टाटा ग्रुप किस तरह बदल रही है भारतीय फुटबॉल की दशा?
अधिकारी ने टाटा फुटबॉल अकैडमी समेत कई मुद्दों पर बातचीत की|
पिछले कुछ सालों में टाटा ग्रुप ने भारतीय फुटबॉल के विकास के लिए काफी काम किया है| टाटा फुटबॉल अकैडमी (टीएफए) को देश के फुटबॉल के लिए काफी अहम माना जाता है| टीएफए इसकी हकदार भी है क्योंकि यहां से निकले कई खिलाड़ियों ने बड़े स्तर पर नाम कमाया है|
टाटा ग्रुप सिर्फ अकैडमी ही नहीं बल्कि जमेशदपुर फुटबॉल क्लब के जरिए भी खिलाड़ियों को मौका दे रहा है| खेल नाओ के 'बियॉन्ड द स्कोर्स' पॉडकास्ट में जमशेदपुर एफसी के सीईओ मुकुल चौधरी ने इस बारे में खुलकर बात की| टीएफए के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम काफी समय से इस खेल से जुड़े हुए हैं| यह अकैडमी 30 साल पुरानी है| हम सुपर सॉकर सीरीज को पहली बार भारत में लेकर आए जो करीब 35 साल पुरानी है| इसके कारण यूरोप और लेटिन अमेरिका की कई टीमें भारत आईं|"
उन्होंने बताया कि वे 75 साल से एक लोकल फुटबॉल लीग का आयोजन कर रहे हैं| मुकुल चौधरी ने इस बारे में बात करते हुए कहा, "यह हमारी लेगसी है| हम 75 साल से जेएसए नाम की लोकल लीग का आयोजन करते आ रहे हैं जो कि सबसे पुरानी लीगों में शामिल है| यह हमारा इस खेल के प्रति जुनून और प्यार है|"
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में फिलहाल 28 ऐसे खिलाड़ी हैं जो टाटा फुटबॉल अकैडमी के ग्रेजुएट हैं| वहीं आईलीग में भी बड़ी संख्या में अकैडमी के खिलाड़ी मौजूद हैं| वह खिलाड़ियों को और बेहतक सुविधाएं देने के लिए विदेशी क्लबों से करार के लिए बातचीत कर रहे हैं| जूनियर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए टीएफए से पास आउट हो चुके खिलाड़ी समय-समय पर अकैडमी आते रहते हैं|
टीएफए का मुख्य लक्ष्य उभरते हुए खिलाड़ियों को मौका देना है| वह उन्हें उनकी काबिलियत के हिसाब से ट्रेनिंग देते हैं| अब तक इस अकैडमी के 150 से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में जगह बना चुके हैं वहीं 24 खिलाड़ी अलग-अलग समय पर राष्ट्रीय टीमों की कप्तानी भी कर चुके हैं| मुकुल चौधरी ने टाटा ग्रुप के आईएसएल में आने के फैसले को लेकर बात की और कहा, "हमारा शुरुआत में क्लब बनाने का इरादा नहीं था लेकिन जब हमने देखा कि किस तरह आईएसएल ने भारतीय फुटबॉल को बेहतर बनाया है तो हमने क्लब लॉन्च करने के बारे में सोचा| इसी कारण साल 2017 में जमशेदपुर एफसी क्लब बना जो हमने कभी सोचा भी नहीं था|"
टाटा ग्रुप की कोशिश है कि वह खिलाड़ियों को ग्रासरूट लेवल पर ट्रेन करना शुरू करे| वह खिलाड़ियों को पांच-छह साल की उम्र में अकैडमी में भर्ती करते हैं और कम उम्र के खिलाड़ियों के लिए कई जूनियर टीम भी बनाई गई है| सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं वह कई बेहतर कोच भी तैयार कर रहे हैं| टाटा स्टील के चीफ ऑफ स्पोर्ट्स के मुताबिक अब तक अकैडमी 220 कोच को ट्रेन कर चुके हैं| खिलाड़ियों के साथ बेहतर तरीके से काम करने के लिए वह राज्य संघ के साथ भी खास तालमेल बनाकर काम कर रहे हैं|
चौधरी ने कहा, "हम राज्य संघ के साथ काफी काम कर रहे हैं| हम महिला फुटबॉल पर भी काम कर रहे हैं| देश में ऐसे कम ही क्लब हैं जहां महिला लीग का आयोजन किया जाता है| अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप की संभावित टीम में आठ खिलाड़ी झारखंड से हैं| एक ही राज्य से इतने खिलाड़ियों का चयन शानदार है| मुझे लगता है कि हम साथ आकर बड़ा फर्क लगा सकते हैं|"
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