पीकेएल (PKL) इतिहास के 10 सबसे महान खिलाड़ी

इस सूची में मौजूद सभी खिलाड़ियों ने कबड्डी को नई पहचान दी है।
प्रो कबड्डी लीग (PKL) की शुरुआत साल 2014 में हुई थी और आज 10 सालों के बाद ये भारत की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स लीग्स में से एक बन चुकी है। PKL के कारण कबड्डी की लोकप्रियता अब केवल भारत या उसके करीबी देशों तक ही नहीं बल्कि अफ्रीकी महाद्वीप समेत अन्य देशों में भी बढ़ने लगी है।
PKL को एक सफल लीग बनाने में बहुत लोगों को योगदान रहा है, जिनमें ऐसे कई खिलाड़ी भी हैं जिनके खेलने के तरीके को युवाओं से लेकर वयस्क फैंस भी फॉलो करते हैं। इस आर्टिकल में आइए प्रो कबड्डी लीग (PKL) इतिहास के 10 सबसे महान खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने इस लीग को सफल बनाया।
इन खिलाड़ियों ने PKL को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाया है:
10. दीपक निवास हूडा
दीपक निवास हूडा प्रो कबड्डी लीग के पहले सीजन में दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी रहे थे, जिन्हें तेलुगु टाइटंस ने 12.6 लाख रुपये में खरीदा था। उन्हें अपनी तेज मूवमेंट और चतुराई भरे अंदाज में रेड करने के लिए जाना जाता है और आगे चलकर एक ऑल-राउंडर के रूप में उभर कर सामने आए। वो PKL में कुल चार टीमों के लिए खेले और इस दौरान उन्होंने 1020 रेड पॉइंट्स और 99 टैकल पॉइंट्स भी अर्जित किए थे।
9. पवन सेहरावत
पवन सेहरावत की उम्र अभी मात्र 27 साल है और कबड्डी के युवा फैंस उन्हें अपना हीरो मानने लगे हैं। उनकी लॉयन जम्प खासतौर पर युवा खिलाड़ियों के बीच काफी लोकप्रिय है। दसवें सीजन में उन्हें तेलुगु टाइटंस द्वारा 2.6 करोड़ रुपये में खरीदा जाना दर्शा रहा था कि PKL भी खिलाड़ियों को खूब सारा पैसा कमा कर दे सकती है। उन्होंने अपने PKL करियर में चार टीमों के लिए खेलते हुए 1129 रेड और 54 टैकल पॉइंट्स अर्जित किए हैं।
8. धर्मराज चेरालाथन
धर्मराज चेरालाथन अपने लंबे PKL करियर में कुल 7 टीमों के लिए खेले और वो बढ़ती उम्र के बावजूद लगातार रेडरों के लिए मुश्किलें बढ़ाने का काम करते रहे। उन्होंने आठवें सीजन में 46 साल की उम्र में जयपुर पिंक पैंथर्स के लिए खेलते हुए साबित किया था कि कबड्डी में उम्र की कोई सीमा नहीं है। प्रो कबड्डी लीग में हासिल किए गए 261 टैकल पॉइंट्स उन्हें एक महान डिफेंडर साबित करती हैं।
7. नवीन कुमार
नवीन कुमार पिछले कुछ सालों से युवाओं के हीरो बने हुए हैं और उन्हें नवीन एक्स्प्रेस के नाम से जाना जाता है। उनकी तेज मूवमेंट उन्हें ज्यादातर मौकों पर सफल रेड करने में मदद करती है। वो PKL के इतिहास के उन 3 चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने किसी एक सीजन में 300 से अधिक रेड पॉइंट्स बटोरे हों।
6. मनिंदर सिंह
मनिंदर सिंह उन खिलाड़ियों में से एक हैं जिनका प्रदर्शन साल दर साल बेहतर होता जा रहा है। उन्होंने अपनी कप्तानी में सातवें सीजन में बंगाल वॉरियर्स को चैंपियन बनाया था। वो PKL इतिहास के सबसे सफल रेडरों में से एक हैं और ताकत के दम पर डिफेंडर्स के लिए मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं।
5. अजय ठाकुर
अजय ठाकुर ने PKL के शुरुआती सीजनों में लीग को लोकप्रियता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें खासतौर पर Do-or-Die रेड्स के लिए जाना जाता है और कठिन परिस्थितियों में अपनी लंबाई का फायदा उठाकर विपक्षी डिफेंडर्स की मुश्किलें बढ़ाते थे। उन्होंने PKL में 4 टीमों के लिए खेलते हुए 794 रेड पॉइंट्स अर्जित किए थे।
4. मनजीत छिल्लर
मनजीत छिल्लर PKL के इतिहास के सबसे महान ऑल-राउंडर्स में से एक हैं। वो सीजन 8 में आखिरी बार खेलते हुए दिखाई दिए थे और उस सीजन में भी उन्होंने 52 टैकल पॉइंट्स अर्जित किए थे। उन्होंने अपने शानदार करियर में 751 टैकल पॉइंट्स के अलावा 225 रेड पॉइंट्स भी हासिल किए थे। वो सीजन 9 में तेलुगु टाइटंस के सहायक कोच के रूप में दिखाई दिए थे।
3. परदीप नरवाल
इस बात में कोई संदेह नहीं कि परदीप नरवाल ने प्रो कबड्डी लीग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की है। वो 2015 में अपने पहले सीजन में संघर्ष करते दिखाई दिए, लेकिन 2016 में उनके करियर ने रफ्तार पकड़नी शुरू की। उन्हें डुबकी किंग के नाम से भी जाना जाता है और वो इस लीग के इतिहास में सबसे ज्यादा रेड पॉइंट्स अर्जित करने वाले खिलाड़ी हैं। उनके नाम फिलहाल 1688 रेड पॉइंट्स हैं।
2. फजल अत्राचली
फजल अत्राचली PKL इतिहास के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने ही प्रो कबड्डी लीग को अन्य देशों में लोकप्रियता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनसे प्रेरणा लेकर केवल ईरान ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों के खिलाड़ी भी PKL में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। अत्राचली 460 टैकल पॉइंट्स के साथ PKL के इतिहास के सबसे सफल डिफेंडर भी हैं।
1. अनूप कुमार
प्रो कबड्डी लीग के इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों की बात हो रही हो और अनूप कुमार का नाम सामने ना आए, ऐसा नहीं हो सकता। अनूप कुमार ने पहले सीजन में यू मुम्बा को फाइनल में पहुंचाया, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर पाए थे मगर दूसरे सीजन में उन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को चैंपियन बनाया था। उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी सब्र से काम लेने के लिए कबड्डी के “कप्तान कूल’ के रूप में जाना जाता है।
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