क्यों नॉर्थईस्ट यूनाईटेड को खालीद जमील को अपना हेड कोच नियुक्त करना चाहिए ?

टीम ने 2020-21 सीजन में प्लेऑफ तक का सफर तय किया था।
इडियन सुपर लीग (आईएसएल) का 2019-20 सीजन समाप्त होने के बाद यही चर्चा हो रही थी कि क्या नॉर्थईस्ट यूनाईटेड के अंतरिम कोच खालीद जमील को परमानेंट कर देना चाहिए। टीम के खराब परफॉर्मेंस के बाद हेड कोच रॉबर्ट जारनी को हटाकर सीजन के मध्य में खालीद जमील को कोच नियुक्त किया गया था। हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी और नॉर्थईस्ट की टीम 9वें पायदान पर रही थी।
लीग का 2020-21 का सीजन भी खत्म हो गया है और हम अभी भी वही चर्चा कर रहे हैं। हालांकि इस बार उनका परफॉर्मेंस ज्यादा अच्छा रहा। खालीद जमील के नेतृत्व में टीम ने अपनी बेस्ट रैंकिंग हासिल की और लगभग वो पहली बार फाइनल में पहुंच गए थे। इस बार भी खालीद जमील को टूर्नामेंट के मध्य में कमान मिली थी।
2019-20 के सीजन के बाद खालीद जमील को डिमोट करके यूथ टीम का कोच बना दिया गया था। टीम ने जेरार्ड नुस को अपना हेड कोच नियुक्त किया था। लीग में अच्छी शुरुआत के बावजूद धीरे-धीरे टीम अपनी लय खोती चली गई।
लगातार सात मुकाबलों में टीम को जीत नहीं मिली और इसमें 3 हार भी शामिल थे। इसके बाद जेरार्ड नुस को कोच पद से हटा दिया गया और खालिद जमील को एक बार फिर नॉर्थईस्ट यूनाईटेड का केयरटेकर मैनेजर बना दिया गया।
जब किसी टीम के मैनेजर को निकाला जाता है तो वो काफी निराशाजनक होता है लेकिन नॉर्थईस्ट यूनाईटेड के लिए ये अच्छा ही साबित हुआ। टीम खालीद जमील की कोचिंग में 10 मैचों में नहीं हारी और आईएसएल में किसी भी इंडियन मैनेजर का ये बेस्ट रिकॉर्ड है। नॉर्थईस्ट की टीम तीसरे पायदान पर रही जो उनका अब तक का लीग में हाईएस्ट पोजिशन था। वो अपनी टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाने वाले पहले इंडियन मैनेजर बने।
आईएसएल 2020-21 में परफॉर्मेंस

पहले दिन से ही दिख रहा था कि जमील के आने का प्रभाव टीम पर पड़ा है। जमशेदपुर एफसी के खिलाफ जीत के साथ उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल की शानदार शुरुआत की और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उनकी मैनेजरशिप में इंडियन प्लेयर्स ने जिस तरह का परफॉर्मेंस दिया वो भी काबिलेतारीफ है। उन्होंने वीपी सुहेर और इमरान खान जैसे खिलाड़ियों को पूरा मौका दिया। डिफेंस में भी आशुतोष मेहता और मशूर शरीफ ने प्रभावित किया। ये खिलाड़ी अपने कोच के भरोसे पर खरा उतरे।
खालीद जमील के पास ज्यादा एक्सपेंसिव टीम नहीं थी, इसके बावजूद उन्होंने प्लेयर्स से उनका बेस्ट निकलवाया। टीम को जब-जब जरूरत पड़ी फेडेरिको गेलिगो, ल्युइस माचादो, डिहॉर्न ब्राउन और इदरिस सिला जैसे प्लेयर्स ने बेहतरीन खेल दिखाया।
उनके कोच बनने के बाद टीम में सबसे बड़ा बदलाव ये देखने को मिला कि वो कभी हार नहीं मानते थे। इसकी वजह से उन्हें हराना काफी मुश्किल हो गया। टीम ने दो बार 90 प्लस मिनट में गोलकर मैच बचाया।
खालीद जमील के छोटे से कार्यकाल के दौरान एटीके मोहन बगान और मुंबई सिटी एफसी के खिलाफ भी टीम का परफॉर्मेंस काफी अच्छा रहा।
उन्होंने ये साबित किया है कि वो नॉर्थईस्ट यूनाईटेड के फुल टाइम मैनेजर बन सकते हैं। उनके पास काफी अनुभव है और वो टीम को मैच जिताने की क्षमता रखते हैं। इससे पहले ऐजवाल एफसी के साथ वो आई-लीग का टाइटल जीत चुके हैं। खालीद को कोच बनाने से नॉर्थईस्ट एक जबरदस्त टीम बनकर सामने आ सकती है।

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