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फुटबॉल समाचार

यूरोप के टॉप-5 दिग्गज फुटबॉल क्लब जिनके ओनर एशियन हैं

Published at :March 7, 2021 at 9:08 PM
Modified at :March 7, 2021 at 9:08 PM
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Rahul Gupta


कॉन्टिनेंट के कुछ बेहद अमीर लोगों ने यूरोपियन फुटबॉल में काफी बेहतरीन तरीके से इन्वेस्ट किया है।

फुटबॉल टीमों में निवेश करना काफी अच्छा माना जाता है और इसमें स्कोप भी होता है। स्पोर्ट्स से सबका मनोरंजन होता है, वहीं अगर यूरोप की बात की जाए तो यहां पर फुबॉल काफी फेमस है। यही वजह है कि यहां पर प्लेयर्स और टीम को काफी प्राइज मनी मिलती है और टीमों की वैल्यू भी काफी ज्यादा होती है। इन महंगी टीमों के मालिक कई बड़े बिजनेसमैन होते हैं।

अगर हम पिछले दो दशक के इतिहास को उठाकर देखें तो कई सारे क्लबों ने अपने ओनरशिप में बदलाव किया है ताकि वो कमर्शियली और मजबूत हो सकें। इनमें से कुछ ओनरशिप डील तो काफी सफल रहीं तो वहीं कुछ डील काफी खराब साबित हुईं। इन डील्स में एशियन इन्वेस्टर्स का भी काफी बड़ा रोल रहा और कई सारे एशियन बिजनेसमैन टीमों के मालिक बने। एशियन ऑनर्स ने यूरोप के बाहर एशिया में फुटबॉल को और लोकप्रिय बनाया और इसके लिए एक मार्केट तैयार किया।

हम आपको उन पांच यूरोपियन क्लबों के बारे में बताते हैं जिनके ऑनर एशियन हैं:

5. वॉल्वरहैम्प्टन वांडरर्स

इंग्लिश फुटबॉल में वॉल्वरहैम्प्टन वांडरर्स क्लब का इतिहास काफी बड़ा है। इस क्लब को चाइनीज कॉन्गलोमिरेट फोसन इंटरनेशनल ने खरीदा था जिसके हेड गुओ गुआनचांग, लियांग शिनजुन और वांग कुनबिन हैं। हालांकि इस चीज का पता नहीं लग पाया कि उन्होंने क्लब के शेयर्स कितने में खरीदे थे। लेकिन इस डील के बाद ये टीम लोअर टियर्स से निकलकर प्रीमियर लीग की चैलेंजिंग टीमों में से एक बन गई।

वुल्व्स को फोसुन ग्रुप ने 2016 में खरीदा था और उसी सीजन क्लब ने प्रीमियर लीग में वापसी की थी। उसके बाद से वो लगातार प्रीमियर लीग का हिस्सा हैं और यूरोपा लीग के क्वार्टरफाइनल में भी उन्होंने जगह बनाई थी जहां उन्हें सेविला से हार का सामना करना पड़ा था।

हालांकि, नूनो स्प्रितो सांतोस की अगुवाई में टीम के डेवलपमेंट और ग्रुप के इन्वेस्टमेंट पर काफी विवाद भी हुए। अफवाहें ये फैली थीं कि पुर्तगाल के सुपर एजेंट जॉर्ज मेंडेस ने ट्रांसफर एक्टिविटी को प्रभावित किया है। हालांकि इसके बावजूद इसमें कोई शक नहीं है कि वुल्व्स के लिए ये डील मास्टरस्ट्रोक साबित हुई।

4. वेलेंसिया सीएफ

स्पेनिश क्लब वालेंसिया सीएफ को सिंगापुर के बिजनेस मैगनेट पीटर लिम ने 2014 में खरीदा था। उन्होंने वालेंसिया फाउंडेशन से 70% से ज्यादा शेयर क्लब के खरीद लिए थे। पहले सीजन वालेंसिया की टीम चौथे स्थान पर रही और इसी वजह से उन्होंने यूएफा चैंपियंस लीग के लिए क्वालीफाई कर लिया। हालांकि उसके बाद से उनका सफर उतना अच्छा नहीं रहा।

मैदान में खराब परफॉर्मेंस और मैनेजमेंट में लगातार बदलाव होने की वजह से टीम बेहतर तरीके से नहीं खेल सकी। जब से इस टीम को खरीदा गया है तब से अभी तक छह से ज्यादा मैनेजर्स और स्पोर्टिंग डायरेक्टर्स को अंदर-बाहर किया जा चुका है।

हालांकि 2018-19 के सीजन में वालेंसिया का परफॉर्मेंस काफी जबरदस्त रहा था। टीम चौथे पायदान पर रही थी और चैंपियंस लीग के लिए क्वालीफाई किया था। इसके अलावा उन्होंने एफसी बार्सिलोना को फाइनल में हराकर कोपा डेल रे का खिताब भी जीता था। हालांकि मैनेजमेंट में बदलाव की वजह से एक बार फिर टीम का प्रदर्शन खराब हो गया। क्लब ने अपने फाइनेंस को भी अच्छी तरह से मैनेज नहीं किया और इसकी वजह से उन्हें लगातार कई अहम खिलाड़ियों को गंवाना पड़ा ताकि उन्हें आर्थिक तौर पर ज्यादा नुकसान ना झेलना पड़े।

3. लेस्टर सिटी

इस लिस्ट में प्रीमियर लीग की एक और टीम लेस्टर सिटी भी है जिसके ऑनर थाइलैंड की श्रीवधनाप्रभा फैमिली है। प्रीमियर लीग में वापसी के बाद से ही लेस्टर सिटी ने कई यादगार प्रदर्शन किए हैं। 2015-16 में उन्होंने खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था।

विशाई श्रीवधनाप्रभा के मैनेजमेंट में लेस्टर सिटी ने विपरीत परिस्थितियों में प्रीमियर लीग का टाइटल जीता था। ये बिजनेसमैन फैमिली थाइलैंड की कंपनी किंग्स ऑफ पॉवर की हेड है जो ट्रैवल रिटेल और ड्यूटी फ्री कंसोट्रियम का बिजनेस करती है। इस कंपनी का नेट वर्थ लगभग 4 बिलियन डॉलर है।

जिन विशाई श्रीवधनाप्रभा के मैनेजमेंट के दौरान टीम ने बेहतरीन फुटबॉल खेलकर प्रीमियर लीग का टाइटल जीतकर इतिहास रचा था उनकी एक हेलिकॉप्टर एक्सिडेंट में मौत हो गई थी। इस खबर से ग्लोबल फुटबॉल कम्यूनिटी को तगड़ा झटका लगा था। उनके निधन के बाद अब क्लब को उनके बेटे अय्यावत श्रीवधनाप्रभा ओन करते हैं।

2. पेरिस सेंट जर्मेन

जब हम यूरोपियन फुटबॉल क्लबों में एशियन ऑनर की बात करते हैं तो फिर हमारे जेहन में पेरिस सेंट जर्मेन का नाम अपने आप आ जाता है। 2011 में नासिर अल खेलाफी के कतर स्पोर्ट्स इन्वेस्टमेंट ग्रुप ने इस टीम को खरीदा था।

इस ग्रुप ने पेरिस सेंट जर्मेन के शेयर खरीदने के लिए 100 मिलियन पाउंड से ज्यादा की रकम दी थी और तब से लेकर अब तक ये क्लब दुनिया के सबसे बड़े यूरोपियन फुटबॉल क्लब में से एक बन गया है। इस क्लब को ओनर्स की तरफ से फाइनेंसियली काफी हेल्प मिलता है और इसी वजह से वो थियागो सिल्वा, नेमार और किलियन म्बापे जैसे प्लेयर्स को साइन करनें में सफल रहे हैं। इतने बड़े नाम होने की वजह से टीम के परफॉर्मेंस में भी काफी निखार आया।

पीएसजी इस वक्त 1.075 बिलियन पाउंड की रकम के साथ पूरी दुनिया में 11वीं सबसे वैल्यूएब फुटबॉल क्लब है।

1. मैनचेस्टर सिटी एफसी

एशियन ऑनर्स की बात करते ही दिमाग में सबसे पहले एक और टीम मैनचेस्टर सिटी का भी ख्याल आ जाता है। मैनचेस्टर सिटी को अबु धाबी यूनाईटेड ग्रुप ने खरीदा था जो यूएई के रॉयल फैमिली के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट ऑर्म का काम देखती है। इस ग्रुप के हेड शेख मंसूर बिन जाएद अल नाहयान हैं। उन्होंने 210 मिलियन पाउंड की रकम के साथ मैनचेस्टर सिटी के शेयर्स खरीदे थे।

इस डील के बाद मैनचेस्टर सिटी की टीम काफी लाइमलाइट में आ गई थी। इसकी वजह ये थी कि उन्होंने रॉबिन्हो, सर्जियो अगुएरो, याया टूरे समेत कई दिग्गज प्लेयर्स को साइन किया था। अबु धाबी ग्रुप के नेतृत्व में मैनचेस्टर सिटी ने सीजन के आखिरी दिन अपना पहला प्रीमियर लीग का टाइटल जीता था। उन्होंने गोल डिफरेंस के जरिए चिर-प्रतिद्वंदी मैनचेस्टर यूनाईटेड को हराया था।

तब से लेकर अभी तक मैनचेस्टर सिटी की टीम तीन बार और प्रीमियर लीग का टाइटल जीत चुकी है और ये तीनों ही खिताब वर्तमान मैनेजर पेप गुआर्डियोला के नेतृत्व में आए हैं। इसके अलावा टीम ने कराबाओ कप पांच बार और एफए कप भी दो बार जीता। पेप गुआर्डियोला की अगुवाई में सिटी ने कई बड़े शानदार फुटबॉल खेलते हुए कई रिकॉर्ड्स भी अपने नाम किए हैं। रहीम स्टर्लिंग, केविन डी ब्रूएन और एडर्सन जैसे खिलाड़ियों से सजी सिटी प्रीमियर लीग में 100 प्वॉंइट्स लेने वाली पहली टीम है।

लगातार सफलता की वजह से ही मैनचेस्टर सिटी फ़ोर्ब्स द्वारा जारी लिस्ट में वर्ल्ड की पांचवी सबसे वैल्यूएबल क्लब बन गई थी।

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