अगले दशक में यह हो सकती है इंडियन फुटबॉल टीम की प्लेइंग इलेवन
कई ऐसे यंग प्लेयर्स हैं जो आगे चलकर इंडियन टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं।
मौजूदा समय में भारतीय फुटबॉल काफी आगे बढ़ रहा है। नेशनल टीम में कैप्टन फैंटास्टिक सुनील छेत्री, गुरप्रीत सिंह संधू और संदेश झिंगन जैसे सीनियर खिलाड़ी हैं तो वहीं नरेंद्र गहलोत और अमरजीत सिंह कियाम जैसे यंग प्लेयर्स भी हैं।
आने वाले 10 वर्षों में कई सीनियर खिलाड़ी इंडियन फुटबॉल टीम का हिस्सा नहीं होंगे ऐसे में इन युवा खिलाड़ियों पर टीम को आगे ले जाने का दारोमदार होगा:
गोलकीपर: धीरज सिंह
साल 2017 में भारत में हुए फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में धीरज ने एक गोलकीपर के तौर पर अपना टैलेंट दिखाया। 20 साल के धीरज ने राष्ट्रीय टीम की जरूरत के मुताबिक खुद को निखारने पर काम किया। हालांकि, उन्हें इंडियन फुटबॉल टीम और क्लबों में शुरुआती 11 में जगह बनाने के लिए और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।
मौजूदा समय में उनका सबसे बड़ा कंपटीशन प्रभसुखन सिंह गिल है जिन्हें फिलहाल उभरता हुआ खिलाड़ी माना जा रहा है। वह बेंगलुरु एफसी के लिए पिछले साल एफसी कप के दौरान खेल चुके हैं।
राइट-बैक: शुभम सारंगी
पिछले कुछ सालों में ओड़िशा एफसी के लिए खेलते हए उन्होंने राइट बैक के तौर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। 20 साल का यह खिलाड़ी अटैकिंग खेल भी दिखाता है और मौकों का फायदा भी उठाता है। आईएसएल में बीते सीजन उन्होंने एक डिफेंडर के तौर पर औसतन 4.76 टैक्लस, 5.70 क्लीयरेंस और 1.64 इंटरसेप्शन किए थे। उनका खेल यह दिखाने के लिए काफी है कि आने वाले एक दशक में वह टीम का हिस्सा बनेंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा दमदार प्रदर्शन करेंगे।
सेंटर-बैक: नरेंद्र गहलोत
21वीं सदी में पैदा होकर भारत के लिए पहला गोल दागने वाले नरेंद्र गहलोत में कई दिग्गज खिलाड़ियों को भारत का भविष्य दिखता है। जमशेदपुर एफसी के लिए खेलने वाला यह खिलाड़ी न सिर्फ शानदार डिफेंडर है बल्कि बॉल को पास करने में भी काफी अच्छा है।
पिछले सीजन हर फुटबॉल मैच में औसतन चार टैकल और 1.27 इंटरसेप्शन करने वाले गहलोत ने भारतीय टीम के लिए पिछले साल डेब्यू किया था। उन्होंने पिछले साल इंटरकॉन्टिनेंटल कप में केन्या के खिलाफ भारत के लिए पहला मैच खेला था।
सेंटर-बैक: सुमित राठी
सुमित राठी ने पिछले साल अपने शानदार प्रदर्शन के साथ एटीके को चैंपियन बनाने में अहम रोल रहा था। 18 साल के इस खिलाड़ी ने लीग के मुताबिक अपने खेल को बदला और अपने टैलेंट से सबको इंप्रेस कर दिया। उनके इसी प्रदर्शन को देखकर फैंस जल्दी ही सीनियर टीम में उन्हें देखने की उम्मीद कर रहे हैं।
आईएसएल के अपने डेब्यू सीजन में उन्होंने औसतन 8.21 क्लीयरेंस और 1.92 टैकल किए। वह बैकलाइन की मजबूती बन गए और यही चीज उन्हें औरों से अलग बनाती है और राष्ट्रीय टीम में जगह का दावेदार भी।
लेफ्ट-बैक: संजीव स्टालिन
इंडियन एरौज के पूर्व खिलाड़ी संजीव स्टालिन फिलहाल पुर्तगाल की टॉप डिविजन लीग में खेलने वाले क्लब सीडी एवेस में अपनी डिफेंडिंग स्किल को निखार रहे हैं। उन्होंने यूरोपियन आउटफिट के साथ इस साल फरवरी में दो साल का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया। वह काफी टेकनिकल खिलाड़ी हैं। स्टालिन अटैकिंग खेल खेलते हैं और पल भर में ही डिफेंस में भी शिफ्ट जाते हैं।
हालांकि, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है कि वह लीग खत्म होने के बाद भारत आएंगे या नहीं। फैंस और दिग्गद खिलाड़ी जरुर उन्हें नेशनल जर्शी में देखने के लिए बेताब हैं।
सेंट्रल डिफेंसिव मिडफील्डर: थोइबा सिंह
थोइबा सिंह मौजूदा समय में भारतीय टीम के उभरते हुए खिलाड़ियों में शामिल हैं। 17 साल का यह मिडफिल्डर एएफसी कप में गोल दागने वाला सबसे युवा खिलाड़ी है। उन्होंने पंजाब एफसी की ओर से खेलते हुए पिछले साल मनंग मार्शयांगड़ी के खिलाफ गोल किया था। थोइबा कई अलग-अलग पॉजिशन पर खेल सकते हैं।
फैंस यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि क्या वह आईएसएल के अगले सीजन में ओडिशा एफसी के लिए इसी प्रदर्शन को जारी रख पाते हैं या नहीं। प्रदर्शन के साथ-साथ थोइबा सिंह के सामने एसके साहिल की भी चुनौती होगी। मोहन बागान का यह खिलाड़ी क्लब को खिताब जिता चुका है और मिडफिल्डर की जगह के लिए बड़ा दावेदार हैं।
सेंट्रल डिफेंसिव मिडफील्डर: अमरजीत सिंह कियाम
फीफा वर्ल्ड कप में भारत के पहले कप्तान अमरजीत सिंह कियाम शानदार फुटबॉल खेलते हैं। उनका बेतरीन फुटवर्क उन्हें विरोधियों के डिफेंस से बचने में मदद करता है। आईएसएल के पिछले सीजन में उन्होंने जमशेदपुर एफसी के लिए आठ मैच खेले जिसमें उन्होंने हर मैच औसतन 4.63 टैकल और 1.25 इंटरसेप्शन किए।
वह अटैक और डिफेंस दोनों जिम्मेदारियों के बीच अच्छा ताल-मेल बिठाने के लिए जाने जाते है। नेशनल टीम में जगह के लिए उन्हें अंडर-17 वर्ल्ड कप के साथी खिलाड़ी रहे जिकसन सिंह की चुनौती का सामना करना पड़ेगा जो केरला ब्लास्टर्स के लिए पिछले सीजन में शानदार खेल दिखा चुके हैं।
सेंट्रल अटैकिंग मिडफील्डर: गिवसन सिंह
इंडियन एरोज में अपने समय के दौरान गिवसन सिंह कई पोजिशन पर खेले। वह एक ऐसे खिलड़ी हैं जो मिडफील्ड और फॉरवर्ड लाइन के बीच एक लिंक का काम कर सकते हैं। उन्होंने पिछले सीजन आई-लीग में 16 मैचों में दो गोल और दो असिस्ट किए। वह बेहतरीन पास करने से पहले गेम के टेम्पो और पेस को कंट्रोल करने का माद्दा रखते हैं और नंबर-10 का रोल अच्छे से निभा सकते हैं।
लेफ्ट विंगर: नोगदांबा नाओरेम
नोगदांबा काफी प्रतिभाशाली विंगर हैं। पिछले सीजन में वह लोन पर मोहम बागान से खेले और अच्छा प्रदर्शन किया। आई-लीग में उन्होंने 16 मैच खेले और दो गोल दागे तो वहीं पांच असिस्ट भी दिए। उनका फुटवर्क काफी कमाल का है लेकिन वह बॉक्स के अंदर अकसर मौके का फायदा उठाने से चूक जाते हैं। मिर्नवा पंजाब के लिए खेल चुके इस खिलाड़ी ने खुद को साबित किया है। हालांकि, इस खिलाड़ी को नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए अपने अटैक में और सुधार करना होगा।
राइट विंगर: विक्रम प्रताप सिंह
विक्रम प्रताप सिंह शानदार फुटबॉल खेलकर एक विंगर के तौर पर अपने आप को साबित करते आ रहे हैं और मौजूदा ट्रांसफर विंडो में सभी क्लबों की उनपर नजर है। 18 साल के इस विंगर ने आई-लीग में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। बॉक्स के पास वह तेजी के साथ डिफेंडर्स का सामना करने में सक्षम है। पिछले आई-लीग सीजन में उन्होंने 14 मैच खेले थे और चार गोल किए थे। हालांकि, नेशनल टीम में आने के लिए उन्हें अभी आने वाले सीजन में खुद को और ज्यादा साबित करना होगा।
स्ट्राइकर: हिमांशू जांगरा
केवल 16 साल की उम्र में हिमांशू जांगरा भारतीय फुटबॉल में एक उभरते हुए स्ट्राइकर के तौर पर जाने जाने लगे हैं। वह काफी वर्सिटाइल हैं और फॉरवर्ड लाइन में अलग-अलग पोजीशिन पर खेल सकते हैं और बॉक्स के अंदर भी काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने पिछले साल हुए सैफ अंडर-15 चैम्पियनशिप में अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बटोरी थी। वह टूर्नामेंट में सात गोल करके टॉप स्कोरर रहे थे। आने वाले समय में वह लीग के रास्ते राष्ट्रीय टीम में जगह बना सकते हैं।
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