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फुटबॉल समाचार

सुब्रता पॉल ने आईएसएल में इंडियन कोच को मौका देने की मांग की

Published at :April 29, 2020 at 10:04 PM
Modified at :April 29, 2020 at 10:04 PM
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Gagan


33 वर्षीय गोलकीपर ने बीते सीजन जमशेदपुर एफसी के लिए अच्छा प्रदर्शन किया।

इंडियन फुटबॉल टीम के लिए खेल चुके गोलकीपर सुब्रता पॉल का कहना है कि इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में बदलाव लाने का यह बिल्कुल सही समय है और टूर्नामेंट में ​इंडियन कोच को मौका दिया जाना चाहिए। 

आईएसएल के कारण शुरू से ही इंडियन फुटबॉल में बहुत बड़े बदलाव आए हैं। हालांकि, लीग की सभी टीमें विदेशी प्रशिक्षकों पर निर्भर रहती है और सुब्रता पॉल का मानना है कि किसी इंडियन कोच को लेकर राय बनाने से पहले उन्हें मौके दिए जाने चाहिए तभी पता चल सकेगा कि वह काबिल हैं या नहीं।

सुब्रता पॉल ने आईएएनएस से कहा, "जब तक हम इंडियन कोच को मौके नहीं देंगे, तब तक हम दोनों में अंतर कैसे देख सकते हैं? उन्हें कम से कम दो या तीन साल का समय दें इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हम अभी भी तुलना करने की स्थिति में नहीं हैं। किसी भी भारतीय कोच ने आईएसएल में कोचिंग नहीं दी है।"

इंं​डियन टीम के लिए 67 मैच खेल चुके गोलकीपर ने कहा है कि आई-लीग में भी विदेशी और भारतीय प्रशिक्षकों के बीच प्रतिद्वंद्विता बहुत सीमित है।

उन्होंने कहा, "जब राष्ट्रीय फुटबॉल लीग (एनएफएल) भारत में शुरू हुई थी तब प्रशिक्षकों के लिए डिग्री जैसा कोई पैमाना नहीं होता था। जब से यह डिग्री वाली चीज शुरू हुई है तब से क्लबों ने विदेशी प्रशिक्षकों को भर्ती करना शुरू कर दिया है क्योंकि भारतीय प्रशिक्षकों के पास डिग्री नहीं है। इसके बाद भी हमने देखा है कि कुछ ही क्लब विदेशी प्रशिक्षकों का खर्च उठा पाते हैं।"

"बीते तीन या चार साल में भारतीय प्रशिक्षकों को लेकर कई काम हुए हैं। भारत में लाइसेंस प्रशिक्षकों की संख्या बढ़ गई है। कई प्रो-लाइसेंस कोच और ए-लाइसेंस कोच भी हैं। मेरे पास सटीक आंकड़े नहीं हैं इसलिए मौका दिए बिना आप फैसला नहीं ले सकते, चाहे आईएसएल में या चाहे राष्ट्रीय टीम में। अगर भारतीय कोच अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते तो हम कह सकते हैं कि वो अच्छे नहीं हैं।"

सुब्रता पॉल ने इंडियन कोच के प्रोफेशन​लिज्म पर कमेंट करने से इंकार करते हुए कहा, "मैं यह नहीं कह सकता कि प्रोफेशन​लिज्म शब्द सही है या नहीं, लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि विदेशी कोच अपने पूरे नजरिए के ​मुताबिक इंडियन प्लेयर को ट्रीट करेंगे जबकि इंडियन कोच किसी प्लेयर को उसे कल्चर के मुताबिक ट्रीट करेंगे।"

"हालांकि, विदेशी कोच से यह सीखा जा सकता है कि चीजों को कैसे आॅग्रनाइज करना है। उनसे कोचिंग का प्रॉसेस, खासकर टाइम मैनेजमेंट सीखा जा सकता है।"

बीते सीजन आईएसएल में जमशेदपुर की टीम का प्रदर्शन लीग में अच्छा नहीं रहा था और वो प्लेआॅफ के आसपास भी नहीं पहुंच पाई थी।

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