PKL 10: पटना पाइरेट्स टीम प्रोफाइल
तीन बार की चैंपियन चौथी बार खिताब जीतने के इरादे से उतरेगी।
पटना पाइरेट्स की टीम प्रो कबड्डी लीग (PKL) इतिहास की सबसे सफल टीम रही है। इस टीम ने अभी तक सबसे ज्यादा तीन बार पीकेएल की ट्रॉफी जीती है। हालांकि पिछले सीजन टीम का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा था।
बता दें बीते सीजन टीम ने 22 में से सिर्फ 8 ही मुकाबले में जीत हासिल की, जबकि 11 मैचों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इन आंकड़ों से साफ पता चलता है की पटना एक उच्च स्तरीय टीम से निम्न स्तर पर पहुंच गई है और इसका बड़ा कारण है टीम में अनुभव और बैलेंस की कमी। 10वें सीजन से पहले पटना ने अपनी टीम में कई फेरबदल कई हैं, ऐसे में देखने वाली बात होगी की आखिर इस बार टीम अच्छा कर पाती है या नहीं। तो चलिए आगामी सीजन (PKL 10) के आगाज से पहले हम आपको बताते हैं कि पटना पाइरेट्स का मजबूत पक्ष और कमजोर पक्ष क्या है।
पटना पाइरेट्स का मजबूत पक्ष
सचिन तंवर रेडिंग में निभाएंगे अहम भूमिका
पटना पाइरेट्स के पास एक समय पर परदीप नरवाल जैसा स्टार रेडर था, जिन्होंने इस टीम को तीन बार पीकेएल का खिताब जीताने में अहम भूमिका निभाई थी। अब भले ही परदीप टीम का हिस्सा न हो, लेकिन सचिन तंवर जैसे अनुभवी और बेहतरीन रेडर उनकी कमी टीम को महसूस नहीं होने देते। बता दें सचिन पिछले कई सीजन से लगातार टीम के साथ बने हुए हैं और इस बार भी वो पटना के रेडिंग डिपार्टमेंट में अहम भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे। सचिन का टीम को 8वें सीजन के फाइनल में पहुंचाने में बहुत बड़ा योगदान रहा था।
वहीं अगर हम बीते सीजन की बात करें तो, 9वें सीजन के दौरान भी सचिन ने रेडिंग में सबसे ज्यादा प्वाइंट लिए थे। उन्होंने 20 मैचों में 176 प्वाइंट हासिल किए थे और टॉप-10 रेडर्स की लिस्ट में आठवें पायदान पर मौजूद थे। ऐसे में सचिन जैसे रेडर इस बार भी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे।
पटना पाइरेट्स का कमजोर पक्ष
खराब फॉर्म एक बार फिर खड़ी कर सकता है पटना की मुश्किलें
नीरज कुमार जो बीते सीजन पटना के कप्तान थे, उनका प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं था। आप समझ सकते हैं अगर टीम के कप्तान का प्रदर्शन ही खराब हो तो बाकी खिलाड़ियों का आत्मविश्वास भी कम हो जाता है। बीते सीजन नीरज ने 21 मैचों में केवल 29 टैकल पॉइंट लिए थे और उनके खराब फॉर्म के चलते रेडिंग में सचिन पर बहुत प्रेशर बना था। ऐसे में अगर इस बार भी यह नहीं चले तो फिर रेडिंग से ही सारे पॉइंट्स लाने का दारोमदार सचिन के कंधो पर आ जाएगा।
हालांकि, अच्छा प्रदर्शन न करने के बावजूद पटना नीरज को ही इस बार भी कप्तानी का जिम्मा सौंप सकते हैं, क्योंकि उनके अलावा और कोई अनुभवी और लीडरशिप रोल निभाने वाला खिलाड़ी टीम के पास मौजूद नहीं है।
मनीष पर रहेगा डिफेंस का दारोमदार
मनीष धुल पटना के डिफेंस में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन बीते सीजन कुछ खास नहीं था। यही वजह है की टीम का डिफेंस काफी लड़खड़ाया हुआ नजर आया था, खराब प्रदर्शन के बावजूद पटना ने आगामी सीजन के लिए भी मनीष को रिटेन किया है। ऐसे में इस बार टीम को मनीष से काफी उम्मीदें रहेगी और वह खुद भी चाहेंगे की टीम की उम्मीदों पर खरे उतरे।
इन खिलाड़ियों पर होगी निगाहें
सचिन तंवर ने 9वें सीजन भले ही अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इस सीजन भी उनसे टीम को सबसे ज्यादा उम्मीदें होंगी। अगर पटना को अच्छा करना है तो सचिन का चलना काफी जरुरी बन जाता है। उनके अलावा बीते सीजन टीम के कप्तान नीरज कुमार जिन्हें खराब प्रदर्शन के बावजूद टीम ने इस बार रिटेन किया है। उनके ऊपर भी सचिन का साथ देने और टीम का संतुलन बनाए रखने का दारोमदार होगा। ये दोनों ही खिलाड़ी टीम के लिए काफी अहम है, ऐसे में इन दोनों के ऊपर हर किसी की निगाहें रहने वाली हैं।
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