पोजीशन पर खेलने की क्षमता
वैसे तो ब्रैंडन फर्नांडिस टीम के नंबर 10 हैं, लेकिन वो कई और पोजिशन पर भी खेलने की बेहतरीन क्षमता रखते हैं। वो लेफ्ट विंग के साथ-साथ डीप में भी अच्छा खेलते हैं। गोवा की टीम मिडफील्ड से अपना अटैक तैयार करती है और उसमें फर्नांडिस का अहम रोल होता है। ऐसे में ब्रैंडन के कंधों पर गोल करने के लिए मौके बनाने की जिम्मेदारी भी होती है। इसी की बानगी है कि वो आईएसएल में अधिक असिस्ट करने वाले सबसे बेहतरीन भारतीय खिलाड़ी हैं।

सेट पीस में उनकी क्षमता से तो सब वाकिफ हैं, लेकिन वो अपने छोटे-छोटे पास और मूवमेंट से भी खेल पर अपनी पकड़ बनाए रखते हैं। ब्रैंडन फर्नांडिस ड्रिबल करने में उतने माहिर नहीं हैं, लेकिन गेंद के सामने किसी चट्टान की तरह खड़े होकर आमने-सामने की लड़ाई में वो काफी कारगार साबित होते हैं और विरोधी खेमे से बॉल छीनकर उसपर कंट्रोल कर लेते हैं।
आईएसएल और चैंपियंस लीग में प्रदर्शन
इस सीजन में एफसी गोवा एएफसी चैंपियंस लीग में भी खेली थी। इस दौरान उनका मुकाबलो उनसे कहीं ज्यादा बेहतर टीमों से हुआ। जिसमें अल रय्यान और अल वाहदा जैसी टीमों के खिलाफ गोवा का खेल काफी शानदार रहा था। इन दोनों टीमों के खिलाफ मुकाबले में फर्नांडिस ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा था।
हालांकि, अगर 2019-20 के आईएसएल सीजन की बात करें तो वो ब्रैंडन फर्नांडिस के लिए काफी अहम रहा था। इसी दौरान चोटिल होने के बाद वापसी करते हुए उन्होंने खुद को साबित किया था। उन्होंने इस दौरान दो गोल दागे और पांच असिस्ट किए थे, जोकि एक करिश्माई आंकड़ा नहीं है, लेकिन उनका प्रदर्शन टीम की लगातार जीत में काफी अहम था। सर्जियो लोबेरा ने इस दौरान उनपर खूब काम किया और उन्हें बॉल के साथ कॉन्फिडेंट बनाया।
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अगर ब्रेंडन न हों तो एफसी गोवा के ट्रांजिशन स्टाइल में वो तेजी नहीं होगी जो अभी है। वो खेल को जिस तरह से चलाते हैं, उसके चलते टीम को गोल दागने के कई अच्छे अवसर उपलब्ध होते हैं। उन जैसी ये क्षमता बहुत कम भारतीय खिलाड़ियों में ही है। उनकी इस क्षमता को देखते हुए ये तो कहा ही जा सकता है कि वो फिलहाल गोवा और भारतीय मिडफील्ड की सबसे मजबूत कड़ी हैं।
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