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इंडियन फुटबॉल: इस सदी के सबसे सफल पांच इंडियन कोच

Published at :May 5, 2021 at 1:20 AM
Modified at :May 5, 2021 at 1:20 AM
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riya


इस लिस्ट में ऐसे नाम हैं जिन्होंने कई ट्रॉफी जीती हैं।

21वी सदी में इंडियन फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लोगों के संपर्क में आने का सही मौका मिला। ऐसे में बहुत कम ही खिलाड़ी और कोच थे, जिन्हें इससे पहले इंडियन फुटबॉल जगत में आने का मौका मिला, क्योंकि पहले ज्यादातर भारतीय लोगों को ही ऐसा मौका मिलता था।

इंडियन फुटबॉल में विदेशी खिलाड़ियों के आने से खेल में कई परिवर्तन आए। हालांकि, भारतीय कोच भी देश में खेल के विकास के लिए अभी तक काफी अच्छा काम कर रहे हैं। यहां हम आपको इस सदी के पांच सबसे सफल भारतीय कोच के बारे में बता रहे हैं।

5. खालिद जमील

खालिद जमील ने मैनेजर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की साल 2009 में मुंबई एफसी के साथ। वो क्लब के साथ 6 सालों तक जुड़े रहे और इस दौरान उन्होंने अपना नाम तो बनाया, साथ में कई युवा खिलाड़ियों को भी तैयार किया। इसके बाद वो 2016-17 के सीजन में आइजॉल एफसी के साथ जुड़ गए और टीम को उनके पहले आई-लीग टाइटल तक ले गए।

आइजॉल एफसी के बाद जमील कोलकाता जाइंट्स ईस्ट बंगाल के साथ जुड़ गए। हालांकि रेड एंड गोल्ड क्लब के साथ वो कुछ खास नहीं कर सके और उन्होंने क्लब छोड़ दिया। जनवरी 2019 में उन्हें बाकी के सीजन के लिए मोहन बगान का अंतरिम कोच बनाया गया।

इसके बाद वो 2019-20 सीजन के पहले आईएसएल की टीम नॉर्थ ईस्ट यूनाइटेड के साथ जुड़े। जेरार्ड नूस को सीजन के बीच में ही हटाए जाने के बाद उन्हें बाकी के सीजन के लिए टीम का अंतरिम कोच बना दिया गया। पिछले सीजन में वो अपनी टीम को प्लेऑफ्स तक ले गए थे।

4. डेरिक परेरा

एफसी गोवा के मौजूदा टेक्नीकल डायरेक्टर डेरिक परेरा कई भारतीय क्लब्स को संभाल चुके हैं। हालांकि उनका सबसे सफल समय महिंद्रा यूनाइटेड के साथ गुजरा। इस दौरान 2005 से 2009 तक उन्होंने चार ट्राफीज (एक एनएफएल, एक फेडरेशन कप और दो आईएफए शील्ड) जीतीं.

परेरा पुणे एफसी, डीएसके शिवाजियंस, सालगाओकर और चर्चिल ब्रदर्स के भी मैनेजर रह चुके हैं। वो साल 2019 में भारतीय अंडर-23 टीम के भी मैनेजर रह चुके हैं।

3. संजय सेन

सेन इंडियन फुटबॉल में एक बड़ा नाम हैं।

संजय सेन ने मैनेजर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत साल 2010 में प्रयाग यूनाइटेड के साथ की। 60 साल के सेन ने अपना पहली ट्रॉफी जीती कोलकाता के जाने माने क्लब मोहम्मदीन स्पोर्टिंग क्लब के साथ साल 2013 में, जब उन्होंने डुरंड कप अपने नाम किया। इसी साल उन्होंने ब्लैक पैंथर्स को गाइड किया और वो सैकंड डिवीजन आई-लीग के रनर अप बने।

इसके बाद उन्होंने मोहम्मदीन के साथ आईएफए शील्ड जीती और फिर मोहन बगान के साथ जुड़ गए। मरीनर्स के साथ अपने डेब्यू साल में ही उन्होंने टीम को आई-लीग में जीत दिलवाई। मोहन बगान ने उनके नेतृत्व में साल 2015-16 का फेडरेशन कप भी जीता।

संजय सेन ने 2019-20 में असिस्टेंट कोच के तौर पर एटीके के साथ आईएसएल भी जीता है। फिलहाल वो एटीके मोहन बगान के असिस्टेंट कोच हैं।

2. सुभाष भौमिक

सुभाष भौमिक इंडियन फुटबॉल के सबसे सफल कोच में से एक हैं। कहा जाता है कि एएफसी बी लाइसेंस होल्डर होने के बाद भी भौमिक अपने जमाने के कई कोचों से काफी बेहतर थे। ईस्ट बंगाल के साथ अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने रेड एंड गोल्ड ब्रिगेड को 2003-04 और 2004-05 में लगातार एनएफएल टाइलट दिलाया।

उन्होंने सीएफएल, आईएफए शील्ड और दुरंद कप भी जीते हैं। उनके गाइडेंस में ईस्ट बंगाल ने 2003 में एलजी एसीईएएन क्लब कप भी जीता था, जिसे वो अपनी सबसे बड़ी ट्रॉफी मानते हैं।

1. अर्मांडो कोलासो

कोलासो को इस सदी का सबसे सफल भारतीय कोच माना जाता है। उन्होंने डेंपो एससी के साथ ही सफलता के आयाम हासिल किए। गोवा के क्लब डेंपो के साथ वो 13 साल तक जुड़े रहे और उन्होंने पांच लीग टाइटल जीते। इसके अलावा उन्होंने फेडरेशन और डुरंड कप भी जीते।

उनके गाइडेंस में डेंपो पहली भारतीय टीम बनी थी जो एएफसी कप सेमी फाइनल तक पहुंची हो। उन्होंने ईस्ट बंगाल और चर्चिल ब्रदर्स के साथ भी कोच के तौर पर काम किया, लेकिन यहां वो ज्यादा सफल नहीं हो सके।

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