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फुटबॉल समाचार

मौजूदा समय में भारतीय मूल के बेस्ट फुटबॉल प्लेयर्स

From stunning victories to unforgettable moments, get the inside scoop on every major story in the sports world.
Published at :June 12, 2020 at 10:52 PM
Modified at :June 12, 2020 at 10:55 PM
मौजूदा समय में भारतीय मूल के बेस्ट फुटबॉल प्लेयर्स

इनमे से कुछ खिलाड़ी यूरोप की टॉप फुटबॉल लीग्स में भी खेल चुके हैं।

फीफा वर्ल्डकप जीतने वाली फ्रांस की फुटबॉल टीम 87 प्रतिशत प्रवासी या फिर प्रवासी नागरिकों के बच्चों से बनी थी। 2014 तक के आंकड़ों के अनुसार यूरोपियन देशों में लगभग छह मिलियन प्रवासी लोग रह रहे हैं। ज्यादातर अफ्रीकी देशों से लाए गए लोगों ने यूरोपियन देशों की प्रगति में अहम भूमिका निभाई है। हाल ही में चीन ने विदेश में पैदा हुए तीन फुटबॉलर्स को अपनी नेशनल टीम में लाया है तो वहीं कतर ने भी विदेशी खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल किया है।

हालांकि, भारत दोहरी नागरिकता नहीं देता है और जिन फुटबॉलर्स के पास भारत की नागरिकता है केवल वही नेशनल टीम के लिए खेल सकते हैं। इंडियन फुटबॉल टीम के कोच इगोर स्टीमाक और पूर्व कोच स्टीफन कॉन्सटेन्टाइन ने विदेशी खिलाड़ियों को इंडियन टीम में खेलने की अनुमति देने की बात कही है। रिपोर्ट्स की मानें तो एआईएफएफ ने प्लेयर्स ऑफ इंडियन ओरिजिन (पीआईओ) और ओवरसीज सिटिजंस ऑफ इंडिया (ओआईसी) को नेशनल रोस्टर में शामिल करने के लिए अपने एफर्ट तेज कर दिए हैं।

इस आर्टिकल में हमने बेस्ट पीआईओ इलेवन चुनी है।

नोट: इनमें से कई प्लेयर्स भारत के लिए खेलने योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्हें मेजर टूर्नामेंट्स में दूसरे देशों के लिए खेला है।

गोलकीपर: करमन सैनी

सैनी कैनडा के गोलकीपर हैं। उन्होंने आखिरी बार स्वीडिश फुटबॉल क्लब हुस्क्वार्ना एफएफ के लिए खेला था और सैनी की मौजूदगी में क्लब ने एक बार स्वीडिश डिवीजन में छठा स्थान हासिल किया था। वह कैनडा वापस आए और पहले खेल चुके क्लब ओआकविले ब्लू डेविल्स को ज्वाइन किया। फिलहाल वह बिना किसी क्लब के हैं।

राइट बैक: निकोलस प्रसाद

1995 में कनाडा में जन्में प्रसाद वैसे तो सेंटर-बैक हैं,लेकिन वह जर्मन क्लब बिस्कोफस्वेर्डार एफवी के लिए राइट-बैक पोजीशन पर खेलते हैं। सीएटल रेडहॉक्स में चार सीजन बिताने के बाद वह यूरोप आए। वह छह फीट दो इंच लंबे हैं। उन्होंने एटीके स्ट्राइकर रॉय कृष्णा के साथ फिजी नेशनल टीम के लिए खेला है।

सेंटर-बैक: नेतन संसारा

बेहतरीन सेंटर-बैक संसारा को अहम गोल दागने के लिए जाना जाता है और वह फिलहाल अपने 11वें प्रोफेशनल क्लब के लिए खेल रहे हैं। उन्होंने इंग्लैंड में वाल्साल के साथ अपना करियर शुरु किया और तब से डेनमार्क, स्वीडन, कनाडा और नॉर्वे में खेल चुके हैं। उनके माता-पिता इंग्लैंड में जन्में थे, लेकिन उनके दादा-दादी भारत से हैं।

सेंटर-बैक: डैनी बाथ

वूल्व्स के पूर्व कप्तान ने 2019 में स्टोक सिटी ज्वाइन किया था। सेंट्रल डिफेंडर बाथ का परिवार पंजाब से ताल्लुक रखता है। 2017 में वह भारत आए थे और मुंबई में एक फीफा वर्ल्डकप क्वॉलीफायर के दौरान स्टीफन कॉन्सटेन्टाइन से मुलाकात भी की थी। बाथ ने भारत के लिए खेलने की इच्छा जताई थी और पूर्व खेलमंत्री विजय गोयल से मुलाकात भी की थी।

लेफ्ट-बैक: नील टेलर

हमारी लिस्ट के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक नील टेलर, वेल्स के लिए खेलने वाले लेफ्ट-बैक हैं और उनकी मां कोलकाता से हैं। टेलर प्रीमियर लीग में खेलने वाले पहले ब्रिटिश-एशियन हैं और उन्होंने इंग्लैंड के टॉप-2 डिवीजन में 250 से ज्यादा मैच खेले हैं। 31 वर्षीय खिलाड़ी ने वेल्स के लिए 40 से ज्यादा मैच खेले हैं और 2016 यूरो सेमीफाइनल तक पहुंचे थे।

PIO XI
PIO XI

लेफ्ट विंगर: ओमिद सिंह

27 साल के ओमिद सिंह देश में सबसे ज्यादा चाहे जाने वाले पीआईओ हैं। उनके पिता के पास अब भी भारत का पासपोर्ट है और ओमिद ईरान में पले-बढ़े हैं। ओमिद ने हाल ही में ईरान का अपना पासपोर्ट छोड़कर भारत के लिए खेलने की इच्छा जताई थी।

सेंट्रल मिडफील्डर: हरमीत सिंह

नॉर्वे के ओस्लो में पैदा हुए हरमीत फिलहाल नॉर्वे में खेल रहे सबसे टैलेंटेड पीआईओ में से एक हैं। वालेरनेगा के लिए एफसी बार्सिलोना के खिलाफ दोस्ताना मुकाबले में गोल दागने के बाद पेप गार्डियोला भी उनकी तारीफ कर चुके हैं। उनके माता-पिता लुधियाना से ताल्लुक रखते हैं।

सेंट्रल मिडफील्डर: सरप्रीत सिंह

भारतीय माता-पिता की संतान सरप्रीत का जन्म न्यूजीलैंड में हुआ है और वह फिलहाल जर्मनी के टॉप क्लब बायर्न म्यूनिख के प्लेयर हैं। उन्होंने क्लब के लिए अपना डेब्यू भी कर लिया है, 2019 फीफा अंडर-20 वर्ल्डकप के दौरान बायर्न के स्काउट्स उनसे काफी प्रभावित हुए थे। वह भारत के खिलाफ इंटरकॉन्टिनेंटल कप में भी खेले थे।

राइट विंगर: लुसिआनो नरसिंह

1990 में नीदरलैंड में जन्में नरसिंह फेनॉर्ड में सात नंबर की जर्सी पर अपना अधिकार जमाया। आयाक्स अकादमी से वास्ता रखने वाले नरसिंह 2012 से नीदरलैंड की नेशनल टीम के लिए खेल रहे हैं। उन्होंने 2012 यूरो कप में भी हिस्सा लिया था। 2017 में उन्होंने प्रीमियर लीग क्लब स्वांसी के लिए भी खेला था। नरसिंह के दादा-दादी आंध्र-प्रदेश के प्रवासी श्रमिक थे।

सेंटर अटैकिंग-मिडफील्डर: यन ढांढा

ढांढा इंडियन फुटबॉल फैंस के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। पंजाबी पिता और इंग्लिश मां के बेटे ढांढा लिवरपूल एफसी के साथ प्रोफेशनल कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले भारतीय मूल के पहले प्लेयर बने थे। लिवरपूल में वह सीनियर टीम में तो नहीं आ सके, लेकिन अंडर-18 और अंडर-23 टीम के लिए खेले। उन्होंने अंडर-17 लेवल पर इंग्लैंड के लिए खेला है।

सेंटर फारवर्ड: रॉय कृष्णा

https://www.youtube.com/watch?v=OEtC9BDEnMY&feature=emb_logo

इंडियन फुटबॉल से कनेक्शन के कारण ज्यादातर लोग कृष्णा को जानते हैं। 21 मैचों में 15 गोल दागकर उन्होंने एटीके को तीसरी बार इंडियन सुपर लीग चैंपियन बनाया था। उन्होंने फिजी के लिए 40 अपिएरेंस में 29 गोल दागे हैं। कृष्णा के पूर्वज लगभग 140 साल पहले अच्छे मौके की तलाश में भारत से फिजी चले गए थे।

भारतीय मूल के कुछ अन्य बेहतरीन खिलाड़ी : डिलन मार्केंडे (स्पर्स अंडर21), हरप्रीक घोट्रा (फ्रैंकफर्ट), जोसुआ पिनाडाठ और डिलाल लाल।

Neeraj
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