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कबड्डी न्यूज

PKL: पांच कारण क्यों पीकेएल टीमों के सैलरी कैप में इजाफा होना चाहिए

Published at :September 1, 2022 at 4:21 AM
Modified at :December 13, 2023 at 1:01 PM
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(Courtesy : PKL)

Rahul Gupta


लीग का स्तर काफी बढ़ गया है और इसी वजह से पैसों में भी इजाफा होना चाहिए।

प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के आगाज के बाद से ही कबड्डी का पूरा स्वरूप ही बदल गया। 2014 में पीकेएल का आगाज हुआ और इसके बाद इसमें पैसा और रोमांच दोनों आया। वर्ल्ड क्लास कवरेज, बॉलीवुड और स्पोर्ट्स सेलिब्रिटी के पीकेएल के जुड़ने की वजह से कबड्डी की पॉपुलैरिटी काफी बढ़ गई। टीवी पर कवरेज की वजह से ये घर-घर तक पहुंच गया और यही वजह रही कि लोग इस गेम को काफी फॉलो करने लगे।

आईपीएल के बाद ये देश की दूसरी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली लीग है। प्रो कबड्डी लीग में एक से बढ़कर एक कई बड़े खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं और इसी वजह से इस लीग का रोमांच दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। आईपीएल की ही तरह पीकेएल में भी सभी खिलाड़ियों के लिए ऑक्शन होता है और जो टीम जिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाती है उसे वो खिलाड़ी मिल जाता है। हालांकि आईपीएल के मुकाबले अभी भी पीकेएल में प्लेयर्स को काफी कम पैसे मिलते हैं और इसकी वजह ये है कि सभी टीमों के पास सैलरी कैप काफी कम होता है। यही वजह है कि वो काफी संभल-संभल कर बिडिंग करती हैं। हम आपको बताएंगे कि क्यों पीकेएल में टीमों के सैलरी पर्स में इजाफा होना चाहिए।

मैचों की संख्या

पीकेएल में सभी टीमें लीग स्टेज पर कुल 22 मुकाबले खेलती हैं और उसके बाद ही प्लेऑफ में जाती हैं। दूसरी लीग्स के मुकाबले मैचों की ये संख्या काफी ज्यादा है। जिस तरह से खिलाड़ी खेलते हैं और जितनी मेहनत वो करते हैं उसके हिसाब से उन्हें पैसे नहीं मिलते हैं। किसी भी खिलाड़ी के लिए एक या दो लाख की बोली बहुत कम है। जब बिडिंग हो रही होती है तो एक-एक लाख करके प्लेयर्स की बिडिंग में इजाफा होता है। इसे कम से कम पांच लाख का होना चाहिए ताकि अगर खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा रकम मिल सके और इससे बिडिंग में समय भी कम लगेगा। एक-एक लाख करके जब अमाउंट बढ़ता है तो फिर उतने ज्यादा पैसे टीमें नहीं खर्च करती हैं।

लीग के पास बड़े स्पॉन्सर्स मौजूद हैं

प्रो कबड्डी लीग इस वक्त वीवो द्वारा स्पॉन्सर किया जाता है। वहीं सभी टीमों के ऑनर भी बड़े-बड़े उद्योगपति और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग हैं। इसी वजह से अगर खिलाड़ियों के सैलरी कैप में इजाफा होता है तो फिर इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी। अगर ये लीग इतनी बड़ी है और कई सारे बड़े ब्रांड इसके स्पॉन्सर हैं तो फिर सैलरी कैप में भी इजाफा होना चाहिए।

मोटिवेशन फैक्टर

खिलाड़ियों के लिए काफी जरूरी है कि उन्हें इस लीग में खेलकर अच्छे पैसे मिलें ताकि फिर वो अपना ध्यान पूरी तरह से अपने खेल पर ही लगा सकें। उन्हें बाकी किसी चीज की चिंता ना रहे। जब वो केवल अपने गेम पर ही फोकस करेंगे तो फिर उनके परफॉर्मेंस में भी सुधार होगा और लीग की क्वालिटी पर फर्क पड़ेगा। सभी खिलाड़ियों के बीच हमें तगड़ा कंपटीशन देखने को मिलेगा। इसके अलावा ऑफ सीजन में भी खिलाड़ी अपने आपको पूरी तरह से तैयार रखेंगे।

लीग का काफी ज्यादा लंबा होना

प्रो कबड्डी लीग का सीजन काफी लंबा होता है। लगभग तीन महीने तक ये टूर्नामेंट हर साल होता है और उससे पहले प्रैक्टिस कैंप भी सभी टीमों का लगता है। एक महीने पहले ही टीमें अपना कैंप लगा देती हैं। इसमें 12 टीमें खेलती हैं और लीग स्टेज पर ही 22-22 मुकाबले खेलती हैं और इसी वजह से खिलाड़ियों को काफी ज्यादा मैच खेलने पड़ते हैं। जब आप मुकाबले ज्यादा खेलें तो फिर पैसे भी ज्यादा मिलने चाहिए। पहले मैचों की संख्या कम होती थी लेकिन अब ये लीग काफी ज्यादा लंबा हो गया है और उसे देखते हुए सैलरी कैप में भी इजाफा होना चाहिए।

जबरदस्त फैन बेस

कबड्डी के फैंस भारत में काफी ज्यादा हैं। यही वजह है कि आईपीएल के बाद ये दूसरी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली लीग है। जब पीकेएल का मैच चल रहा होता है तो फिर उसे लाखों लोग देखते हैं और इससे काफी रेवेन्यू जेनरेट होता है और इसी वजह से ये जिम्मेदारी बनती है कि प्लेयर्स के सैलरी कैप में भी इजाफा किया जाए। खिलाड़ियों की बेस प्राइज और बिड अमाउंट में अगर इजाफा होगा तो फिर अपने आप पैसे बढ़ जाएंगे। अगर कोई खिलाड़ी बेस प्राइज में भी बिके तो वो रकम बहुत कम नहीं लगनी चाहिए।

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