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बाईचुंग भूटिया: पीके बनर्जी का जाना इंडियन फुटबॉल के लिए बहुत बड़ा नुकसान

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Published at :March 21, 2020 at 7:58 PM
Modified at :March 23, 2020 at 9:11 PM
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इंडियन फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान ने दिवंगत खिलाड़ी को अपने पिता समान बताया।

1962 एशियन गेम्स में दमदार प्रदर्शन करके गोल्ड मेडल जीतने वाली इंडियन फुटबॉल टीम का अहम हिस्सा रहे पीके बनर्जी का शुक्रवार को 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

बनर्जी इंडियन फुटबॉल में एक बहुत बड़ा नाम थे और एक खिलाड़ी के रूप में शानदार खेल दिखाने के बाद उन्होंने कोचिंग में भी अपना योगदान दिया। इंडिया के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया भी उनके मार्गदर्शन में खेले और उन्होंने माना कि बनर्जी के अंडर ही उन्होंने अपने करियर का सबसे बड़ा फुटबॉल मैच खेला।

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1977 का साल था जब फेडरेशन कप के सेमीफाइनल में भूटिया ने दमदार प्रदर्शन करते हुए हैट्रिक लगाई थी और ईस्ट बंगाल को 4-1 से जीत दिलाई थी। एक लाख 20 हजार दर्शकों के बीच किए गए इस प्रदर्शन ने भूटिया को स्टार खिलाड़ी बना दिया।

भूटिया ने उस दिन को याद करते हुए पीटीआई से कहा, "उस समय मैच से जुड़ी बहुत सारी बातें हो रही थीं और मोहन बागान के कोच अमल दत्ता ने कुछ आपत्तिजनक बयान भी दिए थे, लेकिन प्रदीप दा ने अपने खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनने दिया।"

भूटिया ने कहा, "अमल दा दबाव में थे और उन्होंने कई बयान दिए। हालांकि, हम पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा और यह चीज हमारे प्रदर्शन में भी नजर आई। प्रदीप दा बहुत ही शांत स्वभाव के इंसान थे और मैच के दौरान यह साफ देखा जा सकता था। वह इसी तरीके अपने प्लेयर्स से उनका बेस्ट निकलवाते थे। नि​श्चित तौर वह मेरे करियर का सबसे बड़ा मैच था।"

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अपने पूरे करियर में भूटिया ने क्लब और देश के लिए कुल 54 ट्रॉफी जीती जो किसी भी इंडियन प्लेयर के लिए सबसे ज्यादा है। दूसरी ओर, बनर्जी ने अपने कोचिंग में भी सफलता हासिल की। वह 1971 से 1975 के बीच भी ईस्ट बंगाल के कोच रहे और लगातार पांच बार कलकत्ता लीग का खिताब अपने नाम किया।

भूटिया ने कहा, "प्रदीप दा कभी दबाव में नहीं आए। उन्होंने कभी भी किसी प्रकार की बयानबाजी नहीं की और वह अमल दा की तरह दबाव में नहीं आए। वह एक माहन प्लेयर एवं कोच थे और मेरे लिए वह एक अच्छे इंसान भी थे। वह हमेशा खुश रहते थे और यह उनकी सबसे बड़ी क्वॉलिटी थी।"

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"उनके साथ रहने और उनकी कहानी सुनने में बहुत मजा आता था। फील्ड के बाहर भी बनर्जी अपने खिलाड़ियों से बात करते थे और वह नि​श्चित रूप से मेरे लिए एक पिता के जैसे थे। उनका जाना इंडियन फुटबॉल के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है।"

एशिन गेम्स के अलावा बनर्जी 1956 में हुए मेलबर्न ओलम्पिक में भी इंडियन फुटबॉल टीम का हिस्सा थे। 1960 रोम ओलम्पिक में तो वह टीम के कप्तान भी थे। एक कोच के रूप में 1977 में बनर्जी के मार्गदर्शन में ईस्ट बंगाल ने आईएफए शील्ड, रोवर्स कप और डुरंड कप जीता।

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