इंडियन सुपर लीग और चाइनीज सुपर लीग के बीच ये पांच अंतर हैं
एशिया की इन दो लीगों ने हाल के समय में दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
यूरोपियन और अमेरिकन लीग्स जैसी अमीर टूर्नामेंट से इतर जब फुटबॉल जगत में तेजी से उभरती लीग्स की बात आती है तो जेहन में सबसे पहले नाम आते हैं इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) और चाइनीज सुपर लीग (सीएसएल)।
दोनों ही लीग्स में कई टॉप फुटबॉल स्टार खेल चुके हैं और पिछले कुछ वर्षों में ये अपने-अपने देशों में काफी पॉपुलर भी हो रही हैं। ऐसे में इन दोनों के बीच काफी तुलनाएं भी की जाने लगी हैं। इन दोनों लीग्स के बीच पांच बड़े अंतरों से हम आपको रूबरू करवा रहे हैं।
5. सीएसएल में वीएआर सिस्टम है, आईएसएल में नहीं
यूरोपियन लीग्स की तरह चाइनीज सुपर लीग में भी वीडियो असिसटेंट रेफरी (वीएआर) सिस्टम है। फुटबॉल जगत में इस सिस्टम को पहली बार 2018 वर्ल्ड कप के समय इस्तेमाल किया गया था और लगभग तभी से ये सीएसएल में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि वीएआर सिस्टम भी लगातार आलोचनाओं का सामना करता रहा है, ऐसे में चाइनीज एफए ने रेफरींग को और बेहतर बनाने के लिए हॉक आई थ्रीडी ऑफसाइड सिस्टम का भी इस्तेमाल किया है।
वहीं दूसरी तरफ, इंडियन सुपर लीग में ये दोनों ही टेक्नोलॉजीस का इस्तेमाल अभी तक नहीं किया गया है। हालांकि लीग में लगातार ऑफिशियल्स द्वारा हो रही बड़ी गलतियों को देखते हुए वीएआर सिस्टम को लागू किए जाने की मांग काफी बढ़ गई है।
इस दौरान ये सवाल भी उठते हैं कि क्या आईएसएल ऐसी महंगी तकनीक का खर्च उठा सकती है, लेकिन ये खेल का भविष्य है। ऐसे में भारत की इस टॉप लीग को वीएआर सिस्टम को अपने आगामी सीजन्स में लाना ही होगा।
4. सैलरी कैप
सैलरी कैप एक निश्चित कीमत होती है, जो कि टीम अपने खिलाड़ियों पर खर्च कर सकती है, इसमें सैलरी, भत्ते, बोनस और साइनिंग फीस भी शामिल होती है। आईएसएल में ये 2.2 मिलियन डॉलर है, यानी लगभग साढ़े 16 करोड़ रुपए, ये राशि पिछले यानी 2019-20 के सीजन मेंम 2.3 मिलियन डॉलर थी। लेकिन वहीं जब चाइनीज सुपर लीग की बात करें तो उनका सैलरी कैप लगभग 95 मिलियन डॉलर है।
चाइनीज लीग के ज्यादा खर्च करने के कारण ही वो दुनियाभर के बड़े-बड़े विदेशी सितारों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब होती है। हालांकि वहां भी विदेशी खिलाड़ियों को साइन करने के लिए सैलरी कैप में काफी बदलाव किए गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा स्थानीय खिलाड़ियों को मौका मिल सके।
अगर आईएसएल से तुलना करें तो ये अभी काफी नई लीग है, जिसके कई क्लब्स को हर सीजन लगभग 4-5 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है। ऐसे में सैलरी कैप को बढ़ाए जाने से कई टीमों की आर्थिक हालत और खराब हो जाएगा और वो दिवालिया भी हो सकते हैं।
3. विदेशी खिलाड़ी
अगर विदेशी खिलाड़ियों की बात करें तो इंडियन सुपर लीग की टीम के स्क्वॉड में कुल 6 विदेशी खिलाड़ी हो सकते हैं, जिनमें से चार को वो अपने स्टार्टिंग ग्यारह खिलाड़ियों में रख सकते हैं। इसका मुख्य कारण है कि ज्यादा से ज्यादा स्थानीय खिलाड़ियों को विकसित किया जा सके, जिसका दावा आईएसएल शुरुआत से करती आई है। वहीं सीएसएल की बात करें तो इस लीग में एक टीम के स्क्वॉड में 4 विदेशी खिलाड़ी हो सकते हैं और फर्स्ट इलेवन में ज्यादा से ज्यादा तीन विदेशी खिलाड़ी ही खेल सकते हैं।
2. लीग का फॉर्मेट
इंडियन सुपर लीग और चाइनीज सुपर लीग के बीच एक और बड़ा अंतर है फॉर्मेट का। आईएसएल में सभी 11 टीमें पहले फेज में एक ही क्लब में होती हैं और प्लेऑफ्स में चार टीमें ही पहुंचती हैं। वहीं सीएसएल में दो ग्रुप होते हैं, जिनमें आठ-आठ टीमें होती हैं। दोनों ग्रुप्स की टॉप चार टीमें आखिरी आठ में पहुंचती हैं।
इसको और भी रोचक बनाने के लिए सीएसएल में प्लेऑफ्स भी होते हैं। आठवीं से तीसरी पोजिशन वाली टीम्स नॉकआउट के लिए खेलती हैं। ऐसे में सीजन और रोचक हो जाता है और फैंस को कई सारे मैच देखने को भी मिलते हैं।
1. सीएसएल के पास यूथ लीग है, आईएसएल के पास नहीं
सीएसएल की शुरुआत से ही चाइनीज एफए में सभी क्लब्स को युवा खिलाड़ियों में भी निवेश करने की परंपरा रही है। ऐसे में हर टीम की अपनी एक युवा टीम भी है, जिनके पास खुद का ट्रेनिंग ग्राउंड, कोचिंग की सुविधा, मेडिकल स्टाफ और बाकी सुविधाएं भी होती हैं।
हालांकि आईएसएल के पास अभी तक ऐसा कोई ग्रासरूट प्रोग्राम नहीं है। हालांकि आईएसएल युवा फुटबॉलर्स के लिए वर्कशॉप आयोजित करती रहती है और अब लीग की योजना है एक चिल्ड्रन लीग यानी बच्चों की लीग शुरू करने की।
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