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फुटबॉल समाचार

प्रबीर दास: एटीके ने बुरे समय में मुझ पर भरोसा दिखाया

Published at :June 26, 2020 at 4:15 PM
Modified at :June 26, 2020 at 4:57 PM
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26 वर्षीय खिलाड़ी ने खेल नाओ को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इंडियन फुटबॉल में अपने सफर पर बात की।

राइट-बैक प्रबीर दास आज इंडियन फुटबॉल में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह 2016 में लोन पर मोहन बागान से एटलेटिको डे कोलकाता के लिए इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में खेलने आए थे और क्लब को चैंपियन बनाने में उनकी भूमिका अहम रही थी। इस प्रदर्शन के बाद एटीके ने उन्हें खरीद लिया और वह टीम का मुख्य हिस्सा बन गए।

पिछले सीजन एक बार फिर एटीके चैंपियन बनी थी और इस बार भी प्रबीर दास का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा, लेकिन सीजन की शुरुआत में चीजें उनके लिए काफी कठिन रही थीं। 2018-19 सीजन में वह चोट के कारण पूरा सीजन नहीं खेल पाए थे और इसी कारण पिछले सीजन उनके लिए वापसी काफी कठिन रही।

प्रबीर दास ने कहा, "मैं 2010 से प्रोफेशनल फुटबॉल खेल रहा हूं और मैंने 2016 में आईएसएल खिताब जीता था, लेकिन यह साल मेरे लिए अलग था। मैं 10 महीनों के लिए बाहर था और कई समस्याओं से जूझने के बावजूद मैं वापस आया। मैंने अपने करियर में पहली बार सीजन के सभी 20 मैच खेले और चोट से वापस आने के बाद यह आसान नहीं था। मैं एटीके को कठिन समय में सपोर्ट करने और मुझ पर भरोसा बनाए रखने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा।"

स्टार डिफेंडर ने बताया कि चोटिल होने के बाद उन्हें समझ आ गया था कि वह पूरा सीजन बाहर रहने वाले हैं और पहले सात दिन उनके दिमाग में काफी निगेटिव चीजें आ रही थीं। अपने समाप्त हो रहे कॉन्ट्रैक्ट के बारे में सोचकर भी वह काफी परेशान हो रहे थे, लेकिन उनके परिवार की बातों ने उन्हें प्रेरित किया। 2016 में होजे मोलिना और 2020 में एंटोनियो हबास के अंडर टाइटल जीतने वाले प्रबीर दास को लगता है कि दोनों कोच का उनके जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ा है।

Prabir Das stat
पिछले सीजन आईएसएल में प्रबीर ने दमदार प्रदर्शन किया।

उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से दोनों ही कोच काफी अच्छे हैं और इसीलिए उन्होंने चैंपियन के रूप में सीजन की समाप्ति की। व्यक्तिगत तौर पर मैं हबास को ज्यादा धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि उन्होंने सीजन की शुरुआत में मेरी क्षमताओं पर भरोसा दिखाया था। चोट से वापस आने के बावजूद उन्होंने मुझ पर काफी भरोसा दिखाया और इसी कारण मैं उनकी काफी इज्जत करता हूं।"

शुरुआती दौर में उन्हें काफी रिजेक्शन झेलना पड़ा था। सामान्य बैकग्राउंड से आने वाले प्रबीर दास हमेशा से फुटबॉल में बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते थे, लेकिन उन्हें देश की ज्यादातर टॉप अकादमियों ने रिजेक्ट कर दिया था। हालांकि, उनके बड़े भाई और परिवार के लोगों ने कठिन मेहनत करने के साथ ही प्रबीर को फुटबॉल पर फोकस बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।

ट्रॉयल पर वापसी करने के साथ ही 2007 में उन्हें सेल बोकारो अकादमी के लिए 700 प्लेयर्स के बीच चुना गया। कम उम्र में उन्होंने कई पोजीशन पर खेला और खुद को बढ़िया प्लेयर बनाया। बंगाल टीम को रिप्रजेंट करने के बाद उन्होंने मशहूर पाइलन एरोज सेटअप ज्वाइन किया।

प्रबीर दास ने कहा, "फुटबॉल में मैच्योरिटी जरूरी है और खिलाड़ी उम्र के साथ काफी कुछ सीखते हैं। प्रीतम कोटाल, प्रनॉय हल्दर, नरायन दास, जेजे लालपेख्लुआ समेत अन्य कई अनुभवी खिलाड़ियों ने ऐज-ग्रुप टूर्नामेंट्स खेले हैं और फिर किसी बड़े मूव से पहले एरोज के लिए भी खेल। आप देख सकते हैं कि अमरजीत सिंह कियाम जैसे खिलाड़ी कितने आत्मविश्वास के साथ खेलते हैं। मेरे ख्याल से एरोज युवा खिलाड़ियों को प्रमोट करने और उन्हें बड़े स्टेज के लिए तैयार करने के लिए बेहतरीन काम कर रही है।"

पिछले सीजन एटीके के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन करके उन्होंने इंडियन फुटबॉल टीम के कोच इगोर स्टीमाक को प्रभावित किया। स्टीमाक ने प्रबीर को नेशनल कैंप के लिए भी बुलाया था, लेकिन कैंप को कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के कारण स्थगित कर देना पड़ा।

प्रबीर ने कहा, "इस महामारी के कारण हमारे देश की जो हालत हुई है उससे मैं काफी चिंतित हूं और मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि चीजें जल्दी ठीक हो जाए। नेशनल टीम के लिए बुलावे की बात करूं तो इंडियन जर्सी पहनना मेरा सपना है। मैं स्टीमाक को इस मौके लिए धन्यवाद देना चाहूंगा। मैं अपना बेस्ट देने की कोशिश करूंगा और यदि मैं उनके सिस्टम में फिट बैठता हूं तो मैं किसी अन्य प्लेयर की तरह ही देश के लिए खेलना पसंद करूंगा।"

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