तीन टीमें जिन्हें PKL 12 के लिए अपना हेड कोच बदलना चाहिए
पीकेएल सीजन 11 में इन तीन टीमों ने सबसे ज्यादा कबड्डी फैंस को निराश किया।
प्रो कबड्डी लीग के 11वें सीजन (PKL 11) का समापन हो चुका है, जिसमें हरियाणा स्टीलर्स (Haryana Steelers) ने ना केवल टेबल में टॉप किया बल्कि खिताब भी जीता। हरियाणा के अलावा पटना पाइरेट्स और दबंग दिल्ली ने भी खासा प्रभावित किया। इस बार का सीजन काफी रोमांच से भी भरा रहा क्योकि अंतिम मुकाबलों तक भी यह पता नहीं चल पाया था कि टॉप-6 में कौन सी टीमें प्रवेश कर पाएंगी।
कोच का किसी टीम की सफलता में बहुत अहम योगदान होता है, जिन्हें मिनट दर मिनट नई-नई रणनीतियां बनानी पड़ती हैं। उन्हें कई बार मैच के बीच में ही गेम प्लान बदलना पड़ता है और इस मामले में मनप्रीत सिंह सीजन के सबसे बेस्ट कोच साबित हुए। मगर यहां हम उन तीन टीमों के बारे में आपको बताएंगे, जिन्हें अगले सीजन के लिए अपना कोच बदल देना चाहिए।
3. बंगाल वॉरियर्स – प्रशांत सुर्वे
पीकेएल 11 से पहले बंगाल वॉरियर्स ने अपने पूर्व कोच के भासकरन को रिलीज करके प्रशांत सुर्वे को हेड कोच बनाया था, जो पीकेएल 10 में इसी टीम के सहायक कोच थे। उनके कंधों पर भार था कि वो सीजन 7 के बाद से चले आ रहे बंगाल के खराब दौर को समाप्त करें। उन्हें मनिंदर सिंह, फजल अत्राचली और नितेश कुमार जैसे दिग्गजों से सुसज्जित टीम से बहुत आशा थी, दुर्भाग्यवश वो टीम को बेहतर संयोजन नहीं दे सके।
बंगाल के पास बढ़िया स्क्वाड था, मनिंदर सिंह जैसा स्टार रेडर और फजल अत्राचली जैसा विश्व का टॉप डिफेंडर और अव्वल दर्जे का कप्तान भी था। मगर कोच प्रशांत सुर्वे के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह रही कि शुरू से लेकर अंत तक वो टीम कॉम्बिनेशन तैयार कर ह नहीं पाए। बंगाल ने पूरे सीजन में 22 मैचों में केवल 5 जीत दर्ज कीं और टीम टेबल में दसवें स्थान पर रही।
2. तमिल थलाइवाज – उदय कुमार और धर्मराज चेरालाथन
तमिल थलाइवाज ने इस बार उदय कुमार और धर्मराज चेरालाथन के रूप में 2 कोच नियुक्त किए थे, लेकिन यह रणनीति एकदम बेकार साबित हुई। उदय कुमार मुख्य कोच रहे, वहीं चेरालाथन का काम रणनीति तैयार करने का था। कबड्डी के दो दिग्गज एकसाथ आकर भी थलाइवाज की किस्मत नहीं बदल पाए।
थलाइवाज की टीम में इस बार सचिन तंवर, नरेंदर कंडोला और साहिल गुलिया जैसा प्रतिभाशाली डिफेंडर था। थलाइवाज टेबल में नौवें स्थान पर रहे और टीम के खराब प्रदर्शन का एक कारण खिलाड़ियों का लगातार चोटिल होना भी रहा। मगर सवाल यह भी उठना चाहिए कि क्या तमिल थलाइवाज को 2 कोचों के साथ जाने की रणनीति का खामियाजा भुगतना पड़ा।
1. बेंगलुरु बुल्स – रणधीर सिंह सहरावत
रणधीर सिंह सहरावत सबसे पहले सीजन से ही बेंगलुरु बुल्स टीम का हिस्सा बने रहे हैं। प्लेयर्स आते-जाते रहे लेकिन रणधीर लगातार 11 सीजन से इस टीम की कोचिंग करते रहे हैं और इस दौरान छठे सीजन में बुल्स को चैंपियन भी बनाया। दुर्भाग्यवश PKL 11 बुल्स के लिए बहुत बेकार साबित हुआ। दरअसल बेंगलुरु बुल्स के पतन की शुरुआत ऑक्शन टेबल पर ही हो गई थी क्योंकि टीम एक मजबूत स्क्वाड तैयार नहीं कर सकी थी।
PKL 11 में बुल्स ने 22 मैचों में सिर्फ 2 जीत दर्ज कीं और इस तरफ मैनेजमेंट को जरूर ध्यान देना चाहिए। बुल्स लगातार 2 सीजन से प्लेऑफ में नहीं पहुंच पाई है, जिसके कारण बहुत हद तक संभव है कि टीम मैनेजमेंट रणधीर को अपनी सेवाओं से मुक्त कर सकता है।
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