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फुटबॉल समाचार

पांच मौके जब भारतीय फुटबॉल में आमने-सामने आए कोच और खिलाड़ी

Published at :July 22, 2020 at 10:34 PM
Modified at :July 29, 2020 at 9:14 PM
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riya


इन विवादों के कारण कई कोच और खिलाड़ियों को क्लब से अलग भी होना पड़ा।

पिछले एक दशक में भारतीय फुटबॉल कई बड़े बदलाव आए जिन्होंने इस खेल में नई जान फूंक दी। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) और आई-लीग जैसी लीग ने खिलाड़ियों को खुद को साबित करने के मौके दिए। इस बीच खेल में कॉम्पटिशन भी काफी बढ़ गया है। खिलाड़ियों के लिए अब लीग भारतीय टीम का रास्ता खोलने का जरिया बन गया है।

हालांकि, बेहतर प्रदर्शन और टीम की जीत जैसे दबाव में कई बार खिलाड़ियों और कोच के बीच में तनाव भी बढ़ता दिखा है। चाहे वह भारतीय कप्तान सुनील छेत्री हो या लीग में खेलने आए विदेशी खिलाड़ी। कई खिलाड़ियों को कोच से इतर राय रखने का नुकसान उठाना पड़ा और यह सब सुर्खियों का हिस्सा बना।

5. अंसुमना क्रोमाह और मारियो रिवेरा

साल 2018-19 के आई-लीग सीजन के पहले हाफ में फुटबॉल क्लब ईस्ट बंगाल का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था। इसके बाद जनवरी में उन्होंने ट्रांसफर विंडो में अंसुमना क्रोमाह को टीम में शामिल किया। अंसुमना के अलावा कोच के तौर पर मारियो रिवेरा को अलेहांद्रो मेंडेज की जगह क्लब में शामिल किया गया और यह साफ था कि अंसुमना कोच की पहली पसंद नहीं थे।

शुरुआत के कुछ हफ्तों के बाद ही दोनों के बीच काफी तनाव बढ़ गया। इस दौरान खिलाड़ी ने कोच पर कुछ हैरान करने वाले आरोप लगाए। स्ट्राइकर ने आरोप लगाया था कि रिवेरा हर समय उनकी बुराई करते थे और साथ ही उन्हें धमकी भी दिया करते थे कि अगर वह फुटबॉल के मैच में एक निश्चित स्तर पर प्रदर्शन नहीं करते हैं तो उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाएगा। उनके मुताबिक रिवेरा का यह रवैया केवल उनके खिलाफ ही था और टीम के बाकी खिलाड़ियों के साथ ऐसा नहीं होता था।

उनके आरोपों पर सफाई देते हुए रिवेरा ने बाद में गोल से कहा था, "मैं अपने सभी खिलाड़ियों से खुश हूं। जब आप गेम के हाफ टाइम के बाद किसी खिलाड़ी को बाहर बिठाते हैं तो बेशक वह नाराज होता है। हालांकि, जब टीम खिलाड़ी के बाहर जाने के बाद 30 मिनट में चार गोल कर देती है तो खिलाड़ी को खुश होना चाहिए कि टीम जीत गई। अगर वह खुश नहीं है तो यह उसकी परेशानी है और शायद इसलिए वह अच्छा टीम मेट नहीं है।" इस विवाद के बाद क्रोमाह को रिलीज कर दिया गया था।

4. डेविड जेम्स और डिमिटर बरबाटोव

आईएसएल के 2017-18 सीजन में केरला ब्लास्टर्स ने मैनचेस्टर यूनाइटेड के पूर्व स्ट्राइकर डिमिटर बरबोटोव को साइन किया तो उन्हें उम्मीद थी कि टीम के प्रदर्शन में सुधार होगा। जिस सोच के साथ डिमिटर को टीम में शामिल किया गया जो हुआ वह उसके उलट था। डिमिटर पूरे सीजन में वैसा प्रदर्शन नहीं कर सके जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही थी। क्लब का प्रदर्शन भी नियमित नहीं रहा और टीम को पूरे सीजन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।

इन परेशानियों की सबसे बड़ी वजह थी डिमिटर और कोच डेविड के बीच आई खटास। बुल्गारिया के दिग्गज स्ट्राइकर का आरोप था कि डेविड को कोचिंग देना नहीं आता। डिमिटर के मुताबिक डेविड ने उन्हें ऐसी कई पॉजीशन पर खिलाया जिस पर वह पहले कभी फुटबॉल नहीं खेले थे। सीजन खत्म होने के बाद डिमिटर ने खुलकर कोच के खिलाफ सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर की जिससे साफ जाहिर था कि दोनों के बीच पूरे सीजन में चीजे सही नहीं थी। उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट डाली जिसमें उन्होंने डेविड को सबसे बेकार कोच कहा। उस सीजन के बाद वह लौटकर कभी भारत नहीं आए।

3. संदेश झिंगन और रेने मुयलेनस्तीन

Sandesh Jhingan
इंडियन टीम की भी कप्तानी कर चुके हैं झिंगन।

आईएसएल के 2017-18 के सीजन में जब रेने मुयलेनस्तीन ने केरला ब्लास्टर्स की जिम्मेदारी संभाली तब संदेश झिंगन टीम के कप्तान थे। दोनों की जोड़ी सीजन में वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई जैसी उम्मीद की जा रही थी। टीम के कई खिलाड़ियों की तरह झिंगन को भी नए कोच के तरीके पसंद नहीं आ रहे थे, जिससे दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गई। इसके बाद रेने को सीजन के बीच में ही हटा दिया गया। टीम से हटने के बाद उन्होंने झिंगन पर आरोप लगाया कि उस सीजन में एफसी गोवा के खिलाफ उनकी टीम फुटबॉल मैच 5-2 से हारी थी और इसकी वजह टीम के कप्तान ही थे।

रेने के मुताबिक, "झिंगन मैच से एक रात पहले सुबह चार बजे तक पार्टी कर रहे थे और दारू पी रहे थे। अगर आपको लगता ऐसा इंसान अच्छा कप्तान हो सकता है तो कुछ परेशानी है।" खिलाड़ी ने इन आरोपों का खंडन किया था, हालांकि यह साफ हो गया था कि दोनों के बीच चीजें ठीक नहीं थी।

2. सुनील छेत्री और स्टीफन कॉन्सटेनटाइन

भारतीय फुटबॉल के पोस्टर बॉय सुनील छेत्री पिछले एक दशक से टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। टीम के पूर्व नेशनल कोच स्टीफन कॉन्सटेनटाइन के वह पसंदीदा खिलाड़ी थे, हालांकि उनका कार्यकाल खत्म होते-होते दोनों के रिश्ते में काफी तनाव आ गया था। टीम और छेत्री को स्टीफन के फुटबॉल खेलने के डिफेंसिव और पुराने तरीके पसंद नहीं थे। कोच को यह पसंद नहीं आ रहा था और उन्होंने छेत्री को कप्तानी से हटाकर संदेश झिंगन जैसे सीनियर खिलाड़ियों को यह जिम्मेदारियां देना शुरू कर दिया था।

छेत्री ने कोच के जाने के बाद साल 2019 में इस बात को माना कि दोनों के रिश्तों में सबकुछ ठीक नहीं थे। उन्होंने कहा, "फ्रेंडली मैच के दौरान कप्तान बदले जाते थे और टूर्नामेंट के दौरान मुझे कप्तानी दी जाती थी। मुझे दुख हुआ जब प्रणॉय हलदर, संदेश झिंगन और गुरप्रीत सिंह संधु को कप्तानी दी जाती थी।" पिछले साल एएफसी एशियन कप के बाद कॉन्सेनटाइन पद से हट गए तो वहीं सुनील छेत्री फिर से टीम के कप्तान बन गए।

1. हरुन अमिरी और वी सौंदराजन

साल 2016-17 आईएसएल के सीजन में लोकल वी सौंदराजन फुटबॉल क्लब चेन्नई एफसी के कोच के रोल में थे। उनके कोच रहते हुए टीम के अफगान डिफेंडर हारून अमीरी ने लगातार उनके फैसलों पर सवाल उठाए। हारून को एक स्टार खिलाड़ी के तौर पर टीम में शामिल किया गया था लेकिन लीग के अहम हिस्से में उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया था और कोच के साथ सहमति न रखने के कारण फिर उन्हें क्लब से भी बाहर कर दिया गया था।

हालांकि, एक सूत्र ने खेल नाओ को बताया था कि वी सौंदराजन के तरीके काफी गलत थे। सूत्र ने कहा था, "वह खिलाड़ियों को केवल लॉन्ग बॉल खेलने के लिए कहते थे। उनका कहना था कि हम केवल 40 यार्ड से शूट करें। आप ऐसे स्कोर नहीं कर सकते। इसके अलावा उन्होंने कुछ नहीं किया। एक दिन में हमारे दो ट्रेनिंग सेशन होते थे जो लगभग 4-4 घंटे के होते थे। इस कारण खिलाड़ियों को काफी इंजरी होती थी।"

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