कोच के भरोसे ने बनाया संदीप नरवाल को दबंग दिल्ली की जीत का हीरो

(Courtesy : PKL)
नवीन कुमार के अनुपस्थति में संदीप नरवाल ने उठाया था रेडिंग की जिम्मेदारी।
प्रो कबड्डी लीग के आठवें सीजन की शुरुआत से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इस बार का सीजन इतना रोमांचक होगा। फैंस के कायासों से पलट दबंग दिल्ली ने लीग की शुरुआत से ही खुद को टॉप पर बनाए रखा और आखिरकार फाइनल जीत टाइटल भी अपने नाम किया। टीम की इस जीत में उनके ऑलराउंडर संदीप नरवाल का काफी अहम रोल रहा। उन्होंने मुश्किल में अपनी टीम के लिए अहम जिम्मेदारी निभाई और कोच के उन्हें मुख्य रेडर बनाने के फैसले पर भी खरे उतरे। खेल नाउ ने इस स्टार रेडर से बात की और उनके कबड्डी के सफर के बारे में जाना।
नरवाल हरियाणा के रहने वाले हैं और ज्यादातर खिलाड़ियों की तरह उनके कबड्डी के सफर की शुरुआत भी गांव से ही हुई। उनके गांव में कबड्डी का खेल काफी लोकप्रिय था। पहले उन्होंने अपने सीनियर खिलाड़ियों को देखकर सीखा और फिर प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए गुजरात चले गए जो आज तक उनका ट्रेनिंग सेंटर है। वह बीते काफी सीजन से प्रो कबड्डी लीग का हिस्सा रहे हैं और इस बार वह अपनी टीम दबंग दिल्ली की खिताबी जीत के हीरो रहे।
दिल्ली की टीम ने लीग राउंड में जो 22 मुकाबले खेले उसमें से वह 12 जीतने में कामयाब रही। वहीं छह में उसे हार का सामना करना पड़ा और उसके चार मुकाबले टाई रहे। टीम के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा, "हमारी टीम एक जुट होकर खेली। इस टीम में अनुभवी और युवाओं का मिश्रण था। सभी ने मिलकर काम किया। जब जिस खिलाड़ी को जो भूमिका दी गई उसने वह पूरा किया। किसी को उम्मीद नहीं थी लेकिन फिर भी हमने अच्छा खेल दिखाया।"
टीम की शुरुआत तो अच्छी थी लेकिन बीच में ऐसा समय भी आया जब उनके स्टार रेडर नवीन कुमार चोटिल हो गए। टीम के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर नवीन की जगह कौन लेगा। कोच कृष्ण कुमार हूडा ने संदीप नरवाल को यह जिम्मेदारी सौंपी। संदीप के लिए यह ज्यादा मुश्किल काम नहीं था क्योंकि उन्होंने करियर की शुरुआत रेडर के तौर पर ही की थी।
संदीप को डिफेन्स के मुकाबले मुश्किल लगती है रेडिंग
इस पूरी स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ''मेरे लिए यह ज्यादा मुश्किल नहीं था क्योंकि मैंने रेडिंग से ही करियर की शुरुआत की थी। कोच ने बताया कि नवीन को इंजरी हो गई है और अब मुझे यह जिम्मेदारी उठानी होगी। मैं पूरी जी जान लगाकर अपना 100 प्रतिशत दिया।'' हालांकि वह यह मानते हैं कि अगर तुलना की जाए तो रेडिंग डिफेंस से ज्यादा मुश्किल है। उन्होंने कहा, ''रेडिंग मुझे ज्यादा पसंद है और यह डिफेंस के मुकाबले थोड़ी मुश्किल भी है। डिफेंस के समय रेडर आपके घर में आया होता है लेकिन रेडिंग के समय आपको अकेले विरोधियों के घेरे में जाना पड़ता। मैं स्पीड रेडिंग पसंद करता हूं। मेरे लिए रनिंग बोनस काफी अहम रहता है।''
संदीप ने बतौर रेडर हर डिफेंडर को परेशान किया। वह किसी को भी अपने लिए चुनौती के तौर पर नहीं देख रहे थे। उन्होंने कहा, ''वैसे तो सभी डिफेंडर्स मजबूत हैं। हालांकि जब आप मैच में उतरते हैं तो यह मायने नहीं रखता है कि सामने कौन हैं या वह कितना मजबूत औऱ ताकतवर है। दिमाग में अगर हम दूसरे के बारे में सोचेंगे तो खुद कुछ नहीं कर पाएंगे।''
संदीप ने इस साल 24 मैच खेले जिसमें उन्होंने 64 अंक हासिल किए, जिसमे से उन्होंने 26 रेड अंक और 38 टैकल अंक हासिल किए। अपने इस ऑलराउंड खेल का पूरा क्षेय संदीप ने कोच कृष्ण कुमार को दिया। उन्होंने कहा, ''मैंने जो भी किया उसरा पूरा श्रेय कोच को ही जाता है। उनको मुझपर पूरा भरोसा था। अगर उन्हें भरोसा नहीं होता तो न तो मुझे मौका मिलता न ही मैं कुछ कर पता। उन्होंने मुझपर भरोसा दिखाया कि मैं रेडिंग कर सकता हूं।''
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