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भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाने में ISL का अहम योगदान, सुभाशीष बोस ने दिया बड़ा बयान

Alex is web content writer who is covering various sports, technology in sports and igaming space from 2017.
Published at :December 26, 2023 at 5:58 PM
Modified at :December 26, 2023 at 5:59 PM
भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाने में ISL का अहम योगदान, सुभाशीष बोस ने दिया बड़ा बयान

बोस ने भारतीय फुटबॉल और उसके खिलाड़ियों पर ISL के महत्व को उजागर किया है।

कई आईएसएल (ISL) क्लबों और राष्ट्रीय टीम में प्रभावशाली करियर रखने वाले प्रमुख भारतीय फुटबॉलर सुभाशीष बोस ने अपनी खेल यात्रा और भारत में फुटबॉल के प्रभाव को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के साथ बातचीत में, बोस ने वर्तमान पीढ़ी के सपनों को आकार देने में इस लीग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

बतौर खिलाड़ी बोस की सफलता और व्यक्तिगत विकास यात्रा का पता इससे चलता है कि वह भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए 34 मुकाबले खेल चुके हैं और मुम्बई सिटी एफसी, बेंगलुरू एफसी और मोहन बागान सुपर जायंट जैसे प्रतिष्ठित आईएसएल क्लबों के साथ काफी समय बिता चुके हैं। अपने क्लब के साथ आईएसएल फाइनल और डूरंड कप जीतना, साथ ही इंटरकांटिनेंटल कप और सैफ (एसएएफएफ) चैम्पियनशिप में भारतीय टीम की जीत का हिस्सा बनना जैसी उपलब्धियां उनके करियर में महत्वपूर्ण रही हैं।

बचपन से ही मोहन बागान के कट्टर समर्थक रहा यह 28 वर्षीय डिफेंडर अभी भी उस समय को याद करता हैं, जब उसने फुटबॉल में अपना करियर बनाने का विचार त्याग दिया था।

बोस बताते हैं, “यहां बहुत सारे अवसर हैं और आईएसएल ने सभी के बीच यह संदेश फैलाने में मदद की है कि फुटबॉल को भारत में एक पेशे के रूप में अपनाया जा सकता है। जब मैंने शुरुआत की थी, तो बस खेलने का जुनून हुआ करता था। तब मुझे यकीन नहीं था कि मैं केवल फुटबॉल खेलकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाऊंगा या नहीं। हालांकि, आईएसएल ने बहुत अधिक एक्सपोजर दिया है और लीग वर्तमान पीढ़ी को बड़े सपने देखने, पेशेवर फुटबॉलर बनने और अपने पसंदीदा क्लबों और सबसे महत्वपूर्ण देश का प्रतिनिधित्व करने में मदद कर रही है।”

मुझे मैरिनर्स के लिए खेलने का बहुत जुनून है – सुभाशीष बोस

कोलकाता से ताल्लुक रखने वाले बोस को जहां तक याद है, उन्हें फुटबॉल और अपने क्लब से काफी समय पहले से ही प्यार रहा है। वह ऐसे व्यक्ति हैं जो दबाव में भी बेहतर खेलता है और स्टेडियम के अंदर प्रशंसकों द्वारा पैदा की जाने वाली भावनाओं से जोश में आता है। मैरिनर्स के प्रशंसकों के भरपूर समर्थन के कारण ही बहुमुखी प्रतिभा वाले इस डिफेंडर को मैच के आखिरी मिनटों में वापसी करने और अपना सबकुछ झोंक देने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। वह कहते हैं, “मुझे मैरिनर्स के लिए खेलने का बहुत जुनून है, क्योंकि मेरा मानना है कि वे देश में सबसे अच्छे प्रशंसक हैं।”

बोस आगे कहते हैं, “पिछले सीजन में मोहन बागान सुपर जायंट के साथ आईएसएल ट्रॉफी जीतना इस लीग में अब तक मेरे करियर की सबसे बड़ी उलब्धि रही है। हम कई वर्षों से इसे जीतने के लिए प्रयास कर रहे थे और अंततः इसे हासिल करना एक यादगार पल था। दूसरे, बेंगलुरू एफसी के खिलाफ हमारे मैचों के दौरान भारत के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू के खिलाफ गोल करना भी बहुत ही यादगार पल था! मोहन बागान के फैंस की भीड़ के सामने मैं जब भी फुटबॉल खेलता हूं वो यादगार होता है। यहां तक कि जब मैं लगभग 70-80 मिनट में थक जाता हूं, तब भी वे हमारा हौसला बढ़ाते हैं और इससे मुझे और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अधिक ऊर्जा मिलती है।”

मोहन बागान सुपर जायंट और ईस्ट बंगाल एफसी के बीच सदियों पुरानी प्रतिद्वंद्विता का उल्लेख किए बिना कोलकाता फुटबॉल को लेकर कोई भी बातचीत पूरी नहीं होती है। सुभाशीष बोस मजाकिया ढंग से याद करते हैं कि वह कोलकाता डर्बी के दिनों में रेड एंड गोल्ड ब्रिगेड के समर्थक अपने दोस्तों के साथ चर्चा से बचते थे। इसके साथ ही, उन्होंने आगाह किया कि प्रतिद्वंद्विता केवल मैदान तक ही सीमित होनी चाहिए और खेल की अवधि के बाद किसी तरह का खून-खराबा नहीं होना चाहिए।

“भारतीय फुटबॉल का फैन बेस बहुत बढ़ गया है”

बोस ने कहा, “एक बंगाली लड़के के रूप में, मैं बचपन से ही कोलकाता डर्बी के दिन अपने उन दोस्तों से बात नहीं करता था जो ईस्ट बंगाल एफसी के प्रशंसक थे। एक पेशेवर खिलाड़ी के तौर पर मेरा मानना है कि ये चीजें भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ने में मदद करती हैं। हालांकि, मैं हमेशा इस बात पर जोर दूंगा कि प्रतिद्वंद्विता केवल मैच के 90 मिनट तक ही रहनी चाहिए। अब, मेरे कई ऐसे दोस्त हैं जो ईस्ट बंगाल एफसी के प्रशंसक हैं, लेकिन हमारे बीच प्रतिद्वंद्विता केवल मैच के समय तक ही रहती है। उसके बाद, हम एक साथ बाहर जाते हैं, रात का खाना खाते हैं, मिलकर मौज-मस्ती करते हैं, आदि।”

वह आगे कहते हैं, “भारतीय फुटबॉल का फैन बेस बहुत बढ़ गया है। लोग पहले केवल यूरोपीय फुटबॉल, मुख्य रूप से इंग्लिश प्रीमियर लीग (ईपीएल) देखा करते थे। लेकिन, वो रुचि अब हमारे मैचों की तरफ झुकती जा रही है। मोहन बागान सुपर जायंट और ईस्ट बंगाल एफसी के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण कोलकाता को भारत में फुटबॉल का मक्का कहा जाता है।”

“ISL ने पिछले दशक में भारतीय फुटबॉल और खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में काफी मदद की है”

भारतीय फुटबॉल ने बोस को प्रतिभाशाली युवा से भरोसेमंद डिफेंडर के रूप में विकसित होते देखा है, जो अपने क्लब और देश दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षणों में जिम्मेदारियां लेता है। बोस उन कोचों और खिलाड़ियों के जरिये अंतरराष्ट्रीय खेल तौर-तरीकों से परिचित होने में मदद का श्रेय आईएसएल को देते हैं, जिन्होंने उन्हें अपनी खेल शैली के नए आयाम खोजने में सक्षम बनाया।

बोस अंत में कहते हैं, “इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) ने पिछले दशक में भारतीय फुटबॉल और उसके खिलाड़ियों को काफी आगे बढ़ाने में मदद की है। विदेशी कोचों की देखरेख में अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके स्पेनिश, फ्रेंच और अन्य विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने से हम अपने व्यक्तिगत स्किल, खेल शैली में भी सुधार करने में सक्षम हुए हैं। इससे हम राष्ट्रीय टीम के लिए और अधिक निडर होकर खेलने को प्रोत्साहित हुए हैं।” 

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Alex graduated in mass communication in 2016 and has been covering global sports for Khel Now since then. He is covering sports tech, igaming, sports betting and casino domain from 2017.

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