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फुटबॉल समाचार

आई-लीग में परफॉर्मेंस के दम पर इंडियन टीम में जगह बनाना चाहते हैं विद्यासागर सिंह

Published at :March 21, 2021 at 11:53 PM
Modified at :March 21, 2021 at 11:53 PM
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Rahul Gupta


मणिपुर का ये खिलाड़ी इस वक्त शानदार फॉर्म में है।

​आई-लीग में ट्राऊ एफसी के विद्यासागर सिंह ने पिछले कुछ मुकाबलों में दमदार प्रदर्शन करके सबको चौंका दिया है। उन्होंने अभी तक तीन सीजन में कुल 14 मुकाबले खेले हैं और इस दौरान 11 गोल किए हैं, जबकि उनके नाम दो लगातार हैट्रिक का भी रिकॉर्ड दर्ज है। वो ये कारनामा करने वाले आई-लीग इतिहास के पहले इंडियन प्लेयर हैं। हालांकि, उनका अभी तक का सफर आसान नहीं रहा है। कुछ समय पहले तक मणिपुर का ये युवा खिलाड़ी अपने गांव में खेतों में काम किया करता था।

विद्यासागर ने आई-लीग की वेबसाइट से खास बातचीत में बताया, "मेरे पिता किसान हैं और मेरी मां हाउसवाइफ हैं। शुरुआती दिनों में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हमें फुटबॉल बूट्स और जरुरी सामान खरीदने में दिक्कतें आती थीं। कभी-कभी तो मैं अपनी फैमिली की मदद करने के लिए धान के खेतों में भी जाकर काम करता था। हालांकि इन सब चुनौतियों के बावजूद मेरे पैरेंट्स ने हमेशा मेरे फुटबॉल के सपने को सपोर्ट किया।"

एक फुटबॉल प्लेयर बनना किसी सपने के सच होने से कम नहीं होता है और विद्यासागर सिंह इस वक्त ड्रीम फॉर्म में भी चल रहे हैं। उनकी सफलता से उनके पैरेंट्स काफी खुश हैं।

उन्होंने कहा, "मेरे पिता फुटबॉलर बनना चाहते थे लेकिन मेरे दादा ने उनको सपोर्ट नहीं किया था, क्योंकि उस वक्त बहुत कम ही प्लेयर थे। वो हमेशा फुटबॉल खेलना चाहते थे और जब मैंने कहा कि मैं भी फुटबॉलर बनना चाहता हूं तो उन्होंने मुझे पूरा सपोर्ट किया। ये उनका सपना था कि मैं फुटबॉलर बनूं। इससे बढ़कर खुशी और कुछ नहीं हो सकती है कि मेरे माता-पिता को मुझ पर गर्व है। इस वक्त वो दुनिया के सबसे खुश पैरेंट्स हैं।"

जब मैं फुटबॉल खेलता हूं तो सारे दर्द भूल जाता हूं

11 साल की उम्र में विद्यासागर सिंह ने फुटबॉल में अपना पहला कदम रखा था। उनकी पहली मेंटर इंडियन वुमेंस नेशनल टीम की पूर्व फॉरवर्ड परमेश्वरी देवी थीं, जिन्हें वह अपनी बड़ी बहन मानते हैं और उनके बहुत बड़े फैन भी हैं।

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उन्होंने कहा, "जब मैं छठी क्लास में था तब फुटबॉल खेलना शुरु किया था। मैं अपने घर के नजदीक एक ग्राउंड में दोस्तों के साथ खेला करता था। मुझे काफी मजा आता था। मैं परमेश्वरी देवी का आभारी हूं जो मेरी पहली कोच थीं और फुटबॉल के बारे में उन्होंने ही मुझे सबकुछ बताया था। उन्होंने मुझे बताया कि ड्रिबल कैसे करना है, किक कैसे मारनी है। जब भी मुझे जरुरत पड़ी वो हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं। मेरे ऊपर उनका काफी प्रभाव है और मैं उनका सबसे बड़ा फैन भी हूं।"

समय बीतने के साथ धीरे-धीरे विद्यासागर के टैलेंट में निखार आता गया और लोकल सर्किट में उनका नाम काफी हो गया। इसके बाद वो लगातार आगे बढ़ते चले गए।

वह बताते हैं, "जब मैं 10वीं क्लास में था तो मैंने लोकल टूर्नामेंट्स में खेलना शुरु किया। जितने भी टूर्नामेंट्स मैंने खेले उसमें टॉप स्कोरर रहा। मुझे इससे काफी खुशी मिलती है कि फुटबॉल एक टीम गेम है। जब मैं मैदान में उतरता हूं अपने सारे दुख-दर्द भूल जाता हूं।"

इंडियन टीम में खेलने का है सपना

दो मुकाबलों में छह गोल करने के बाद विद्यासागर सिंह के अब कुल 11 गोल हो गए हैं। वो अब लीग में सबसे ज्यादा गोल करने वाले प्लेयर हैं। उन्होंने टूर्नामेंट में लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस के दम पर इंडियन टीम की तरफ से खेलने की इच्छा जताई है।

उन्होंने कहा, "हर फुटबॉलर नेशनल टीम का हिस्सा बनना चाहता है और मेरी भी यही ख्वाहिश है। मुझे कोच इगोर स्टीमाक और अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है। मैं हीरो आई-लीग में ज्यादा से ज्यादा गोल करना चाहता हूं। ये मेरे लिए काफी बेहतरीन प्लेटफॉर्म है और मैं लगातार बेहतर करना चाहता हूं।"

मणिपुर के लिए हीरो-आई लीग की ट्रॉफी जीतना चाहता हूं

मणिपुर की कोई भी टीम अभी तक आई-लीग का खिताब नहीं जीत पाई है। विद्यासागर सिंह अपने स्टेट के लिए ये कारनामा करना चाहते हैं। उन्होंने इस बारे में भी प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने अंत में कहा, "मणिपुर स्पोर्ट्स का पावरहाउस है और हर कोई वहां पर फुटबॉल को पसंद करता है और खेलना चाहता है। इसलिए यहां से काफी सारे फुटबॉलर निकलकर आते हैं। लगभगर हर घर में एक प्लेयर है। इस साल हीरो-आई लीग का खिताब जीतना काफी शानदार होगा। मणिपुर के फैंस काफी खुश होंगे और पूरे स्टेट के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि होगी। आई-लीग चैंपियन बनने के लिए हम लगातार कोशिश करते रहेंगे।"

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