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मेरे करियर को आगे बढ़ाने में ISL का अहम योगदान, लालियानजुआला छांगटे ने कही बड़ी बात

Published at :March 26, 2024 at 6:08 PM
Modified at :March 26, 2024 at 6:08 PM
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Subhajit Chakraborty


आइलैंडर्स की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ लालियानजुआला छांगटे का ही है।

इंडियन सुपर लीग (ISL) 2023-24 में उन्नीस मैचवीक मुकाबले खेले जा चुके हैं, और मुम्बई सिटी एफसी 41 अंकों के साथ तालिका के शीर्ष पर विराजमान है। ऐसा लग रहा है कि आइलैंडर्स अपनी आईएसएल लीग विनर्स शील्ड का बचाव करने वाली पहली टीम बनने के बेहद करीब हैं। टीम ने इस समय तालिका में शीर्ष स्थान के लिए मिलने वाली चुनौतियों पर आसानी से पार पा लिया है।

आइलैंडर्स की अब तक की सफलता के पीछे प्रमुख खिलाड़ियों में से एक मौजूदा आईएसएल गोल्डन बॉल विजेता लालियानजुआला छांगटे हैं। उन्होंने चार गोल करने के साथ पांच में सहायता प्रदान की है और अग्रिम पंक्ति के अपने साथियों के साथ बेहतरीन तालमेल दिखाया है, जो नियमित रूप से विपक्षी टीमों और उनकी डिफेंस को प्रभावशाली ढंग से भेद रही है। वह विपक्षी टीम के बॉक्स के अंदर 21 सफल ड्रिबल और 79 टच दर्ज कर चुके हैं, और फाइनल थर्ड में हमेशा मौजूद रहते हैं, जिससे उनकी टीम ने इस आईएसएल सीजन में अब तक 36 गोल दागे हैं। आइलैंडर्स इस मामले में मोहन बागान सुपर जायंट (38) के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

मैं ISL को अपने ऊपर भरोसा जताने के लिए धन्यवाद देता हूं

मिजोरम के लुंगलेई में जन्मे, छांगटे ने 2016 में नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी की तरफ से आईएसएल में पदार्पण किया था। तब से वह चेन्नइयन एफसी और आइलैंडर्स के लिए खेल चुके हैं, साथ ही वह ब्लू टाइगर्स की मुख्य टीम के नियमित सदस्य हैं। आठ साल बाद, वह आईएसएल के प्रति आभारी हैं, क्योंकि लीग ने उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं के खिलाफ अपनी योग्यता साबित करने का मौका प्रदान किया है।

छांगटे ने लीग के साथ बातचीत में कहा, “मैंने अपने पहले क्लब नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी के साथ 2016 के आईएसएल सीजन में पेशेवर करियर शुरू किया था। अगर क्लब और आईएसएल ने मुझे खुद को साबित करने का मौका नहीं दिया होता, तो मैं आज यहां नहीं होता, क्योंकि उन्होंने एक खिलाड़ी व इंसान दोनों के रूप में मुझे अपना हुनर निखारने और चरित्र को मजबूत बनाने में मदद की है। मैं धीरे-धीरे अधिक परिपक्व होता चला गया। मुझे मौका देने, मुझ पर भरोसा करने और मेरी क्षमताओं पर विश्वास करने के लिए मैं लीग को धन्यवाद दूंगा।”

विंगर ने आगे कहा, “लीग बेहतर तरीके से विकसित हो रही है और उम्मीद है कि अधिक क्लबों के शामिल होने और अधिक मैच खेलने के मौके मिलने से हमें बेहतर खिलाड़ी बनने में मदद मिलेगी। जब आप अधिक मैच खेलते हैं तो इससे आपको राष्ट्रीय टीम में मदद मिलती है। आईएसएल बहुत अच्छा काम कर रही है, उम्मीद है कि वो ऐसा करना जारी रखेगी, मेरे जैसे युवा खिलाड़ियों को हर दिन विकसित होने में मदद करती रहेगी, जो राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का सपना देखते हैं। मुझे उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब हमें अन्य देशों से भी अधिक मान्यता मिलेगी।”

क्लब और देश स्तर पर मिलने वाली सफलताओं का आपस में संबंध हैं

छांगटे उन शानदार खिलाड़ियों में से एक हैं जिनकी सफलता की कहानियां क्लब फुटबॉल के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी छाई रही हैं। उन्होंने दिसम्बर 2015 में साउथ एशियन फुटबॉल फेडरेशन (एसएएफएफ) चैम्पियनशिप के दौरान श्रीलंका के खिलाफ सीनियर टीम में अपना पदार्पण किया था। तब से लेकर, छांगटे ब्लू टाइगर्स के लिए 34 मुकाबले खेल चुके हैं और और सात गोल कर चुके हैं। वह राष्ट्रीय टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छांगटे टीम के उन साथियों को बड़े प्यार से याद करते हैं जिन्होंने ऐसे समय में उनका साथ दिया था जब वह मुश्किल हालात में थे।

छांगटे ने कहा, “मैं 18 साल का था जब मैंने पहली बार राष्ट्रीय टीम के लिए खेला था। उसके बाद कुछ असफलताएं मेरे हाथ लगीं। मैं राष्ट्रीय टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा था, और कई बार ऐसा भी हुआ कि मैं (संभावितों की) सूची में नहीं था। मैं बहुत मेहनत करता रहा। सुनील भाई, संदेश भाई, गुरप्रीत जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों ने उस समय भी बहुत मदद की जब मैं टीम के अंदर नहीं था। उन्होंने मुझे क्लब स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि जब आप क्लब की तरफ से अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो आपको राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का मौका मिलता है।”

माता-पिता चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर ध्यान दूं

छांगटे इस समय क्लब स्तर के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से दमदार प्रदर्शन करके खूब वाहवाही लूट रहे हैं, लेकिन वह इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी कठिन रास्तों से गुजरे हैं। एक साधारण पृष्ठभूमि से आने के कारण, उनके माता-पिता शुरुआत में अपने बेटे द्वारा फुटबॉल को अपना करियर बनाने को लेकर उदासीन थे। वे दोनों शिक्षक थे और चाहते थे कि उनका बेटा भी टीचर बने। आखिरकार, वे अपने बेटे के उस समर्पण को देखकर मान गए, जो उन्होंने खेल में पेशेवर फुटबॉलर के रूप से शीर्ष पर पहुंचने की लंबी यात्रा के दौरान दिखाया।

उन्होंने कहा, “मैंने छोटी उम्र में फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था, लेकिन माता-पिता मेरे पेशेवर फुटबॉलर बनने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं थे, क्योंकि उस समय अधिकतर माता-पिता की तरह वे भी चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करूं। मेरी मां और पिताजी दोनों शिक्षक हैं, लेकिन उन्होंने मुझे हर दिन खुद को फुटबॉल के प्रति समर्पित करते हुए देखा, मैं ट्रेनिंग के लिए चार किलोमीटर दूर जाता था और उसके बाद फिर से स्कूल जाता। तो वे मेरी कड़ी मेहनत देखकर मान गए। उसके बाद से आज तक वे हर तरह से मददगार रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हमें वित्तीय समस्याएं थीं, और हमारे गांव में कोई सुविधा नहीं थी लिहाजा ट्रायल के लिए दूर जाने पड़ता था और उन यात्रा पर बहुत पैसा खर्च करना पड़ा। लेकिन सौभाग्य से, मुझे 50 किलोमीटर दूर एक ट्रायल के लिए आइजॉल जाने का अवसर मिला, जहां मेरा चयन हो गया। मुझे पुणे में अंतिम ट्रायल के लिए चुन लिया गया था। फिर, मैंने अपने आस-पास मौजूद उन खिलाड़ियों को देखा, जिनसे मैं प्रतिस्पर्धा करने जा रहा था, वे विभिन्न राज्यों के कुछ बेहतरीन प्रतिभा वाले खिलाड़ी थे। फिर मैंने खुद को देखा, तो पाया कि मैं बहुत छोटा हूं, और मेरा शारीरिक डील-डौल भी हलका था। इसलिए मैं डर गया था।”

हालांकि, उस समय भी, छांगटे को पता था कि इन चुनौतियों से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका अपने साथियों की तुलना में अधिक मेहनत करना था। उसी चीज को ध्यान में रखकर उन्होंने फुटबॉल के प्रति अपने को पूरी तरह समर्पित करते हुए ट्रेनिंग पिच के साथ-साथ व्यायामशाला दोनों में कई घंटे बिताए।

उन्होंने बताया, “लेकिन, मुझे पता था कि मुझे कड़ी मेहनत करनी होगी, हर दिन खुद को झोंकना होगा। मुझे पता था कि जब मेरे साथी सो रहे होंगे तो मुझे जागना होगा। मुझे पता था कि जब वे फिल्में देख रहे होंगे तो मुझे जल्दी सोना होगा। मैं अधिक ट्रेनिंग टाइम पाने के लिए जल्दी उठता था। अंततः ये सभी छोटी-छोटी चीजें एक बड़ी चीज बन जाती हैं, और वो समर्पण मुझे हर दिन वहां ले जाता है जहां मैं आज हूं।”

इसमें कोई दो राय नहीं है कि छांगटे आईएसएल पारिस्थितिकी तंत्र के असाधारण खिलाड़ियों में से एक हैं। वह ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके पास अपने सर्वश्रेष्ठ खेल वर्ष हैं। यह विंगर आइलैंडर्स की हाल ही में सभी सफलताओं का केंद्र रहा है और टीम सेटअप में उसका महत्व और प्रभाव केवल धीरे-धीरे बढ़ रहा है। लेकिन, जैसा कि उनकी कहानी से संकेत मिलता है, छांगटे उन खिलाड़ियों में से नहीं हैं जो सम्मानों हासिल करने पर आराम से बैठ जाएंगे। वह कड़ी मेहनत करना बंद नहीं करेंगे और जो कुछ भी उनके लिए अब तक अद्भुत रहा है उसमें सुधार करना बंद नहीं करेंगे। पिछले साल आईएसएल ट्रॉफी से चूकने के बाद, उनका लक्ष्य इस सीजन में मुम्बई सिटी एफसी के साथ घरेलू स्तर पर दोहरा खिताब जीतना होगा।

राष्ट्रीय टीम के वर्ल्ड कप क्वालीफायर के लिए अंतरराष्ट्रीय ब्रेक के पूरा होने के बाद, इंडियन सुपर लीग 30 मार्च, 2024 को एक्शन में लौट आएगा।

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