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जमशेदपुर एफसी की सफलता के लिए ओवेन कोल को पांच जरूरी कदम उठाने होंगे

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Published at :July 17, 2021 at 2:35 AM
Modified at :December 13, 2023 at 1:01 PM
जमशेदपुर एफसी की सफलता के लिए ओवेन कोल को पांच जरूरी कदम उठाने होंगे

(Courtesy : football in hindi)

टीम ने पिछले सीजन मिला-जुला प्रदर्शन किया था।

पिछले कुछ वर्षों में जमशेदपुर एफसी इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की एक मिड टेबल टीम बनी रही है। शानदार प्रदर्शन के बावजूद भी जमशेदपुर की टीम को लीग के आखिर में कुछ खास सफलता हासिल नहीं हो पाई है। अब तक ये टीम प्लेऑफ्स के लिए कभी भी क्वालिफाई नहीं कर सकी है। ऐसे में टीम ने पिछले साल ओवेन कोल को टीम का हेड कोच बनाया ताकि वो कुछ सुधार ला सकें।

इसके बाद विंटर ब्रेक से पहले जमशेदपुर एफसी ने मजबूत शुरुआत की और वो टॉप चार टीमों में शुमार रही। हालांकि, चोटिल होने के कारण टीम को उनके बेहतरीन खिलाड़ियों को खोना पड़ा, जिसके चलते टीम टूर्नामेंट के अहम चरण में कमजोर पड़ गई और पॉइंट्स टेबल में छठे नंबर पर पहुंच गई। ऐसे में खेल नाओ ने कुछ ऐसे पहलुओं को ढूंढा है, जिनको ध्यान में रखकर ओवेन कोयल नए सीजन में जमशेदपुर को सफलता हासिल करा सकते हैं।

5. एक अटैकिंग मिडफिल्डर

भारत में ओवेन कोल को 2019-20 में चेन्नईयन एफसी में किए उनके करिश्मे के लिए जाना जाता है। वो कैंपेन के बीच में क्लब के साथ जुड़े, जब टीम टेबल में सबसे नीचे थी। यहां से वो टीम को फाइनल तक ले गए। हालांकि टीम फाइनल में जीत दर्ज नहीं कर सकी, लेकिन फैंस ने कोल के स्टाइल को खूब सराहा। जमशेदपुर ने भी पिछले साल उनके साथ करार किया और इसके बाद से ही टीम के खेलने के तरीकों में काफी बदलाव देखने को मिला।

हालांकि, इस दौरान टीम नतीजों में कुछ खास बदलाव नहीं कर सकी, लेकिन मानसिकता में जरूर काफी सुधार हुआ। दरअसल ओवेन कोल के प्लेइंग स्टाइल में सबसे महत्वपूर्ण चीज है उनकी अटैकिंग मिडफील्ड और वो खिलाड़ी जो मिडफील्ड से अटैक बिल्ड अप बनाता है। चेन्नईयन एफसी में उनके पास रफाल क्रिवेलारो के रूप में ये खिलाड़ी मौजूद था। वहीं जमशेदपुर एफसी में उन्होंने एलेक्स लीमा को साइन किया है जो कि एक फुल टाइम नंबर 10 नहीं हैं। यहां साफ है कि अगर कोल अटैकिंग मिडफील्ड के रोल के लिए सही खिलाड़ी हासिल करने में कामयाब होते हैं तो वो शायद जमशेदपुर को भी सफलता के आयामों तक पहुंचा सकते हैं।

4. अच्छे भारतीय खिलाड़ी

पिछले कुछ सालों में जमशेदपुर एफसी, टाटा फुटबॉल एकेडमी के खिलाड़ियों को प्रमोट करती रही है। इस टीम के लिए युवाओं को बढ़ावा दिन एक अहम टारगेट रहा है। हालांकि पिछले सीजन जब ओवेन कोल टीम के साथ जुड़े तो उन्होंने रोस्टर में कई बदलाव किए। वो फारुख चौधरी, सैमिनलेन डोंगल, बोरिस सिंह जैसे खिलाड़ियों को लाए। फारुख और डोंगल ने बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया और फॉरवर्ड लाइन को काफी मजबूती दी।

इसी तरह जमशेदपुर को कई अच्छे भारतीय खिलाड़ियों की जरूरत है जो विदेशी खिलाड़ियों को टक्कर देने की क्षमता रखते हों। युवाओं को बढ़ावा देना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसका फायदा उन्हें भविष्य में मिलेगा, लेकिन फिलहाल उन्हें अपने स्क्वॉड में ऐसे कई बेहतरीन भारतीय खिलाड़ियों की जरूरत है, जो अपने प्रदर्शन के बूते नाम कमा चुके हैं।

3. कोई ऐसा खिलाड़ी जो बांट सके वल्सकिस का दबाव

पिछले सीजन जमशेदपुर के लिए दमदार रहे वल्सकिस।

जमशेदपुर एफसी ने पिछले सीजन में कुल 21 गोल दागे थे, इनमें से आठ तो सिर्फ नेरिजुस वल्सकिस ने ही किए थे। टीम के दूसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी थे डिफेंडर स्टीफन ईजे। डेविड ग्रांड और पीटर हार्टले ने भी दो-दो गोल दागे थे। लेकिन पिछले सीजन में टीम का कोई भी भारतीय खिलाड़ी एक से ज्यादा गोल दागने में कामयाब नहीं हो सका था। इसका साफ मतलब ये निकलता है कि टीम को ऐसे खिलाड़ी की जरूरत है जो वल्सकिस को सपोर्ट कर सके और उन्हें मदद कर सके ताकि वो और खुलकर खेल सकें।

वल्सकिस पर से गोल करने का दबाव हटने के बाद वो एक अलग खिलाड़ी बनकर उभरेंगे। पिछले दिनों केरला ब्लास्टर्स के फॉरवर्ड जॉर्डन मरे ने जमशेदपुर एफसी के साथ करार किया था। मरे के आने से टीम में वो कमी शायद पूरी हो सकती है। पिछले सीजन में ये ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ब्लास्टर्स की ओर से सबसे ज्यादा गोल दागने वाला खिलाड़ी था। मरे ने ये साबित कर दिया है कि वो फाइनल थर्ड में अपनी शानदार कलाबाजियों के चलते खिलाड़ियों को वापस गेम में ला सकते हैं और किसी भी सिस्टम में आसानी से खुद को एडजस्ट कर सकते हैं।

2. युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का तालमेल

अनुभव के मामले में जमशेदपुर एफसी की नजर विदेशी खिलाड़ियों पर रहती है। टीम के ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी कम अनुभवी और युवा होते हैं और विदेशी खिलाड़ियों के गाइडेंस में खेलते हैं। ऐसे में भारतीय युवा खिलाड़ियों और विदेशी अनुभवी खिलाड़ियों के बीच सही तालमेल नहीं बन पाता है। हालांकि एक अनुभवी भारतीय खिलाड़ी इस दूरी को पाट कर तालमेल बनाने में एक कड़ी का काम कर सकता है। कई बार एक बड़े खिलाड़ी के होने से ड्रेसिंग रूम का डायनमिक्स बदल जाता है। ओवेन कोल की जमशेदपुर को भी ऐसे ही कुछ सीनियर खिलाड़ियों की जरूरत है जो आने वाले सीजन्स में टीम के साथ जुड़ सकें और टीम के तालमेल में सुधार कर सकें।

1. चोटिल होने से बचने के लिए प्री-सीजन

टीम को सफलता के आयामों तक पहुंचना है तो सबसे जरूरी काम है कि ओवेन कोल आगामी सीजन के पहले टीम को एक सही प्री-सीजन मुहैया कराएं। पिछले सीजन में जमशेदपुर ने चोटिल होने के चलते अपने कई अहम खिलाड़ियों को गंवा दिया था। निक फिट्जगेराल्ड, डेविड ग्रांड से लेकिर पीटर हार्टले और नरेंद्र गहलोत तक कई बड़े खिलाड़ी पिछले सीजन में चोटिल हुए थे। इनमें से कई तो पेनकिलर लेकर खेल रहे थे, जबकि कई आउटलाइन पर बैठकर रिकवर होने का इंतजार कर रहे थे।

टीम के कई अहम खिलाड़ियों का चोटिल होना भी लीग के आखिर में टीम के प्रदर्शन में गिरावट का बड़ा कारण था। खिलाड़ियों का चोटिल होना ये बताता है कि उन्हें तैयारी के लिए सही प्री-सीजन नहीं मिला है। यानि कोल को सीजन से पहले अपने खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए इस तरफ भी ध्यान देना होगा।

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