आईएसएल के कोच जिनकी कोचिंग वर्ल्ड फुटबॉल के दिग्गज टैक्टीशियन्स से मिलती है
इंडियन फुटबॉल में कुछ कोच ऐसे हैं जिनके काम करने का तरीका वर्ल्ड के दिग्गज मैनेजर्स के जैसा है।
फुटबॉल में एक कोच की अहमियत काफी ज्यादा होती है। टीम के प्लानिंग से लेकर परफॉर्मेंस तक की जिम्मेदारी उनके ऊपर होती है। इसके अलावा उस कोच के काम करने का तरीका, उसकी फिलॉसफी और आइडियोलॉजी को भी काफी ध्यान से ऑब्जर्व किया जाता है। वर्ल्ड फुटबॉल में कुछ ऐसे दिग्गज हैं जिनके काम करने का तरीका लगभग एक जैसा है। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में भी कई ऐसे कोच हैं जिनके सोचने का तरीका एक जैसा है।
इन टैक्टीशियन्स की कोचिंग वर्ल्ड फुटबॉल के दिग्गज कोचों से मिलती-जुलती है। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही मैनेजर्स के बारे में बताएंगे।
एंटोनियो लोपेज हबास और जोसे मोरिनियो
एंटोनियो लोपेज हबास का करियर एटीके मोहन बगान को ज्वॉइन करने से पहले ही काफी इंप्रेसिव रहा है। राफा बेनिटेज, क्लाउडियो रानिएरी और ह्रिस्टो स्टोशिकोव के अंडर काम करने के बाद उन्होंने अपने कोचिंग करियर की शुरूआत की। आईएसएल में उनका कार्यकाल काफी शानदार रहा है और वो लीग के बेस्ट कोचों में से एक रहे हैं।
उनकी कोचिंग काफी कुछ जोसे मोरिनियो से मिलती है। हबास और मोरिनियो लगभग एक ही तरह की रणनीति बनाते हैं। इनकी टीमें प्रेशर को काफी अच्छी तरह से हैंडल करती हैं और विरोधी टीमों को अपने काउंटर अटैक के जरिए घेरने का प्रयास करती हैं। दोनों ही दिग्गजों ने अपनी टीमों के अंदर एक विनिंग मेंटलिटी पैदा की है। हबास को जिस तरह की सफलता हाल के दिनों में मिली है वो काफी कुछ मोरिनियो जैसा है।
सर्जियो लोबेरा और पेप गुआर्डिओला
सर्जियो लोबेरा और पेप गुआर्डिओला के बीच काफी समानताएं हैं। अपने कोचिंग के शुरूआती दिनों में ही दोनों दिग्गज बार्सिसलोना यूथ टीम की कोचिंग कर चुके हैं। लोबेरा बार्सिलोना की यूथ और सी टीम के कोच थे जबकि गुआर्डिओला बार्सिलोना की बी टीम के कोच रह चुके हैं। इसके बाद उन्हें सीनियर टीम की भी जिम्मेदारी दी गई थी। लोबेरा की अगर बात करें तो वो एक महीने के लिए टीटो विलानोवा के असिस्टेंट भी थे और बाद में उन्होंने 2012 में गुआर्डिओला की जगह ली।
गुआर्डिओला की तरह लोबेरा भी फ्री फ्लोइंग फुटबॉल पर जोर देते हैं। दोनों ही कोच अपनी-अपनी बेहतरीन टीमों के उम्मीदों पर खरे उतरे हैं। लोबेरा ने जहां आईएसएल में एफसी गोवा की टीम को शिखर तक पहुंचाया तो वहीं अब मुंबई सिटी एफसी के साथ भी बेहतरीन काम कर रहे हैं।
युआन फेरांडो और डिएगो सिमिओनी
एटलेटिको मैड्रिड के बॉस डिएगो सिमिओनी की तरह ही एफसी गोवा के कोच युआन फेरांडो भी काफी हार्ड वर्किंग हैं। इन दोनों दिग्गजों के बीच इसके अलावा भी कई चीजें मिलती हैं।
सिमिओनी और फेरांडो की टीमों ने कई प्रमुख टीमों को अपने खेल से अपसेट किया है। एटलेटिको डी मैड्रिड के कोच के तौर पर सिमिओनी ने दो डोमेस्टिक टाइटल जीते हैं और दो बार यूएफा चैंपियंस लीग के फाइनल तक पहुंचे हैं। उनकी टीम ने ला लीगा में लगातार एफसी बार्सिलोना और रियाल मैड्रिड को चौंकाया है।
फेरांडो ने भी एफसी गोवा के कोच के तौर पर सिमिओनी जैसा ही काम किया है। उनके नेतृत्व में आईएसएल में एटीके मोहन बगान और मुंबई सिटी एफसी को हराकर एफसी गोवा ने सबको चौंका दिया। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि इन मुकाबलों में एफसी गोवा इन दिग्गज टीमों का मुकाबला कर पाएगी।
रॉबी फाउलर और गैरी नेविल
गैरी नेविल ने ला लीगा क्लब वैलेनसिया की कोचिंग की है, जबकि रॉबी फाउलर इस वक्त एससी ईस्ट बंगाल के हेड कोच हैं। इससे पहले वो मुआन्गथोन्ग यूनाईटेड और ब्रिस्बेन रोर के भी कोच रह चुके हैं।
दोनों ही टैक्टीशियन्स अपने जमाने के बेहतरीन फुटबॉलर रहे हैं और आज भी काफी पॉपुलर हैं। नेविल मैनचेस्टर यूनाईटेड के लीजेंडरी प्लेयर थे तो वहीं रॉबी फाउलर भी लिवरपुल के दिग्गज खिलाड़ियों में से एक थे। अगर बात कोचिंग की करें तो दोनों के ही बीच काफी ज्यादा समानताएं हैं। इन दोनों ही कोचों का कोई सेट गेम प्लान नहीं रहता है। वैलेनसिया और एससी ईस्ट बंगाल में नेविल और रॉबी ने रेगुलर प्लेइंग स्टाइल पर जोर दिया है।
स्पैनिश मीडिया में ये भी खबरें आई थीं कि नेविल को अपने क्लब ऑनर्स से पूरा सपोर्ट नहीं मिलता था। अगर ये सच है तो फिर रॉबी फाउलर की स्थिति भी एससी ईस्ट बंगाल में कुछ इसी तरह की है। टीम ने आखिरी मोमेंट में आईएसएल में एंट्री की थी और इसी वजह से वो अपनी च्वॉइस के प्लेयर्स का चयन नहीं कर सके थे।
खालिद जमील और उनाई एमरी
खालिद जमील और उनाई एमेरी का करियर और वर्तमान में जो उनकी स्थिति है वो कई मायनों में काफी मिलती है। एमरी की तरह जमील भी छोटी टीमों के साथ सफलता हासिल करके स्पॉटलाइट में आए थे। ऐजवाल एफसी के साथ आई-लीग का खिताब जीतने के बाद जमील ने इंडियन फुटबॉल में अपनी पहचान बनाई थी।
हालांकि ईस्ट बंगाल में खालीद जमील उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए। इसके बाद अब वो नॉर्थईस्ट यूनाईटेड टीम का हिस्सा हैं। 2020-21 के आधे सीजन में जेरार्ड नुस की जगह उन्हें केयरटेकर मैनेजर बनाया गया। उन्होंने टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाया। वहीं एमरी को आर्सेनल टीम से बाहर कर दिया गया था और उसके बाद उन्होंने विल्लारियल के कोच के तौर पर प्रभावित किया। इससे पहले वो वैलेनसिया और सेविला के साथ अच्छा काम कर चुके थे जैसे जमील ने मुंबई सिटी और ऐजवाल एफसी के साथ किया था।
ओएन कोएले और क्रिस्टोफी गैल्टियर
ओएन कोएले ने आईएसएल में काफी सफलता हासिल की है। चेन्नईयन एफसी के जब वो कोच बने तो टीम की किस्मत ही पलट गई। वो टीम को सबसे निचले पायदान से लेकर फाइनल तक ले गए और प्लेयर्स से उनका बेस्ट निकलवाया। इस मामले में वो क्रिस्टोफी गैल्टियर जैसे हैं जिन्होंने हाल ही में लीग 1 का टाइटल जीता है।
जमशेदपुर एफसी का कोच बनने के बाद ओएन कोएले के सामने नई चुनौतियां थीं और वो इस पर भी खरे उतरे। गैल्टियर का करियर भी कुछ इसी तरह का है। वो एक नए प्रोजेक्ट के तहत सेंट एटीने से लिली गए थे।
मानोलो मारक्वेज और एरिक टेन हैग
एरिक टेन हैग की अगुवाई में एजाक्स की टीम 2018-19 के चैंपियंस लीग सेमीफाइनल में पहुंची थी। उस टीम में कई बेहतरीन युवा प्लेयर थे। टेन हैग युवा खिलाड़ियों से उनका बेस्ट निकलवाने के लिए जाने जाते हैं और वो लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट के बारे में बेहतरीन प्लानिंग करते हैं। मानोलो मारक्वेज का करियर भी कुछ इसी तरह का रहा है।
लीग में फर्स्ट सीजन में उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली थी। हालांकि, हैदराबाद एफसी मैनेजमेंट को उनके विजन के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए। इस बात के संकेत पहले ही मिल चुके हैं कि वो फ्यूचर के लिए काफी बेहतरीन प्लॉनिंग कर रहे हैं। मारक्वेज की अगुवाई में हैदराबाद एफसी ने लगातार मुकाबले जीते और सबसे ज्यादा समय तक उन्हें हार नहीं मिली। उनके और टेन हैग के काम करने का तरीका काफी मिलता है।
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