Exclusive: PKL टीमें किस तरह से कमाती हैं पैसे, तेलुगु टाइटंस के सीईओ ने किया खुलासा

तेलुगु टाइटंस के सीईओ ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए।
प्रो कबड्डी लीग (PKL) भारत की दूसरी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली लीग है। आईपीएल के बाद इसका ही नंबर आता है। इस वक्त पीकेएल का 10वां सीजन चल रहा है और कई बड़े सितारे इस लीग में हिस्सा ले रहे हैं। तेलुगु टाइटंस की टीम भी पीकेएल के 10वें सीजन में खेल रही है लेकिन टीम का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। टीम ने अभी तक सिर्फ एक ही मैच जीता है और अंक तालिका में वो सबसे निचले पायदान पर हैं।
हालांकि, तेलुगु टाइटंस के सीईओ जीरू त्रिनाध हर एक मैच में अपनी टीम को स्पोर्ट करने के लिए स्टेडियम में मौजूद रहते हैं। हर वक्त अपने प्लेयर्स का वो हौसला बढ़ाते नजर आते हैं। उन्होंने खेल नाउ के साथ एक्सक्सूलिव बातचीत के दौरान कई सारी चीजों का खुलासा किया।
PKL में टीमें किस तरह से पैसे कमाती हैं?
अक्सर एक आम फैन के मन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि जो टीमें खेलती हैं, वो किस तरह से पैसे कमाती हैं। उन्हें टूर्नामेंट जीतने से क्या फायदा होता है और किस तरह से टीमों को लाभ होता है। खेल नाओ से बातचीत के दौरान तेलुगु टाइटंस के सीईओ ने इस पूरे प्रोसेस के बारे में बताया कि एक फ्रेंचाइजी कहां-कहां से पैसे बनाती है।
उन्होंने कहा “सभी 12 टीमों को लीग से ब्रॉडकास्ट के पैसे मिलते हैं। सीजन के आखिर में ये पैसे मिलते हैं। दूसरी चीज स्पॉन्सरशिप होती है। पैसे कमाने के लिए ये सबसे मेन जरिया होता है। जब टीआरपी के आंकड़े आते हैं तो उसमें तेलुगु टाइटंस की व्यु्अरशिप सबसे ज्यादा होती है। हम चाहे हारे या जीतें लेकिन फैंस हमारे मुकाबले देखते हैं। हालांकि इतना सपोर्ट मिलने और टीआरपी आने के बावजूद जब हम स्पॉन्सरशिप के लिए एप्रोच करते हैं तो फिर लोग कहते हैं कि आपका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं है।
इसलिए हम आपके साथ टाई-अप नहीं कर सकते हैं। हालांकि इसके बावजूद स्पॉन्सर्स टीम के साथ जुड़ना चाहते हैं, क्योंकि उनका फायदा रहता है। वहीं अब कई सारी लीग्स भी स्टार्ट हो गई हैं, इसी वजह से स्पॉन्सर मिलना काफी मुश्किल हो गया है। इसके अलावा होम लेग में टिकट के भी पैसे मिलते हैं। कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि किसी भी टीम को नुकसान नहीं होता है।”
पूरा इंटरव्यू यहां देखें:
क्या पीकेएल प्लेयर्स को पर्याप्त पैसे मिलते हैं?
अगर हम दूसरी लीग्स से तुलना करें तो पीकेएल में ऐसा लगता है कि खिलाड़ियों को शायद बहुत कम पैसे मिलते हैं। हालांकि टाइटंस के सीईओ जीरू त्रिनाध के मुताबिक अगर पहले से तुलना की जाए तो अब कबड्डी प्लेयर्स को पर्याप्त पैसे मिलते हैं।
उन्होंने कहा “अगर आप तुलना करें तो पहले जब खिलाड़ी मिट्टी पर खेलते थे तो उस वक्त पूरे टूर्नामेंट का प्राइस 5 हजार तक होता था। अब हमारे पास एक पर्स वैल्यू होता है कि इतनी रकम हम खर्च कर सकते हैं। सबकुछ फ्रेंचाइजी के ऊपर डिपेंड करता है कि वो किन खिलाड़ियों को हासिल करना चाहते हैं। जैसे हमारा पर्स वैल्यू पांच करोड़ था और उसमें से 2.6 करोड़ हमने पवन सेहरावत को दे दिए, तो बाकी जितने पैसे हैं, उसे हमें अन्य मेंबर्स को देना होगा।
इसके अलावा जब लीग की तरफ से खिलाड़ियों को कैटेगरी में बांटा जाता है तो उनके पिछले सीजन के परफॉर्मेंस के हिसाब से ही उनकी कैटेगरी तय की जाती है। इसी हिसाब से हर एक टीम स्ट्रैटजी बनाकर आती है कि किस खिलाड़ी के लिए कितने पैसे खर्च करने हैं।”
एनवाईपी को स्काउट करने का तरीका
हर एक सीजन कई सारे युवा खिलाड़ी पीकेएल में सेलेक्ट किए जाते हैं। यही युवा खिलाड़ी आगे चलकर पवन सेहरावत और परदीप नरवाल जैसा बड़ा प्लेयर बनते हैं। इन एनवाईपी को सेलेक्ट करने के लिए टाइटंस के कोच सालभर स्काउट करते हैं।
जीरू त्रिनाध ने बताया “तेलुगु टाइटंस में हमारे मैनेजर हैं और कोच हैं। तो इंडिया में जहां पर भी अहम टूर्नामेंट होते हैं, जैसे खेलो इंडिया, यूनिवर्सिटी गेम्स, सीनियर नेशनल्स, इंटर सर्विसेज मैच और हरियाणा की तरफ हम एक करोड़ का कोई टूर्नामेंट करवा देते हैं, तो वहां पर ये लोग जाकर खिलाड़ी तलाश करते हैं। हम कहते हैं कि जाकर स्काउटिंग करो और उनके वीडियोज लेकर आओ। ऐसा करने के बाद हम सेलेक्टेड प्लेयर्स को ट्रायल के लिए बुलाते हैं। उनका सात दिनों का कैंप लगता है और इसके बाद हम उनमें से प्लेयर तय करते हैं कि किसके साथ जाना है।”
“रॉबिन चौधरी को प्रो पंजा लीग से हमने लिया था”
टाइटंस ने इस बार न्यु यंग प्लेयर्स कैटेगरी में युवा रेडर रॉबिन चौधरी को भी सेलेक्ट किया था लेकिन उनके सेलेक्शन के पीछे सीईओ त्रिनाध ने एक बड़ा दिचस्प किस्सा बताया है। उन्होंने बताया कि किस तरह से रॉबिन चौधरी प्रो पंजा लीग में खेलने के लिए आए थे और वहां से उनको उन्होंने सेलेक्ट किया था।
उन्होंने कहा “इस बार हमने पहली बार इतने बड़े लेवल का ऑल इंडिया ट्रॉयल कराया था और हम इसे लगातार बरकरार रखेंगे। मैं आपको एक चीज बताता हूं कि रॉबिन चौधरी नोएडा में प्रो-पंजा लीग में खेलने के लिए आए थे। जब मुझे उनके बारे में बताया गया कि वो काफी लंबे कद के हैं और उनके पास स्किल है तो मैंने उनको बुलाया और अपने साथ दिल्ली लेकर गया।
मैंने असिस्टेंट कोच को रॉबिन का ट्रायल लेने के लिए कहा। जब उनका ट्रॉयल हुआ तो मैंने कहा कि ये प्लेयर मुझे मेरी टीम में चाहिए। अभी वो यंग हैं और जैसे-जैसे खेलते जाएंगे, वो आगे सीखते भी जाएंगे। जैसे ही ये सीजन खत्म होगा, हम एक बार फिर से ऑल इंडिया ट्रॉयल कराएंगे।”
For more updates, follow Khel Now Kabaddi on Facebook, Twitter, Instagram; download the Khel Now Android App or IOS App and join our community on Whatsapp & Telegram.

Sawan Gupta is a passionate sports enthusiast with a strong interest in cricket, hockey, badminton, and kabaddi. He supports RCB in the IPL and UP Yoddhas in the PKL, and admires PV Sindhu and Virat Kohli. Since 2017, Sawan has been writing sports articles, covering major events like the Pro Kabaddi League, Asian Games, Olympics, and various cricket tournaments.