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अगले सीजन वापसी के लिए एससी ईस्ट बंगाल को पांच बदलाव लाने की जरुरत है

Published at :May 13, 2021 at 8:49 PM
Modified at :May 13, 2021 at 8:49 PM
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Rahul Gupta


कोलकाता की ये टीम अपने पहले सीजन के दौरान 9वें पायदान पर रही।

अपने डेब्यू इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) सीजन में ही एससी ईस्ट बंगाल के लिए सबकुछ गलत साबित हुआ। सही खिलाड़ियों का चयन ना करना, प्लानिंग में कमी और ऑर्गेनाइजेशन समेत सारी चीजें गलत रहीं। यहां तक कि लिवरपूल के लीजेंडरी प्लेयर रॉबी फॉलर का अनुभव भी टीम के काम नहीं आया।

क्लब 20 में से केवल तीन ही मुकाबले जीत पाया और प्वॉइंट्स टेबल में 9वें पायदान पर रहा। टीम के आठ मुकाबले ड्रॉ रहे और अपने आखिरी मुकाबले में उन्हें सबसे निचले पायदान पर मौजूद ओडिशा एफसी से हार झेलनी पड़ी। उन्हें इस मुकाबले में छह गोल खाना पड़ा। अब अगले सीजन अगर ईस्ट बंगाल को बेहतरीन प्रदर्शन करना है तो फिर उन्हें सॉलिड प्लान बनाने होंगे।

अगले सीजन एससी ईस्ट बंगाल की टीम में सपोर्ट स्टाफ समेत काफी बदलाव हो सकते हैं। अगले सीजन टीम को बेहतर परफॉर्मेंस करने के लिए ये पांच चीजें करनी होंगी:

5. बेहतर डोमेस्टिक प्लेयर्स का चयन

पिछले सीजन ईस्ट बंगाल का डोमेस्टिक कोर उतना अच्छा नहीं रहा था। उन्हें अपनी इस समस्या को सबसे पहले दूर करना होगा। उनकी टीम में ऐसे यंगस्टर्स थे जिनका प्राइम या तो निकल चुका था या फिर उनके पास बिल्कुल भी अनुभव नहीं था।

किसी भी खिलाड़ी को पिछले मुकाबलों में प्रदर्शन के आधार पर मौका नहीं दिया जा सकता है। उन्हें या तो दूसरे आईएसएल क्लबों द्वारा रिलीज किए गए प्लेयर्स की तरफ ध्यान देना होगा या फिर आई-लीग से प्लेयर लेने होंगे। अगर बेहतर स्काउटिंग की जाए तो पश्चिम बंगाल के कई अच्छे लोकल प्लेयर भी उन्हें मिल सकते हैं।

दूसरे क्लबों के साथ मुकाबला करने के लिए क्लब को लगभग 70 प्रतिशत डोमेस्टिक कोर चेंज करना होगा। उन्हें मेहनती और जुनूनी प्लेयर्स की जरुरत है।

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4. गोलकीपिंग की समस्या को दूर करना

पिछले सीजन ईस्ट बंगाल ने जिस तरह का रोटेशन अपनी गोलकीपिंग में किया वो काफी कंफ्यूजिंग था। सीजन की शुरुआत उन्होंने शंकर रॉय के साथ की और उनकी इंजरी के बाद देबजीत मजूमदार ने उन्हें रिप्लेस किया। उनके अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद अनुभवी सुब्रत पॉल के साथ उन्हें रिप्लेस कर दिया गया।

कह सकते हैं कि टीम के लिए ये रोटेशन काम नहीं आए। उन्हें कई गोल खाने पड़े और ज्यादातर मैचों में हार का सामना करना पड़ा। लगभग हर टीम ने नियमित तौर पर एक गोलकीपर को खिलाया लेकिन ईस्ट बंगाल लगातार बदलाव करती रही। अगले सीजन उन्हें अपनी ये कमी दूर करनी होगी।

टीम बार-बार गोलकीपर्स को नहीं बदल सकती है क्योंकि उससे डिफेंडर्स पर भी असर पड़ता है। उन्हें एक बेहतरीन गोलकीपर तैनात करने की जरुरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा क्लीन-शीट्स मिल सके।

3. नंबर 9 के लिए शानदार खिलाड़ी का चयन

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टीम की एक और बड़ी समस्या ये थी कि उनके नंबर 9 के प्लेयर बलवंत सिंह खुद को मिले मौके का पूरा फायदा नहीं उठा पाए। जेजे लालपेखुला भी टीम में फिट नहीं बैठे और एंथोनी पिलकिंगटन और जैक्स माघोमा भी फेल रहे।

मुंबई सिटी एफसी और एटीके मोहन बगान की सफलता का मुख्य कारण उनके फॉरवर्ड्स रहे थे। एससी ईस्ट बंगाल को रॉय कृष्णा या फिर एडम ली फोंद्रे जैसे प्लेयर्स की जरुरत है। भले ही उन्हें इसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ें लेकिन इसका फायदा भी उन्हें काफी हो सकता है।

अगर वे इस तरह के स्ट्राइकर को शामिल करते हैं जो डिफेंडर्स को छकाकर गोल कर सके तो फिर टीम मुकाबले जीतने लगेगी। उन्हें किसी ऐसे प्लेयर की जरुरत है जो ड्रॉ मैचों को जीत में तब्दील कर सके। अगर वो इस तरह के प्लेयर को साइन करने में कामयाब रहते हैं तो फिर उनके लिए सीजन अच्छा साबित हो सकता है।

2. कोच रॉबी फाउलर को रिप्लेस करना

ये कहना गलत नहीं होगा कि ईस्ट बंगाल में रॉबी फॉलर का एक्सपेरिमेंट फेल रहा। आईएसएल में बड़ी एंट्री करने के लिए उन्होंने लिवरपूल के पूर्व दिग्गज प्लेयर को साइन किया था लेकिन उनका मैनेजमेंट सही नहीं रहा।

टीम ने पोजेशन बेस्ड फुटबॉल खेले जो कारगर साबित नहीं हुआ। रॉबी फाउलर ने जिस तरह के सेलेक्शन किए और रोटेशन में निरंतरता की जो कमी दिखाई उसका असर टीम के परफॉर्मेंस पर भी पड़ा। डोमेस्टिक कोर को लेकर उन्होंने जो कमेंट्स किए वो भी सही नहीं रहे।

क्लब को एक ऐसे शख्स की जरुरत है जो ना केवल उन्हें बेहतर फुटबॉल खिला सके बल्कि प्लेयर्स के बीच भी वो पॉपुलर रहे। उन्हें एक बेहतरीन क्वालिटी मैनेजर की जरुरत है जिसे आईएसएल का एक्सपीरियंस हो।

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1. स्पेनिश फिलॉसफी को अपनाना

अगर ईस्ट बंगाल को रॉबी फाउलर का ऑप्शन ढूंढना हो तो उसके लिए कौन बेस्ट रहेगा। सबसे बड़ा सवाल ये है कि वो किस तरह का कोच चाहते हैं। अगर आईएसएल इतिहास को देखा जाए तो स्पेनिश मैनेजर काफी सफल हो सकते हैं।

पिछले तीन सीजन में आईएसएल जीतने वाली हर टीम का मैनेजर स्पेनिश ही था। लीग में स्पेन के कोच काफी सफल रहे हैं। हालांकि क्लब को टॉप क्वालिटी का कोच ढूंढने के लिए काफी रिसर्च करना होगा।

अगर रॉबी फाउलर की जगह किसी अनुभवी और बेहतरीन टैक्टिस वाले मैनेजर को लाया जाता है तो फिर टीम के प्रदर्शन में काफी बदलाव देखने को मिल सकता है।

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