क्या प्रो कबड्डी लीग की वजह से कबड्डी को वर्ल्ड लेवल पर पहचान मिली ?
(Courtesy : PKL)
टूर्नामेंट का आठवां संस्करण शुक्रवार को समाप्त हुआ।
प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) का आगाज 26 जुलाई 2014 को हुआ था। उस दिन मुंबई के नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया में एक नए लीग की शुरूआत को लेकर काफी कंफ्यूजन का माहौल था। हजारों फैंस स्टेडियम के गेट के खुलने का इंतजार कर रहे थे। यू-मुम्बा और जयपुर पिंक पैंथर्स के बीच मुकाबले के साथ ही प्रो कबड्डी लीग का आगाज हुआ।
कबड्डी को माटी का खेल कहा जाता है और शायद यही वजह है कि गावों में इसकी लोकप्रियता ज्यादा थी और शहरों में इसका उतना क्रेज नहीं था। हालांकि, प्रो कबड्डी लीग के आगाज के बाद शहरों में कबड्डी को लेकर काफी बदलाव आया। भारत में आईपीएल के बाद ये दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला लीग बन गया।
कबड्डी का खेल कहां और कब से शुरू हुआ ?
माना ये जाता है कि कबड्डी के खेल की शुरूआत भारत से ही हुई थी। वहीं कहीं-कहीं पर ईरान का भी जिक्र है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने कबड्डी खेला था और इसका जिक्र महाभारत में भी है। कई सारे इतिहासकार बताते हैं कि इसकी जड़ें वेदों से जुड़ी हुई हैं। वहीं कई लोगों का मानना है कि ईरान के सिस्तान से कबड्डी की शुरूआत हई थी। पूरे भारत में कबड्डी चार फॉर्म्स में खेला जाता है। अमर, सुरंजीवी, हुत्तुतू और गेमिनी। सुरंजीवी सबसे ज्यादा खेला जाने वाला और इंटरनेशनल लेवल पर मशहूर गेम है।
बर्लिन में 1936 में हुए ओलंपिक गेम्स में पहली बार कबड्डी का गेम हुआ था। महाराष्ट्र के हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल ने अपने खेल से एडोल्फ हिटलर को भी हैरान कर दिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस पर एक आर्टिकल लिखा था। हालांकि उसके बाद 1980 तक इसका आयोजन नहीं हुआ।
1982 में दिल्ली में हुए एशियन गेम्स में एग्जीबिशन गेम के तौर पर कबड्डी का आयोजन हुआ था। इसके बाद 1990 के एशियन गेम्स से कबड्डी पूरी तरह से खेला जाने वाला गेम बन गया। तबसे लेकर अभी तक भारत और ईरान का ही इस खेल में ज्यादातर दबदबा रहा है। भारत ने 9 बार टाइटल अपने नाम किया और ईरान ने दो बार इसे जीता। बांग्लादेश का नेशनल गेम कबड्डी है और उन्होंने अभी तक तीन सिल्वर मेडल जीता है।
2004 से वर्ल्ड कप की शुरूआत हुई और तबसे लेकर अभी तक तीन बार इसका आयोजन हो चुका है। तीनों ही बार भारत ने इसकी मेजबानी की और टाइटल भी अपने नाम किया। कबड्डी वर्ल्ड कप में पूरी दुनिया की 12 टीमें हिस्सा लेती हैं। एशिया के अलावा केन्या और पोलैंड की टीमें भी कबड्डी खेलती हैं। वहीं कनाडा की भी टीम तैयार हो रही है।
पीकेएल का आगाज
प्रो कबड्डी लीग की शुरूआत गांव के इस खेल को कर्मशियलाइज्ड करने के लिए हुई थी और अब ये एक बड़ा ब्रांड बन चुका है। लीग में अब कई देशों के प्लेयर हिस्सा लेते हैं और यहां तक कि अफ्रीकन प्लेयर्स की भी संख्या बढ़ रही है।
कुल 12 टीमों के साथ प्रो कबड्डी लीग भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट लीग है। पहले शुरूआत में केवल आठ ही टीमें थीं लेकिन जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ता गया टीमों की संख्या भी बढ़ती गई। धीरे-धीरे इस लीग की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि ये भारत का दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला गेम बन गया। पहले सीजन में इसे 435 मिलियन व्युअर्स मिले थे और आईपीएल के बाद ये दूसरे नंबर पर था।
पीकेएल का वर्ल्ड लेवल पर प्रभाव
कबड्डी के लीग की शुरूआत ने इस गेम को एक अलग लेवल पर पहुंचा दिया। अब कबड्डी को काफी सीरियस तरीके से खेला जाने लगा। इसके बावजूद कबड्डी को अभी ओलंपिक में जगह नहीं मिली है। इसकी वजह ये है कि ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए चार महाद्वीप के 75 देशों की जरूरत होती है। हालांकि, देशों की संख्या और महाद्वीप पर तो कोई सवाल नहीं रहा लेकिन नेशनल कबड्डी फेडरेशन का ज्यादा ना होना एक सबसे बड़ी कमी रहा।
प्रो कबड्डी लीग की लोकप्रियता हर साल बढ़ती गई है और इसी वजह से अब ये गेम कई देशों में खेला जाने लगा है। वहीं टीमों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। हालांकि दुनिया के कई हिस्सों में अभी इस गेम को लेकर उतना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है और ना ही ये गेम ज्यादा पॉपुलर भी है, इसलिए इसे ओलंपिक में शामिल होने के लिए थोड़ा टाइम लगेगा। एशिया में तो पीकेएल अपना काम बखूबी कर रहा है और इसी वजह से इस खेल की पॉपुलैरिटी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
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