आखिर क्यों यूरो 2020 से इतनी जल्दी बाहर हो गया वर्ल्ड चैम्पियन फ्रांस?
टीम को राउंड ऑफ-16 के रोमांचक मुकाबले में स्विट्जरलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
यूरो 2020 के प्री-क्वार्टरफाइनल में सभी को हैरान करते हुए स्विट्जरलैंड ने वर्ल्ड चैंपियंन फ्रांस को हराकर टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखा दिया। स्विट्जरलैंड ने एक रोमांचक मुकाबले के पैनल्टी शूटआउट में 5-4 से फ्रांस को करारी शिकस्त दी। एक्सट्रा टाइम के बाद भी फाइनल स्कोर 3-3 से बराबर रहने के बाद मैच पैनल्टी शूटाउट में गया था।
मुकाबले की शुरुआत में स्विट्जरलैंड ने जल्दी ही हैरिस सेफेरोविक के गोल के साथ लीड हासिल कर ली और हाफ टाइम तक ये लीड कायम रही। दूसरे हाफ की शुरुआत में ही स्विट्जरलैंड को पैनल्टी मिल गई, लेकिन वो उसे गोल में तब्दील नहीं कर सके और ह्यूगो लॉरिस ने बेहतरीन सेव करते हुए टीम का मनोबल बढ़ा दिया। इसके बाद फ्रांस ने करीम बेंजिमा के बेहतरीन गोल के साथ मुकाबले में वापसी कर ली। मुकाबले के 75वें मिनट में पॉल पोग्बा ने एक बेहतरीन गोल करते हुए फ्रांस को लीड दिला दी थी और यहीं पर लग रहा था कि मुकाबला फ्रांस के हिस्से में चला गया है।
हालांकि, स्विट्जरलैंड के इरादे कुछ और ही थे। उसने एक बार फिर सेफेरोविक के गोल के साथ मुकाबले को बराबरी पर ला दिया। 90 मिनट का खेल खत्म होने तक दोनों टीमों का स्कोर 3-3 था। इसके बाद एक्स्ट्रा टाइम में भी यही स्कोर रहने के बाद खेल पैनल्टी शूटआउट में गया। वहां कायलिन एमबाप्पे का शॉट गोल में नहीं गया और इसी के चलते स्विट्जरलैंड की टीम ने फ्रांस पर जीत हासिल करते हुए मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन को यूरो 2020 से बाहर कर दिया। अब स्विटजरलैंड की टीम क्वार्टरफाइनल में स्पेन से भिडे़गी।
पैनल्टी शूटआउट के अलावा भी ऐसे कई पॉइंट्स थे, जो बताते हैं कि आखिर फ्रांस इतने अहम मुकाबले में कैसे हारा। ऐसे ही कुछ पॉइंट्स हम आपको बता रहे हैं।
बड़े टूर्नामेंट्स में फिसड्डी पैनल्टी रिकॉर्ड्स
बड़े टूर्नामेंट्स में पैनल्टी शूटआउट्स के रिकॉर्ड्स पर नजर डालें तो फ्रांस की किस्मत इतनी अच्छी नहीं रही है। यूरो 2020 में स्विट्जरलैंड के खिलाफ मिली हार को मिला लें तो फ्रांस के साथ अब तक सात शूटआउट्स हुए हैं, जिनमें से चार में उसे हार का सामना करना पड़ा है। आखिरी दो पैनल्टी शूटआउट्स में फ्रांस को हार ही हासिल हुई है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि पैनल्टीज का फायदा उठाने में पूरी तरह काबिल खिलाड़ियों से भरी इस टीम की किस्मत बड़े मुकाबलों में उसका साथ छोड़ देती है।
उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा डिफेंस
राफेल वरान के नेतृत्व में फ्रांस की टीम सबसे बेहतरीन डिफेंस के साथ यूरो 2020 में उतरी थी, लेकिन इस टूर्नामेंट में फ्रांस के डिफेंस का वो प्रदर्शन देखने को नहीं मिला, जैसी उनसे उम्मीद थी। इसके उलट टीम की अटैकिंग लाइन बेहतर दिखी। 2018 फीफा वर्ल्ड कप में फ्रांस की जीत का अहम कारण उनकी डिफेंस लाइन ही थी। जबकि बीते टूर्नामेंट में ये टीम 34 फीसदी टैकल्स में ही सफल रही। वहीं पॉल पोग्बा और एनगोलो कांते जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी गेंद जीतने में ज्यादा कामयाब नहीं हो सके।
टीम की डिफेंस लाइन सिर्फ 160 बार ही बॉल रिकवर कर पाई, इस आंकड़े को टैली में समझें तो फ्रांस आठवे नंबर पर रही। ये आंकड़ा यूं तो बुरा नहीं है, लेकिन इतने बड़े खिलाड़ियों के लिए ये आकंड़ा सफल नहीं माना जा सकता। इसके चलते ही विरोधी खेमों को स्पेस मिलता रहा और वो फ्रांस के लिए चुनौतियां पेश करते गए।
फिजूल गए शॉट्स
फ्रांस की सबसे बड़ी ताकत है उसका अटैकिंग खेमा, जिसमें एमबाप्पे और बेंजीमा जैसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं। इस टीम के पास टूर्नामेंट के सबसे बेहतरीन अटैकिंग लाइन में से एक थी। लेकिन ये खेमा इस सीजन में मौकों को गोल में तब्दील करने में ज्यादा सफल नहीं रहा। फ्रांस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा शॉट्स (57) मारने के मामले में छठे नंबर पर रही। लेकिन इसी के साथ ऑफ टारगेट शॉट्स में टीम (30) दूसरे नंबर पर रही। टीम की ओर से 29 प्रतिशत शॉट्स ही टारगेट पर लगे, जो कि फ्रांस जैसी दिग्गज टीम के लिए काफी खराब आंकड़ा है।
[KH_RELATED_NEWS title="Related News |Article Continues Below"][/KH_RELATED_NEWS]
एमबाप्पे और ग्रीजमन का फॉर्म
फीफा वर्ल्ड कप 2018 में एमबाप्पे और ग्रीजमन ने फ्रांस की जीत की कहानी लिखी थी। ये टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर्स में शामिल थे। ऐसे में यूरो 2020 में भी टीम की जीत की अहम जिम्मेदारी इनके ही कंधों पर थी, लेकिन ये दोनों खिलाड़ी इसमें कामयाब होते नहीं दिखे। ग्रीजमन मैदान पर बेहतरीन खेल दिखाते हुए दिखे, लेकिन गोल मारने में वो सफल नहीं हुए। उन्होंने हर मुकाबले में औसतन 1.75 शॉट्स लिए लेकिन एक ही गोल कर पाए। गौर करने वाली बात है कि इस पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने सिर्फ 3 शॉट्स ही टारगेट पर मारे।
वहीं एमबाप्पे के लिए तो ये कहा जा सकता है कि ये टूर्नामेंट उनके लिए कतई भी अच्छा नहीं रहा। लीग 1 में टॉप स्कोरर बनने के बाद एमबाप्पे जब इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने आए तब उनसे काफी उम्मीदें थीं। लेकिन उन्होंने हर मुकाबले में औसतन 3.5 शॉट्स मारे, जिसमें से एक भी गोल में तब्दील नहीं हुआ। एमबाप्पे ने चार मुकाबलों में सिर्फ 3 शॉट ही टारगेट पर मारे। इस आंकड़े को देखकर निश्चित ही उनसे उम्मीद लगाए बैठे फैंस को निराशा ही हाथ लगी होगी।
टूर्नामेंट में फ्रांस के लिए एमबाप्पे का इकलौता योगदान उनका एक असिस्ट ही रहा। उनके लिए टूर्नामेंट का सबसे कड़वा लम्हा तब सामने आया जब वो स्विट्जरलैंड के खिलाफ अहम मुकाबले के दौरान पैनाल्टी शूटआउट में बॉल को गोल के अंदर नहीं पहुंचा सके। इसी शॉट के साथ उनकी टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई।
Latest News
- T20 World Cup 2024 में हिस्सा ले रहे सभी देशों के स्क्वॉड
- IPL 2024: पॉइंट्स टेबल, सबसे ज्यादा रन और विकेट MI vs SRH मैच तक
- Champions Trophy 2025 के लिए भारतीय टीम जाएगी पाकिस्तान? बीसीसीआई उपाध्यक्ष ने दिया बड़ा बयान
- T20 World Cup 2024 के लिए भारतीय टीम की जर्सी हुई लॉन्च, नए लुक में उतरेगा भारत
- IPL 2024: DC vs RR के मैच में इन खिलाड़ियों के बीच होगा घमासान
Editor Picks
- T20 World Cup 2024 में हिस्सा ले रहे सभी देशों के स्क्वॉड
- IPL 2024: पॉइंट्स टेबल, सबसे ज्यादा रन और विकेट MI vs SRH मैच तक
- Champions Trophy 2025 के लिए भारतीय टीम जाएगी पाकिस्तान? बीसीसीआई उपाध्यक्ष ने दिया बड़ा बयान
- T20 World Cup 2024 के लिए भारतीय टीम की जर्सी हुई लॉन्च, नए लुक में उतरेगा भारत
- IPL 2024: DC vs RR के मैच में इन खिलाड़ियों के बीच होगा घमासान