टॉप पांच भारतीय खिलाड़ी जो विदेशी फुटबॉल क्लब के लिए खेले

इन भारतीय फुटबॉलर्स ने विदेशों में भी देश का नाम रोशन किया।
जब हम किसी भारतीय फुटबॉलर को विदेशों में खेलते हुए देखते हैं तो उसका मजा ही अलग होता है। इंडियन खिलाड़ी को विदेशी क्लब के लिए खेलते हुए देखकर काफी गर्व की भावना आती है। हालांकि, काफी कम ही फुटबॉल खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें यूरोप या फिर किसी और बेहतरीन विदेशी लीग में खेलने का मौका मिला है।
इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत में एक्सपोजर की कमी है और फीफा रैंकिंग में भी इंडियन फुटबॉल टीम का स्थान काफी नीचे है। इसी वजह से विदेशी क्लब भारतीय खिलाड़ियों को साइन करने में हिचकिचाते हैं। कई ऐसे खिलाड़ी भी होते हैं जो खुद किसी विदेशी क्लब के लिए नहीं खेलना चाहते, लेकिन कुछ प्लेयर ऐसे होते हैं जो बाहर खेलना चाहते हैं और उन्होंने ऐसा करके भी दिखाया।
हम आपको उन पांच दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने विदेशी क्लबों के लिए खेला:
5. सुब्रता पॉल
अपने करियर के शुरुआती दिनों में सुब्रता पॉल ने ईस्ट बंगाल की टीम की तरफ से खेलते हुए सबको प्रभावित किया था। अपने बेहतरीन मूव्स की वजह से उन्हें 'इंडियन स्पाइडरमैन' कहा जाने लगा था। उनके लगातार शानदार प्रदर्शन को देखते हुए डेनमार्क के टॉप फ्लाइट क्लब एफसी वेस्ट्सजेलैंड ने उन्हें साइन किया था।
इसके साथ ही सुब्रता पॉल विदेश में खेलने वाले पहले इंडियन गोलकीपर बन गए थे। हालांकि पॉल को सिर्फ रिजर्व में ही रखा गया था लेकिन उन्हें वहां से काफी सारा अनुभव हासिल हुआ। उन्होंने जब वहां से वापसी की तो वो और बेहतरीन और मैच्योर प्लेयर बन चुके थे जो अब भी इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में अपना जलवा दिखा रहे हैं।
4. मोहम्मद सलीम
मोहम्मद सलीम उस दौरान खेला करते थे जब भारतीय फुटबॉलर्स के पास शूज नहीं हुआ करते थे और वो नंगे पैर ही खेलते थे। वो मोहम्मडन स्पोर्टिंग साइड का हिस्सा हुआ करते थे जिसने 1930 के दशक में कोलकाता फुटबॉल पर राज किया। ब्लैक पैंथर्स की टीम को कई टाइटल जिताने में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया, जिसमें कलकत्ता फुटबॉल लीग भी शामिल थी।
उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए 1936 में चाइनीज ओलंपिक साइड ने उन्हें कुछ फ्रैंडली मैच खेलने के लिए आमंत्रित किया। पहले मैच में प्रभावित करने के बाद सलीम के एक रिश्तेदार ने उन्हें और बेहतरीन मौके के लिए यूरोप जाने का सुझाव दिया। सलीम को सेल्टिक एफसी ले जाया गया और वहां पर इस क्लब ने उनका मजाक उड़ाया। सेल्टिक एफसी ने नंगे पांव खेलने वाले इंडियन फुटबॉलर को अपनी टीम के लायक नहीं समझा लेकिन ट्रायल के दौरान सलामी के बेहतरीन फुटवर्क को देखकर उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर इस दिग्गज खिलाड़ी को साइन कर लिया।
हालांकि, दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मोहम्मद सलीम होमसिक हो गए और उन्हें वापस लौटना पड़ा। सेल्टिक टीम ने उनके लिए एक चैरिटी मैच कराने और उस मैच के गेटमनी का 5 प्रतिशत देने की बात कही लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। सलीम ने एक जर्मन क्लब के ऑफर को भी ठुकरा दिया था।
3. बाईचुंग भूटिया
इंडियन फुटबॉल में अपना नाम कमाने के लिए बाईचुंग भूटिया को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी लेकिन आज उनकी गिनती भारत के महान फुटबॉलर्स में होती है। 1990 में ईस्ट बंगाल टीम की तरफ से बेहतरीन प्रदर्शन करके उन्होंने काफी नाम कमाया। इसके बाद इंग्लैंड की ब्यूरी एफसी टीम से उन्हें खेलने का ऑफर आया।
उनके ट्रॉयल एस्टन विला और वेस्ट ब्रोमविच अल्बियन के साथ भी थे लेकिन आखिर में जाकर उन्होंने मैनचेस्टर की इस टीम के साथ करार किया। उन्होंने तीन सीजन में टीम के लिए कुल 37 मुकाबले खेले और कई बेहतरीन गोल भी किए। वो 2002 में वापस आ गए और मोहन बगान के साथ एक सीजन खेलने के बाद मलेशिया की पेरक एफए टीम के लिए खेलने चले गए। वहां पर वो लोन करार के तहत गए थे और उसके बाद 2005 में मलेशिया की एक और टीम एमके लैंड एफसी के लिए खेला।
2. सुनील छेत्री
सुनील छेत्री इस वक्त इंडिया के सबसे बड़े फुटबॉलर्स में से एक हैं। उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर कई मैचों में इंडियन टीम को जीत दिलाई है। सुनील छेत्री ने भी कई विदेशी क्लबों के लिए खेला था। उनको पहले इंग्लैंड की क्वींस पार्क रेंजर्स के लिए खेलने की अनुमति नहीं मिली थी क्योंकि भारतीय टीम उस वक्त फीफा रैंकिंग में टॉप 70 में नहीं थी। इसकी वजह से छेत्री को 2010 में कैन्सस सिटी विजर्ड्स के लिए खेलना पड़ा। उन्होंने उनके लिए कई सारे प्री-सीजन मैचों में खेला जिसमें मैनचेस्टर यूनाईटेड के खिलाफ मुकाबला भी शमिल था।
उन्होंने एक साल से कम वक्त तक इस क्लब के लिए खेला और उन्हें 2012 में स्पोर्टिंग लिस्बन टीम ने साइन किया। उन्होंने उनकी रिजर्व टीम के लिए खेला और सबको प्रभावित किया। 2013 में वो इंडिया वापस लौट गए और उसके बाद बेंगलुरु एफसी ने उन्हें साइन कर लिया।
1. गुरप्रीत सिंह संधू
गुरप्रीत सिंह संधू शायद विदेशी क्लब के लिए खेलने वाले आखिरी भारतीय खिलाड़ी हों लेकिन उन्हें बाकी खिलाड़ियों से ज्यादा सफलता मिली। 2014 में नॉर्वे के एफसी स्टाबेक क्लब ने उन्हें साइन किया था। 2015 में उन्होंने टीम के लिए सीनियर डेब्यू किया और 2016 के नॉर्वेजियन फुटबॉल कप के सारे मैच खेले।
उन्होंने उसी साल नॉर्वेजियन लीग में भी अपना डेब्यू किया और यूरोप की टॉप डिवीजन लीग में खेलने वाले पहले इंडियन फुटबॉलर बने। 30 जून 2016 को उन्हें स्टाबेक टीम के साथ यूएफा यूरोपा लीग में क्वालीफाइंग राउंड के मैच में खेलने का मौका मिला। 2017 में वो वापस इंडिया आ गए।
Sawan Gupta is a passionate sports enthusiast with a strong interest in cricket, hockey, badminton, and kabaddi. He supports RCB in the IPL and UP Yoddhas in the PKL, and admires PV Sindhu and Virat Kohli. Since 2017, Sawan has been writing sports articles, covering major events like the Pro Kabaddi League, Asian Games, Olympics, and various cricket tournaments.
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