PKL 9: तमिल थलाइवाज के हुए पवन सहरावत, लगी पीकेएल की रिकार्ड बोली

हरियाणा स्टीलर्स ने 'हाई फ्लायर' के लिए बोली की शुरूआत ही 1 करोड़ से की।
प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) कबड्डी प्रेमियों का इंतजार खत्म हुआ और सीजन 9 के लिए चहेते खिलाड़ियों के लिए पहले दिन बढ़-चढ़कर बोली लगी। आज सीजन 9 ऑक्शन का का पहला दिन था ओर पहले दिन सभी फ्रैंचाइजियों के बीच स्टार खिलाड़ियों को अपने साथ मिलाने की होड़ लगी रही। ऑक्शन के सारे रिकार्ड टूट गए। इस बार 500 खिलाड़ियों के लिए बोली लगनी है।
तमिल थलाइवाज ने यू मुंबा, हरियाणा स्टीलर्स, और बुल्स सबको पछाड़ते हुए पवन सहरावत को 2.26 करोड़ की मोटी रकम अदा कर खरीद लिया। यह पीकेएल की सबसे रिकार्ड बोली है। सांसे थाम देने वाले ऑक्शन में एक से बढ़कर एक रिकार्ड बने। विदेशी खिलाड़ियों की कैटेगरी में फजल अत्राचली को पुनेरी पलटन ने उनके लिए रिकार्ड 1.38 करोड़ में खरीदा तो नरवाल को 90 लाख में यूपी योद्धा ने अपने साथ मिलाया।
अब मुकाबला था विकास कंडोला और पवन सहरावत में कि वो किस टीम में जाते हैं। विकास को बुल्स ने अपने पास 1.70 करोड़ में रखा जो कि अब तक का रिकार्ड था। कोच रंधीर ने अपने शिष्य विकास से किया वादा निभाया और अपने साथ रखा। बुल्स ने राइट रेडर सहरावत को भी अपने साथ बरकरार रखने की पूरी कोशिश की लेकिन थलाइवाज ने सबको चौंकाते हुए सहरावत के लिए अपने खजाने की मुंह खोल दिया। पवन को टीम में ना ले सकने की टीस उनके गुरू और कोच रंधीर को आंखों में साफ दिखी। उनके आंखों में आंसु थे।
पवन सहरावत के सफर पर एक नजर
26 वर्षीय रेडर पवन सहरावत का जन्म दिल्ली में हुआ। उनका झुकाव बचपन से ही खेलों की तरफ रहा और इसी क्षेत्र में उन्होंने अपना कैरियर बनाया। पवन को तराशने का श्रेय कोच रणधीर सिंह को जाता है जिनकी नजर उनपर उत्तर रेलवे के लिए ट्रायल के दौरान पड़ी। उनकी ही मदद से पवन को रेलवे में टीटी की नौकरी मिल गई और तब से उन्होंने कभी भी पिछे मुड़कर नहीं देखा। रेलवे में वो बतौर डिफेंडर खेले।
पवन का पीकेएल कैरियर
प्रो कबड्डी लीग के तीसरे सीजन में बेंगलुरु बुल्स ने उनके लिए बोली लगाई। यह पवन के लिए नेशनल लेवल पर पहली एंट्री थी। बेंगलुरु बुल्स ने उन्हें 2016 में ₹52.8 लाख में खरीदा था। इस सीजन उन्होनें कुल 13 मैच खेला और 53 प्वांइट्स हासिल किए। प्रो कबड्डी लीग के सीजन 4 में उन्हें फिर से बेंगलुरु बुल्स द्वारा खरीदा गया।
सीजन 5 में पवन को गुजरात फॉर्च्यून जायंट्स ने 13.8 लाख रुपये में खरीदा जो उनके पहले सीजन की तुलना में बहुत कम है। हालंकि सीजन 6 में कोच रंणधीर सिंह की मदद से बेंगलुरु बुल्स उन्हें 52.8 लाख की बड़ी बोली लगा कर अपने साथ मिलाया। पवन ने भी कोच रणधीर सिंह के विश्वास को टूटने नहीं दिया और
बुल्स के लिए 209 सक्सेसफुल रेड किए। इस सीजन उन्होंने कुल 24 मैच खेला जिसमें उन्होंने 282 प्वांइट्स अर्जित किए। पवन के इस प्रदर्शन का नतीजा यह हुआ कि बेंगलुरु बुल्स ने गुजरात फॉर्च्यून जायंट्स को फाइनल में 38-33 से हरा कर पहली बार पीकेएल चैंपियनशिप का खिताब जीता।
पीकेएल सीजन 7 में पवन सहरावत ने 24 मैचों में 360 प्वांइट हासिल किए। हरियाणा स्टीलर्स के खिलाफ उन्होंने एक मैच में 39 प्वांइट्स हासिल कर एक मैच में एक खिलाड़ी द्वारा व्यक्तिगत रूप से हासिल किए प्रदीप के रिकॉर्ड (34) को तोड़ा।
सीजन 8 में पवन ने 24 मैच खेला और 320 प्वांइट हासिल किए। इस सीजन में उन्होंने 6 सुपर रेड और 18 सुपर 10 लगाया। इसी लाजवाब प्रदर्शन के कारण पवन को टूर्नामेंट का परफेक्ट रेडर अवॉर्ड से नवाजा गया।
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