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बाला देवी चाहती हैं कि महिलाओं की भी कोलकाता डर्बी खेली जाए

Published at :November 26, 2020 at 12:22 AM
Modified at :November 26, 2020 at 12:22 AM
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Gaurav Singh


इंडियन वुमेन्स टीम की खिलाड़ी इस समय स्कॉटलैंड के क्लब रेंजर्स एफसी से खेल रही है।

आज भारतीय फुटबॉल में सिर्फ एक मैच की चर्चा है और वह है शुक्रवार को होने वाला इंडियन सुपर लीग का पहला कोलकाता डर्बी। यह सम्भवतः बीते कुछ सालों का सबसे अहम कोलकाता डर्बी है क्योंकि इसका आयोजन आईएसएल में पहली बार हो रहा है। एक तरफ जहां फिजाओं में रोमांच महसूस किया जा सकता है, तो वहीं दूसरी तरफ बाला देवी एक अलग ही सपना देख रही हैं और वह है महिलाओं की पहली कोलकाता डर्बी का।

बाला देवी ने हाल ही में ओल्ड फर्म डर्बी में हिस्सा लिया था। यह रेंजर्स एफसी और सेल्टिक एफसी के बीच होने वाला दुनिया की सबसे पुरानी फुटबॉल राइवलरी के रूप में मशहूर है। बाला देवी मानती हैं कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि कोलकाता के इन दो बड़े क्लबों को महिला फुटबॉल टीम भी विकसित करनी चाहिए और इनके बीच भी भारत में सबसे अहम डर्बी होनी चाहिए।

स्कॉटलैंड में खेलने वाली भारत की पहली महिला फुटबॉलर ने कहा, "अब मैं जहां भी जाती हूं, लोग पहचानने लगे हैं। वे मुझे अलग मैच के लिए गुडलक विश करते हैं। यहां फुटबॉल को जबरदस्त सम्मान प्राप्त है और मैच के दौरान हर हाफ में वे खड़े ही रहते हैं। यह दिखाता है कि उनके मन में टीमों को लेकर कितना प्यार है और इससे खिलाड़ी प्रेरित होते हैं।"

वह मानती हैं कि जिस तरह का जुनून महिला फुटबॉल को लेकर स्काटलैंड में है वही माहौल भारत में भी तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "मणिपुर से बड़ी संख्या में खिलाड़ी आती हैं क्योंकि वहां हर एज ग्रुप में कई सारे मैच खेले जाते हैं। लेकिन दूसरे राज्यों में एसा नहीं होता। अगर कोई सिस्टम बने, जिसमें लड़कियों को पूरे साल मैच खेलने का मौका मिले तो कई खिलाड़ी आगे आएंगी। इसके लिए सभी क्लबों को आगे आना होगा और महिला टीमें बनानी होंगी। खिलाड़ी खुद से ट्रेन नहीं कर सकते। इसके लिए उन्हें जरूरी सुविधाएं चाहिए।"

बाला देवी को इस बात का आभास है कि ओल्ड फर्म डर्बी से किस तरह का माहौल तैयार होता है। वह मानती हैं कि कोलकाता की महिला डर्बी भारत में इसी तरह का माहौल तैयार करने में सफल हो सकती है। उनके लिए कोलकाता डर्बी कोई अनजानी चीज नहीं है। कोलकाता के साई सेंटर में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने कुछ डर्बी देखीं हैं। यह 2005-06 की बात है। इंडियन खिलाड़ी ने अपना अंतिम कोलकाता डर्बी इस साल जनवरी में सॉल्ट लेक स्टेडियम में देखा था और इसी के बाद वह ग्लासगो के लिए रवाना हुई थीं।

बाला देवी ने कहा, "कोलकाता की ये दो बड़ी टीमें आसानी से महिला टीमें तैयार कर सकती हैं। वहां की खिलाड़ियों में काफी प्रतिभा है। मैंने जब 2002 में खेलना शुरू किया था तब हम बंगाल की टीमों के खिलाफ फाइनल खेला करते थे। बंगाल की लड़कियां वाकई काफी अच्छी थीं और कई तो राष्ट्रीय टीम में भी थीं।"

"मेरी समझ से अगर मोहन बागान और ईस्ट बंगाल वही करने में सफल रहे तो यहां स्काटलैंड में सेल्टिक और रेंजर्स ने किया है तो यह न सिर्फ बंगाल बल्कि पूरे भारत के लिए फायदेमंद होता। रेंजर्स और सेल्टिक ने यह काम सिर्फ एक साल में किया है। हमारे दो कोलकाता क्लब अगर ठान लें तो वे भी एक साल में महिला टीमें तैयार कर सकती हैं।"

आने वाले शुक्रवार को बाला सबकी तरह काफी उत्सुकता से कोलकाता डर्बी देखेंगी। वह यह भी आशा कर रही होंगी कि वह दिन जल्दी ही आएगा कि वह अपने देश में एक मशहूर डर्बी में खेल रही होंगी।

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