इंडियन फुटबॉल टीम के कोचिंग स्टाफ में कौन-कौन शामिल है
ब्लू टाइगर्स की कोचिंग टीम में बहुत सारे अनुभवी लोग मौजूद हैं।
स्टीफन कॉन्स्टेनटाइन के जाने के बाद 15 मई 2019 को इगोर स्टीमाक इंडियन फुटबॉल टीम के हैड कोच बने। क्रोएशिया टीम के कोच रह चुके स्टीमाक भारतीय टीम की परफॉर्मेंस में सुधार और एएफसी एशिया कप में बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीदों के साथ आए।
उन्हें इस काम में मदद करने के लिए बहुत ही काबिल कोच स्टाफ के तौर पर मिले। उनके स्टाफ में गोलकीपिंग कोच, फिटनेस कोच और एक भारतीय असिसटेंट कोच शामिल हैं।
इगोर स्टीमाक ने बहुत ही बारीकी से लोगों को बैकरूम स्टाफ के लिए चुना, जो अलग-अलग स्तर पर काम करते हैं। खेल नाओ 53 साल के स्टीमाक के कोचिंग और टैक्निकल स्टाफ से आपको रूबरू करवा रहा है, जिनका योगदान भारतीय टीम के परफॉर्मेंस को निखारने में काफी अहम रहा है।
इगोर स्टीमाक- हेड कोच
स्टीमाक टीम के हैड कोच हैं और वो ही इंडियन फुटबॉल टीम के स्टाफ का नेतृत्व करते हैं। एक प्लेयर के तौर पर उन्होंने क्रोएशिया को 1998 फीफा वर्ल्ड कप में तीसरे नंबर तक पहुंचाया था। वो जुलाई 2012 से अक्टूबर 2013 तक क्रोएशिया नेशनल टीम के कोच भी रहे। इस दौरान टीम की जीत का औसत 53.3 फीसदी रहा, जो कि उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ है। स्टीमाक ने एनके जागरेब, एनके जादर, सेफाहन एससी और अल शाहानिया एससी जैसी टीमों के साथ भी काम किया है।
हैड कोच ने कई भारतीय युवा खिलाड़ियों को नेशनल टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है। उन्होंने स्क्वॉड के खेलने के तरीके और टीम की सोच में काफी बदलाव लाया है। हालांकि उनके इन प्रयोगों का कोई खास नतीजा अभी देखने को नहीं मिला है। उनके नेतृत्व में टीम ने 12 मुकाबलों में से सिर्फ एक में ही जीत हासिल की है। ऐसे में वो टीम के साथ लंबे समय तक जुड़ने के लिए उनके परफॉर्मेंस में और सुधार लाने की तैयारियों में जुटे हैं।
शनमुगम वैंकटेश- असिस्टेंट कोच
शनमुगम वैंकटेश सीनियर नेशनल टीम में स्टीमाक के असिस्टेंट हैं। वैंकटेश इंडियन एरोज और भारतीय अंडर-19 टीम के साथ भी जुड़े हुए हैं। वो इकलौते भारतीय हैं जो स्टीमाक के बैकरूम स्टाफ में हैं और उनके पास फुटबॉल कोचिंग के लिए एएफसी सी लाइसेंस भी है।
वैंकटेश एक अटैकिंग मिडफिल्डर रह चुके हैं। 43 साल के वैंकटेश ईस्ट बंगाल, महिंद्रा युनाइटेड, मोहन बगान और पुणे एफसी जैसी टीमों के साथ भी जुड़े रह चुके हैं। युवा खिलाड़ियों को पहचानने में वैंकटेश काफी माहिर हैं।
टॉमीस्लेव रोजिक- गोलकीपिंग कोच
टॉमीस्लेव रोजिक इंडियन फुटबॉल टीम के गोलकीपिंग कोच हैं। भारतीय टीम के कस्टोडियंस के साथ काम करने और उनके प्रदर्शन में सुधार की जिम्मेदारी रोजिक के ही पास है। यूएफा यूरोपा लीग के क्लब में खेलने वाले इकलौते भारतीय खिलाड़ी गुरप्रीत सिंह संधु का कहना है कि उन्होंने जितने कोचों के साथ काम किया है, उनमें रोजिक सबसे बेहतर हैं।
क्रोएशिया के पूर्व खिलाड़ी रोजिक बेल्जियम के क्लब बर्गी के साथ भी काम कर चुके हैं। वो रूस के क्लब जेनिट सेंट पीटर्सबर्ग, यूक्रेन के शख्तर डोनेस्क और क्रोएशिया के क्लब एचएनके हजदुक स्प्लिट के कोच भी रह चुके हैं।
लूका रदमान- फिटनेस कोच
लूका रदमान भारतीय नेशनल टीम के फिटनेस कोच हैं। खिलाड़ियों की स्ट्रैंथ और ओवरऑल कंडिश्निंग का पूरा जिम्मा उन्हीं का है। मैदान पर भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेश पिछले दिनों में काफी बेहतर दिखी है। खिलाड़ियों में आए इस बदलाव का पूरा श्रेय जाता है लूका को।
लूका पहले भी इगोर के साथ क्रोएशिया की नेशनल टीम के साथ 1998 फीफा वर्ल्ड कप के समय काम कर चुके हैं। उन्होंने क्रोएशिया की मेन्स वॉटर पोलो टीम के साथ भी काम किया है। 'द प्रोफेसर' के नाम से मशहूर लूका पहले एक ओलिंपिक वेटलिफ्टर रह चुके हैं।
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