PKL 11 में बंगाल वॉरियर्स की ताकतें और कमजोरियां
PKL 11 में बंगाल वॉरियर्स का टीम कॉम्बिनेशन काफी जबरदस्त है।
बंगाल वॉरियर्स (Bengal Warriors) प्रो कबड्डी लीग में सीजन 7 की चैंपियन थी, लेकिन उसके बाद यह टीम एक बार भी प्लेऑफ में नहीं पहुंची है। दसवें सीजन में बंगाल प्लेऑफ के करीब तो आई लेकिन उसे सातवें स्थान से संतोष करना पड़ा, लेकिन पीकेएल 11 (PKL 11) में टीम का कॉम्बिनेशन पहले की तुलना में बहुत मजबूत दिखाई पड़ रहा है।
मनिंदर सिंह सीजन 7 से ही लगातार बंगाल के साथ जुड़े रहे हैं और उसके बाद लगभग प्रत्येक सीजन 200 से अधिक पॉइंट्स बटोरते आ रहे हैं। इस बार बंगाल के स्क्वाड को देख कोई भी व्यक्ति यही कहेगा कि ये टीम इस सीजन चैंपियन बनने की हकदार है, क्योंकि इस बार बंगाल के पास दिग्गज रेडर से लेकर डिफेंडर तक मौजूद हैं। तो चलिए PKL 11 शुरू होने से पहले बंगाल वॉरियर्स के मजबूत और कमजोर पक्ष के बारे में हम आपको बताते हैं।
टीम का मजबूत पक्ष
रेडिंग में अनुभव और प्रतिभा की भरमार
आगामी सीजन के लिए बंगाल वॉरियर्स के पास मनिंदर सिंह के रूप में एक दिग्गज रेडर है, जिनके नाम पीकेएल के इतिहास में 1,428 रेड पॉइंट्स हैं। उन्हें इस बार बंगाल ने फाइनल बिड मैच (FBM कार्ड) का इस्तेमाल करके 1.15 करोड़ रुपये में खरीदा है। वहीं पिछले साल अपना डेब्यू करने वाले नितिन कुमार ने 169 रेड पॉइंट हासिल करके बता दिया था कि वो मनिंदर के लिए एक बेहतरीन सपोर्टिंग रेडर साबित हो सकते हैं।
वहीं एस विश्वास अब खूब सारा अनुभव हासिल कर चुके हैं। दूसरी ओर प्रणय राणे के अलावा 41 लाख में बिके अर्जुन राठी भी बंगाल की रेडिंग यूनिट को मजबूती दे रहे होंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो बंगाल वॉरियर्स की रेडिंग में अनुभव और प्रतिभा की शानदार झलक दिखाई पड़ रही है।
डिफेंस में भरे पड़े हैं दिग्गज
बंगाल के डिफेंस को इस बार फजल अत्राचली लीड कर रहे होंगे, जिनके ऊपर ऑक्शन में 50 लाख रुपये की बोली लगी थी। अत्राचली पीकेएल इतिहास में सबसे ज्यादा टैकल पॉइंट्स (486) हासिल करने वाले प्लेयर हैं। अत्राचली लेफ्ट कॉर्नर तो दूसरी ओर नितेश कुमार राइट कॉर्नर पर विपक्षी रेडरों के लिए मुश्किल पेश करेंगे। नितेश पीकेएल इतिहास में 350 टैकल पॉइंट्स का आंकड़ा छू चुके हैं।
पिछले सीजन 50 से अधिक टैकल पॉइंट्स हासिल करने वाले वैभव गरजे और मयूर कदम भी बंगाल के डिफेंस को वर्ल्ड-क्लास बना रहे होंगे। कॉर्नर की बात करें या कवर पोजीशन की, बंगाल वॉरियर्स के लिए डिफेंस में सब सेट नजर आ रहा है। उनकी बेंच स्ट्रेंथ भी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से भरी पड़ी है।
टीम का कमजोर पक्ष
पीकेएल 11 में ऑलराउंडर खिलाड़ियों की कमी बंगाल वॉरियर्स की सबसे बड़ी कमजोरी कही जा सकती है। पिछले सीजन पुनेरी पलटन के चैंपियन बनने में सबसे बड़ा योगदान यही रहा था कि उनकी टीम ऑलराउंडर खिलाड़ियों से भरी हुई थी। ऑलराउंडर खिलाड़ी होना रेडिंग और डिफेंस की जरूरत पड़ने पर भी जिम्मेदारी संभाल सकता है सागर कुमार के अलावा बंगाल के पास कोई ऑलराउंडर खिलाड़ी नहीं है। सागर सीजन 9 में पटना पाइरेट्स के लिए खेले थे, जहां उन्होंने महज 7 अंक हासिल किए थे।
इन खिलाड़ियों पर होंगी निगाहें
बंगाल वॉरियर्स बड़े स्टार खिलाड़ियों से भरी पड़ी है। मनिंदर सिंह एक बार फिर रेडिंग को लीड करेंगे, लेकिन उनके साथ-साथ देखना दिलचस्प होगा कि नितिन कुमार और एस विश्वास सपोर्टिंग रेडर के रोल में कितने सफल हो पाते हैं। वहीं डिफेंस की कमान फजल अत्राचली और नितेश कुमार के हाथों में होगी। युवा खिलाड़ियों में अर्जुन राठी, आकाश चौहान और युवा कबड्डी सीरीज से आए श्रेयस उम्बरदंड पर भी सबकी नजरें होंगी।
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