मनिंदर सिंह की टीम ने पहली बार टाइटल जीता था।
प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) का सातवां सीजन कई मायनो में काफी खास रहा था। इस पीकेएल सीजन दबंग दिल्ली के युवा सितारे नवीन कुमार ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था और अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया था। हालांकि फाइनल मुकाबले में बंगाल वॉरियर्स ने दबंग दिल्ली को हराकर पहली बार टाइटल अपने नाम किया था। बंगाल वॉरियर्स के लिए पूरे सीजन उनके कप्तान मनिंदर सिंह ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था लेकिन फाइनल मुकाबला चोट की वजह से वो नहीं खेल पाए थे। हालांकि इसके बावजूद मोहम्मद नबीबख्श के शानदार ऑलराउंड खेल की बदौलत टीम ने दबंग दिल्ली को हराकर खिताब जीता था।
ऑक्शन
छठे सीजन की ही तरह सातवें सीजन में भी कुल 26 विदेशी प्लेयर्स ने हिस्सा लिया था। छठे सीजन में तेलुगु टाइटंस एकमात्र ऐसी फ्रेंचाइजी थी जिसने सिर्फ तीन विदेशी खिलाड़ियों को खरीदा था लेकिन सातवें सीजन में पटना पाइरेट्स और यू-मुम्बा ने भी तीन-तीन ही विदेशी प्लेयर्स का चयन किया। फजल अत्राचली का परफॉर्मेंस इस सीजन भी काफी जबरदस्त रहा था और वो सबसे ज्यादा टैकल करने वाले टॉप-5 डिफंडर्स में से एक थे।
इस सीजन केवल दो ही खिलाड़ियों के लिए एक करोड़ से ज्यादा की बोली लगी थी, जिसमें नितिन तोमर और सिद्धार्थ देसाई के नाम प्रमुख थे। छठे सीजन में छह खिलाड़ियों ने एक करोड़ का जादूई आंकड़ा हासिल किया था लेकिन पीकेएल के सातवें सीजन के ऑक्शन के दौरान ऐसा कुछ नहीं देखने को मिला। सिद्धार्थ देसाई को तेलुगु टाइटंस ने 1.45 करोड़ और नितिन तोमर को पुनेरी पलटन ने 1.20 करोड़ में खरीदा था।
टॉप रेडर्स
पवन सेहरावत – 24 मैचों में 346 प्वॉइंट
पवन सेहरावत लगातार दूसरी बार सबसे ज्यादा रेड प्वॉइंट लेने वाले रेडर थे लेकिन इस बार वो अपनी टीम को फाइनल तक नहीं ले जा पाए थे। उन्हें रोहित कुमार समेत टीम के अन्य खिलाड़ियों से उतना सपोर्ट नहीं मिला था। बेंगलुरू बुल्स को इस सीजन सेमीफाइनल में आकर हार का सामना करना पड़ा था।
परदीप नरवाल – 22 मैचों में 302 प्वॉइंट
परदीप नरवाल पीकेएल इतिहास में दो बार 300 रेड प्वॉइंट्स का आंकड़ा हासिल करने वाले खिलाड़ी बने थे। पटना पाइरेट्स का स्क्वाड उतना बैलेंस्ड नहीं था और रेडिंग और डिफेंस दोनों में निरंतरता की कमी थी। परदीप के अलावा कोई और प्लेयर मैच विनिंग परफॉर्मेंस नहीं दे पाया था।
नवीन कुमार – 23 मैचों में 301 रेड प्वॉइंट
नवीन कुमार ने सातवें सीजन में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और टॉप-5 रेडर्स की लिस्ट में जगह बनाई थी। अपनी आक्रामक रेडिंग के जरिए उन्होंने ज्यादातर समय डिफेंडर्स को बैकफुट पर रखा। उनका सबसे प्रमुख हथियार बोनस प्वॉइंट और रनिंग हैंड टच था।
टॉप डिफेंडर्स
फजल अत्राचली – 24 मैचों में 82 टैकल प्वॉइंट
फजल अत्राचली इससे पहले के सीजन में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन टॉप पर नहीं आ पा रहे थे। हालांकि सातवें सीजन में उन्होंने सबसे ज्यादा टैकल प्वॉइंट हासिल किए। यू-मुम्बा की तरफ से खेलते हुए उन्होंने 82 टैकल प्वॉइंट हासिल किए थे।
सुमित – 23 मैचों में 77 टैकल प्वॉइंट
यूपी योद्धाज का डिफेंस इस सीजन काफी खतरनाक था। उनके दो डिफेंडर्स ने टॉप-5 डिफेंडर्स की लिस्ट में जगह बनाई थी। राइट-कॉर्नर डिफेंडर सुमित ने इस सीजन 77 टैकल प्वॉइंट हासिल किए थे जबकि ये उनका पहला ही सीजन था। नितेश कुमार के साथ उनकी जोड़ी काफी घातक साबित हुई थी।
नितेश कुमार – 23 मैचों में 77 टैकल प्वॉइंट
नितेश कुमार की अगर बात करें तो उन्हें इस सीजन सुमित की तरफ से काफी सपोर्ट मिला था। यही वजह थी कि नितेश ने सिर्फ 23 मैचों में ही 75 टैकल प्वॉइंट हासिल कर लिए थे। यूपी योद्धाज को तीसरी बार प्लेऑफ तक पहुंचाने में टीम के डिफेंस का काफी योगदान था।
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सुपर 10
1. नवीन कुमार – 22
2. पवन सेहरावत – 18
3. परदीप नरवाल – 15
हाई – फाइव
1. सुरजीत सिंह – 7
2. सुमित– 7
3. बलदेव सिंह – 6
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