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फुटबॉल समाचार

पिछले दशक में पांच ऐसे मौके जब इंडियन फुटबॉल में हुई हिंसा

Published at :October 8, 2020 at 9:27 PM
Modified at :October 8, 2020 at 9:56 PM
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Rahul Gupta


इन मैचों में माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया था कि इसने हिंसा का रूप ले लिया।

पिछले कुछ सालों में इंडियन फुटबॉल के फॉलोअर्स काफी बढ़ गए हैं। इसके अलावा फैंस का पैशन और टीम से उम्मीदें भी काफी बढ़ गई हैं। अपनी टीम को फॉलो करने और उसे पसंद करने में कोई नुकसान नहीं है लेकिन जब ये पैशन मैदान में किसी तरह की हिंसा या माहौल बिगाड़ने वाली घटना में तब्दील हो जाए तो ये अच्छी चीज नहीं है।

ऐसा इंडियन फुटबॉल में अब तक कई मैचों में हो चुका है और इसमें ज्यादातर कोलकाता की टीम शामिल रही है, क्योंकि कोलकाता जैसी बड़ी टीमों के मैच के दौरान तनाव बढ़ जाता है। ये तनाव कभी-कभी काफी ज्यादा बढ़ जाता है और हिंसा का रूप ले लेता है। इंडियन फुटबॉल में अभी तक कई बार हमें हिंसा के मामले देखने को मिल चुके हैं। आइए पिछले दशक में हुई ऐसी पांच घटनाओं पर नजर डालते हैं:

5. एटीके बनाम केरला ब्लास्टर्स (12 जनवरी 2020)

इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में एटीके और केरला ब्लास्टर्स के मैच के दौरान ये हिंसा की घटना हुई थी। केरला ब्लास्टर्स की टीम प्रेशर को अच्छी तरह से हैंडल करके एटीके के अटैक को विफल कर रही थी। वहीं आखिरी क्वार्टर में एल्को शैटोरी की टीम गोल करने में सफल रही। एटीके के सभी प्लेयर्स के चेहरे पर झुंझलाहट साफ देखी जा सकती थी और कुछ ऐसा ही माहौल डग आउट में भी था।

एटीके के खिलाड़ी गोल नहीं कर पाने की वजह से पहले ही काफी गुस्से में थे, ऊपर से कुछ डिसीजन भी उनके खिलाफ चल गए। इसी वजह से माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया। ये माहौल तब और गर्मा गया जब एटीके के एक गोल को ऑफ साइड करार दे दिया गया। एंटोनियो हबास और गोलकीपिंग कोच एंजेल पिनडाडो की एल्को शैटोरी और उनके असिस्टेंट इश्फाक अहमद से कहासुनी हो गई। इसकी वजह से दोनों ही टीमों के हेड कोच को दो मैच के लिए सस्पेंड कर दिया गया और एक-एक लाख का फाइन भी लगाया गया। पिंडाडो को भी यही सजा मिली लेकिन उनके ऊपर दो लाख का फाइन लगाया गया क्योंकि उन्होंने अहमद को मार दिया था।

4. जमशेदपुर एफसी बनाम एफसी गोवा (12 अप्रैल 2018)

एफसी गोवा और जमशेदपुर एफसी के बीच हीरो सुपर कप का क्वॉर्टरफाइनल मुकाबला काफी वायलेंट हो गया था। हाफ टाइम तक रेफरी ने 6 रेड कार्ड दिखा दिए थे और दोनों ही टीमों के तीन-तीन खिलाड़ियों को मैदान से बाहर भेज दिया था। एफसी गोवा के ब्रेंडन फर्नांडीस ने एक गोल किया और उसके बाद ही सारा विवाद शुरु हुआ। रीप्ले देखने पर पता चला कि गेंद प्ले से बाहर हो चुकी थी लेकिन इसके बावजूद फर्नांडीस ने गेंद को प्ले में लिया। रेफरी ने पहले तो गोल करार दे दिया लेकिन मैच ऑफिशियल्स द्वारा निर्देश मिलने के बाद इस फैसले को पलट दिया।

हाफ टाइम के बाद दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों के बीच टनल में काफी विवाद हो गया। इसकी वजह से मैच ऑफिशियल्स को 6 खिलाड़ियों को रेड कार्ड दिखाना पड़ा। इसमें ब्रेंडन फर्नांडीस भी शामिल थे। जमशेदपुर एफसी के गोलकीपिंग कोच रॉबर्ट एंड्रू को भी सस्पेंड कर दिया गया। हाफ टाइम के बाद मैच 8-8 खिलाड़ियों के बीच हुआ। गोवा ने इस मुकाबले में जमशेदपुर एफसी को 5-1 से हरा दिया और सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

3. चेन्नईयन एफसी बनाम एफसी गोवा (20 दिसंबर 2015)

https://www.youtube.com/watch?v=lz26wvx0C5E&feature=emb_logo

2015 में एफसी गोवा और चेन्नईयन एफसी के बीच इस फाइनल मुकाबले ने काफी उग्र रूप ले लिया था। एफसी गोवा की टीम 90वें मिनट तक लीड कर रही थी लेकिन उनके अनुभवी खिलाड़ी लक्ष्मीकांत कट्टीमानी ने सेल्फ गोल कर लिया और उसके तुरंत बाद स्टीवन मेंडोजा ने चेन्नइयन एफसी को एक यादगार जीत दिला दी। चेन्नइयन एफसी ने पहली बार आईएसएल का टाइटल जीता।

हालांकि, मैच खत्म होने के बाद एफसी गोवा के खिलाड़ी और ऑफिशियल्स मैच रेफरी से बहस करने लगे। इसी दौरान एलानो ने विवाद सुलझाने की कोशिश की लेकिन एफसी गोवा के कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने उन्हें भी घेर लिया। इसके बाद एफसी गोवा के को ऑनर दत्तराज सलगांवकर ने आरोप लगाया कि एलानो ने उनसे मारपीट की थी और यहां तक कि उन्होंने ब्राजीलियन मिडफील्डर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दिया। एलानो को अरेस्ट कर लिया गया और पुलिस स्टेशन ले जाया गया लेकिन जमानत पर छोड़ भी दिया गया।

2. ऐजवाल एफसी बनाम मोहन बगान (25 जनवरी, 2018)

ऐजवाल के राजीव गांधी स्टेडियम में खेलना किसी चुनौती से कम नहीं होता है क्योंकि यहां के फैंस काफी भावुक होते हैं। आई-लीग में मोहन बगान और ऐजवाल एफसी के बीच मुकाबला चल रहा था। रेफरी द्वारा कई विवादित फैसले के बाद माहौल एकदम से गर्मा गया और इसने हिंसा का रूप ले लिया।

मैच रेफरी सेनथिल नाथन ने मेजबान टीम के एक पेनल्टी कॉर्नर को नकार दिया और इसके कुछ देर बाद मैरीनर्स को स्पॉट किक दे दिया। माहौल तब और गर्मा गया जब ऐजवाल एफसी फैंस के फेवरिट खिलाड़ी अल्फ्रेड जारयान को 89वें मिनट में वापस भेज दिया गया।

फैंस ने रेफरी और अन्य मैच ऑफिशियल्स को गालियां देनी शुरु कर दी और यहां तक कि स्टैंड से पत्थर भी फेंकने शुरु कर दिए। वीआईपी एरिया में एक कुर्सी मैच कमिश्नर वाल्टर पेरिरा के पास आकर गिरी। इसके बाद पुलिस ने आकर स्थिति को संभाला।

1. मोहन बगान बनाम ईस्ट बंगाल (9 दिसंबर, 2012)

https://www.youtube.com/watch?v=IkSIrakkHcA&feature=emb_logo

शायद इस दशक में इंडियन फुटबॉल में सबसे ज्यादा वायलेंस इसी मैच में हुआ है। ये कोलकाता डर्बी का मुकाबला था और हमेशा की तरह दोनों ही तरफ माहौल काफी तनवापूर्ण था। बंगाल की टीम एक गोल से पीछे चल रही थी और ऊपर से उनके जबरदस्त स्ट्राइकर ओडाफा ओकोली को मैदान से बाहर भेज दिया गया। इसके बाद फैंस ने प्रोटेस्ट करना शुरु कर दिया और इसने हिंसा का रूप ले लिया। फैंस रेफरी को गालियां देने लगे और कई तरह की चीजें फेंकने लगे।

अचानक से एक पत्थर आकर मोहन बगान के खिलाड़ी सैय्यद रहीम नबी को लगा। ये पत्थर वास्तव में मैच रेफरी की तरफ फेंका गया था लेकिन जाकर नबी को लगा। नबी के शरीर से काफी खून बहने लगा और उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया।

सॉल्ट लेक स्टेडियम में करीब 85 हजार फैंस इस मुकाबले को देखने के लिए मौजूद थे। ये मुकाबला काफी यादगार हो सकता था लेकिन इसने आखिर में जाकर हिंसा का रूप ले लिया और अब ये गलत वजहों के लिए याद किया जाता है।

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